हाकी में 41 वर्षों का अज्ञातवास खत्म

देश के इतिहास में अब 5 अगस्त 2021 का जिक्र करना भी जरूरी होगा, वइ इसलिये कि भारतीय हाकी टीम ने अपने 41 वर्षों के लंबे वनवास के बाद अपने गौरवशाली अतीत को भविष्य में बदलने की दिशा में एक कदम बढ़ाया है। टोक्यो में आयोजित ओलम्पिक खेलों में भारतीय हाकी टीम के जाबाँज खिलाडिय़ों ने उम्दा खेल का प्रदर्शन करते हुए जर्मनी टीम को 5-4 से शिकस्त देकर कॉस्य पदक पर कब्जा किया है।

भारतीय हाकी टीम ने 41 वर्ष पूर्व 1980 के मास्को में अंतिम स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। आज की जीत से 138 करोड़ भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा होना स्वाभाविक ही है। वैसे तो यदि 5 अगस्त की बात भारत के मद्देनजर की जाए तो यह तारीख वर्षों तक जम्मू एवं कश्मीर में वर्ष 2019 में धारा 370 समाप्त करने एवं वर्ष 2020 में 5 दशकों तक चले विवाद के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राममंदिर निर्माण हेतु हुए भूमिपूजन के लिये युगों-युगों तक याद की जाती रहेगी।

परंतु 5 अगस्त 2021 भी हर भारतीय की रगों में खून का दबाव तेज करने वाला था। भारत के राष्ट्रीय खेल हाकी का इतिहास यदि दुनिया की नजर से देखे तो 4011 वर्ष पुराना है इसे सबसे पहले मिस्त्र में खेला गया था इसके बाद बहुत से देशों में इसकी शुरुआत हुयी, भारत में इसकी शुरुआत 161 वर्ष पूर्व हुयी जब पहली बार भारत में कलकत्ता की धरती पर हाकी खेली गयी।

सन् 1920 से 1980 तक भारत पूरी दुनिया में हाकी का सिरमौर हुआ करता था। यदि ओल्म्पिक खेलों के इतिहास की बात करें तो 1928 से 1956 तक भारत ने 24 ओलम्पिक मैच खेलें और सभी के सभी 24 मैचों में जीत दर्ज कर 178 गोल बनाए तथा मात्र 7 गोल खाये। भारत के पास 8 ओलम्पिक स्वर्ण पदकों का उत्कृष्ट रिकार्ड है। सन् 1928 से 1956 तक भारतीय हाकी दल ने लगातार 6 स्वर्ण पदक प्राप्त किये।

सन् 1928 तक हाकी भारत का राष्ट्रीय खेल बन चुकी थी, इसी वर्ष एमस्टर्डम ओलम्पिक में भारतीय टीम ने पहली बार प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और पाँच मुकाबलों में एक भी गोल खाये बिना स्वर्ण पदक जीता, इसके बाद 1932 के लॉस एंजेलस तथा 1936 के बर्लिन में भी स्वर्ण पदक पर कब्जा कर जीत की हेट्रिक भी बनायी। सन् 1932 के लॉस एंजेल्स ओलंपिक में हुए 37 मैचों में तो भारत ने 330 गोल विरोधी टीमों पर किये जिसमें से 133 गोल हाकी के जादूगर महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद ने ही किये थे।

भारत की 41 वर्षों बाद हुयी वापसी का जश्न देश में तो मन ही रहा है पर साथ ही जिन भारतीय खिलाडिय़ों ने हाकी के इस खेल को अपने खून से सींचा है उनका सिर भी आज गर्व से ऊँचा हुआ होगा और जो खिलाड़ी परलोकवासी हो गये हें वहाँ भी उनकी आत्माएँ ‘भारत जिंदाबाद’ बोल रही होगी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक के जश्न में डूबे भारतीयों को इस उपलब्धि पर अग्निपथ की ओर से बधाई। भारत की बेटियों और खिलाडिय़ों ने चाहे वह वेटलिफ्टिंग हो या बेडमिंटन, कुश्ती हो या और भी अन्य खेलों से भारत के विजयी रथ को ओलंपिक में गति दे रखी हे सबको बधाई।

भारतीयता जिंदाबाद

– अर्जुनसिंह चंदेल

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