शकेब बस्ती के निवासियों का ऋणी हो गया है उज्जैन

महाकाल मंदिर क्षेत्र विस्तार के लिये बेगमबाग कॉलोनी के नजदीक स्थित शकेब बाग कॉलोनी के 144 मकानों को जिला प्रशासन ने जिस सूझबूझ और प्रशासनिक परिपक्कवता का परिचय देते हुए हटाकर भूमि को समतल करने का कार्य किया है वह काबिले तारीफ है। इस बस्ती को हटाये जाने को लेकर नागरिकों को बहुत तरह की शंका-कुशंका थी, भय था कि कहीं शहर की शांत फिजां अशांत ना हो जाए।

प्रशासनिक अधिकारियों विशेषकर ऊर्जावान व दबंग जिलाधीश आशीष सिंह जी एवं उनकी टीम के अतिरिक्त जिलादंडाधिकारी नरेन्द्र सूर्यवंशी, अनुविभागीय अधिकारी संजीव साहू, राजस्व निरीक्षक, पटवारियों की टीम के साथ ही पुलिस महकमें के अधिकारी, नगर निगम के अभियंताओं एवं कर्मचारियों की टीम ने दिन-रात मेहनत करके इस चुनौतीपूणर्प कार्य को पूर्ण किया है वह सभी लोग धन्यवाद के पात्र हैं।

प्रकृति का यह कटु सत्य है कि विकास के लिये विध्वंस जरूरी है। शकेब बाग बस्ती में रहने वाले परिवारों के सिर पर से जो छतें हटायी गयी हैं वह पीड़ादायक है, हटाये गये परिवारों पर जो गुजरी होगी, जो तकलीफ उन परिवारों ने झेली होगी उसका दर्द उनके सिवाय अन्य कोई महसूस नहीं कर सकता। विस्थापन बहुत कष्टदायक प्रक्रिया है, वर्षों से उस जगह रह रहे परिवारों को नया आशियाना खोजना होगा जो आसान काम नहीं है।

प्रशासन द्वारा दी गयी 3-3 लाख की राशि भी ‘ऊँट के मुँह में जीरे के समान’ है। महंगाई के इस दौर में 3 लाख की राशि से 10&15 वर्ग फुट की जमीन का टुकड़ा भी अच्छी कॉलोनियों में नहीं खरीदा जा सकता है।

शकेब बस्ती के लोगों की इस कुर्बानी से उज्जैन कभी भी उऋणी नहीं हो सकता। महाकाल क्षेत्र विस्तार का जब इतिहास लिखा जायेगा तब इस बस्ती के निवासियों की कुर्बानियों का उल्लेख किये बिना अधूरा होगा। मैं गर्व करता हूँ इस प्राचीन और वैभवशाली इतिहास वाली उज्जैयिनी में बसने वाले मुस्लिम भाइयों पर और इस शहर के साम्प्रदायिक सौहार्द पर।

यही वह उज्जैन है जहाँ भोलेनाथ की निकलने वाली सवारी का मुस्लिम भाई मंच लगाकर स्वागत करते हैं, बाबा बाल हनुमान के प्रतिवर्ष निकलने वाले चल समारोह का भी इस्तकबाल होता है, यही वह शहर है जहाँ अलसुबह होने वाली बाबा भोलेनाथ की भस्मारती में रात भर श्रद्धालु बेगमबाग, तोपखाने जैसी घनी मुस्लिम बस्तियों से गुजरते हैं, महिलाएँ अकेली रात्रि को 3-4 बजे मंदिर जाती है, आज तक ना तो किसी महिला के गले से चेन खींची गयी, ना ही किसी महिला श्रद्धालु के साथ छेड़छाड़ हुई।

उज्जैन की यही साम्प्रदायिक सौहार्द इस प्राचीन नगरी की धरोहर है। मैं शहर काजी खलीकुर्रहमान की प्रशंसा किये बिना नहीं रह सकता, जिनकी सूझबूझ से अनेक अवसरों पर इस शहर को साम्प्रदायिक तनाव होने से बचाया है। शाकेब बस्ती खाली कराने में, मुस्लिम भाइयों को समझाने बुझाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

शिक्षा के अभाव में मुस्लिम भाई छुटभैये नेताओं के प्रभाव में आकर बहक जाते हैं परंतु मुस्लिम भाइयों ने बहुत शांति और धैर्य का परिचय दिया है। यह सर्वविदित है कि महाकाल क्षेत्र का विकास इस शहर विकास के नये द्वार खोलने जा रहा है जिसका इस शहर में व्यवसाय करने वाले प्रत्येक वर्ग को लाभ मिलना निश्चित है। बेगमबाग मार्ग पर अधिकांश होटलें मुस्लिम भाइयों की हैं और उनके नाम हिंदुओं पर रखे गये हैं।

हर मुस्लिम होटल में बाबा भोलेनाथ की तस्वीर लगी है क्योंकि बाबा ने ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये हैं। यह इस शहर के लिए भी फक्र की बात है। ‘दिवाली में अली, रमजान में है राम इसीलिये है मेरा भारत महान।’ आइये हम सब मिलकर शासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उज्जैन के विकास में सहयोग करें।

जय उज्जैन

– अर्जुनसिंह चंदेल

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