हे भोलेबाबा, जीजस, वाहेगुरू, परवरदिगार हमें राष्ट्रबुद्धि दे

देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर मंदिर को 28 जून से दर्शनार्थियों के लिये खोल दिया गया है। खुलने के पहले ही दिन 3500 श्रद्धालुओं ने आनलाईन बुकिंग कराकर दर्शन किये और इतने ही नागरिकों ने सशुल्क 250 रुपये की रसीद कटवाकर दर्शन किये, यही क्रम मंगलवार को भी जारी रहा शुरुआती 3 घंटों में ही सशुल्क 500 लोग दर्शन कर चुके थे। महाकाल मंदिर समिति ने पहले ही दिन 8.25 लाख की कमाई कर डाली। राजाधिराज के दर्शनों के लिये लोग कितने व्याकुल थे इसका पता शुरुआती दो दिनों के रूझान से ही लग गया।

देश में तेजी से घटती कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए आम नागरिकों का लापरवाह होना मानवीय प्रवृत्ति है, ऐसा लगता है कोरोना का प्रहार गुजरे जमाने की बात हो। ईश्वर ने मनुष्य के निर्माण दौरान उसे बहुत जल्दी भूलने की अद्भुत शक्ति से लैस किया है, उसी की बदौलत यह संसार चल रहा है। माता-पिता सगे-संबंधियों बहुत नजदीकी की मृत्यु पर भी मानव कुछ घंटे शोक मनाने के बाद सब कुछ भूलकर अपना सामान्य जीवन जीने लग जाता है।

कोरोना के मामले में भी कुछ ऐसा ही है, 21वीं सदी की इस भीषणतम त्रासदी में हमने लाखों अपनों को खो दिया, अस्पतालों में जगह नहीं मिली, ऑक्सीजन जैसी चीज के लिये हाहाकार मचा, लाशों को भी इंतजार करना पड़ा, आर्थिक रूप से सब कुछ ध्वस्त हो गया, रोटी और रोजी के लाले पड़ गये, देश बर्बाद हो गया, हर आदमी अपने लक्ष्य से पिछड़ गया। हमारा वर्तमान छद्म आत्मविश्वास देखकर ऐसा लगता ही नहीं कि हम इतनी बड़ी त्रासदी से गुजर चुके हैं।

पहली लहर दूसरे देशों से हवाई जहाज पर सवार होकर आने वाले कुलीन लोगों से आयी थी, दुनिया में कोरोना के पैर पसारने के बाद भी तीन-चार महीनों तक विदेशी और भारतीय जहाज पर सवार होकर कोरोना लाते रहे और वह फैलता रहा जब तक देश जागा तब तक बहुत देर हो चुकी थी, कोरोना पैर पसार चुका था।

हमने जैसे-तैसे उस पहली लहर पर काबू पाया था भारत जैसे विकासशील देश के लिये बहुत कठिनाइयों वाला संघर्ष रहा यह, स्वास्थ्य सुविधाओं में हम दुनिया के मुकाबले किस स्थिति में है यह भारतीयों को पता चला। कोरोना की दूसरी घातक लहर का स्वागत करने में हमारे राजनैतिक दलों ने कौई कोर-कसर नहीं छोड़ी, सारे ही दल के नेता पश्चिम बंगाल, तमिनलाडु, केरल, आसाम सहित अन्य राज्यों के चुनाव प्रचार में इतने मशगूल हो गये कि उन्हें यह आभास ही नहीं था कि कोरोना जैसी कोई बीमारी भारत में आ चुकी है। विशाल चुनावी रैलियां सघन जनसंपर्क करते हुए देखकर ऐसा लगा कि हमारे देश के नेता पीले चावल देकर बीमारी को आमंत्रित कर रहे हो, रही सही कसर हरिद्धार में आयोजित कुंभ ने पूरी कर दी लाखों लोगों ने एक साथ गंगा स्नान कर आग में घी का काम किया।

कोरोना इस तेजी से फैला कि उसने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया। परिवार के परिवार उजड़ गये, सरकार के पेश आँकड़ों से 50 गुना अधिक मौतें हुयी। दूसरी लहर के कमजोर होते ही पूरा देश फिर उन्मुक्त हो गया। तीसरी लहर की चेतावनी के बाद भी अति आत्मविश्वास में डूबे हम भारतीय मंदिर, मस्जिद, चर्च, गिरजाघर, गुरुद्धारों की ओर दौड़ पड़े, काहे का मास्क, काहे की सामाजिक दूरी, कौन सा सेनीटाइजेशन सब भूल बैठे पिछले दो दिनों से भोले बाबा के दरबार में उमड़ रही भीड़ यही कहानी बयां कर रही है।

सोमवार-मंगलवार के यह हाल हैं तो शनिवार-रविवार को इससे 5 गुना भीड़ आना तय है, सावन भी आ रहा है, कहीं इस बार आने वाली तीसरी लहर को फैलाने का दोष हमारे धार्मिक स्थलों को ना लग जाए, ऐसा कुछ हो इसके पहले ही हे भोलेनाथ! हे परवरदिगार! हे वाहेगुरू! हे जीजस! हम सब देशवासियों को नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों सहित सद्बुद्धि दें। जान है तो जहान है। जीवित रहेंगे तो ही पूजा, ईबादत, प्रार्थना कर पायेंगे।

– अर्जुनसिंह चंदेल

Next Post

गायत्री नगर में फर्जी लोन के 6 मामले..!

Tue Jun 29 , 2021
सबूत मिटाने की कोशिश में लगे बैंक के कर्मचारी उज्जैन, अग्निपथ। अवैध कॉलोनी गायत्री नगर ए सेक्टर में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मकान बनाने और लोन स्वीकृत हो जाने का केवल एक नहीं बल्कि ऐसे 6 मामले होने की जानकारी सामने आई है। नगर निगम की फर्जी भवन अनुज्ञा […]