बीतने आये 6 साल सिंहस्थ 2016 को, जाग भी जाओ अब

सिंहस्थ महापर्व 2028 को अब लगभग 6 वर्ष बचे हैं। सिंहस्थ 2016 को बिदा किये लगभग 6 वर्ष होने को आये। लब्बोलबाब यह है कि इंतजार के 12 वर्षों में से आधा समय निकल चुका है आधा बचा है। 6 वर्ष इतनी जल्दी बीते गये कि पता ही नहीं चला।

वर्तमान समय आगामी सिंहस्थ-2028 की तैयारियों के मामले में बहुत उचित समय है। सरकारें आती हैं चली जाती हैं। मध्यप्रदेश में सत्ता के सिंहासन पर किसी भी राजनैतिक दल का व्यक्ति क्यों न हो परंतु उज्जैन में प्रति 12 वर्षों में आने वाला सिंहस्थ पूरे मध्यप्रदेश की 7.25 करोड़ जनता की प्रतिष्ठा का प्रश्न रहता है। धार्मिक आस्था और सनातन धर्म की अस्मिता से जुड़ा यह महापर्व पूरी दुनिया में उज्जैन नगर की प्रसिद्धि में चार चाँद लगाता है।

उज्जैन जिले के जनप्रतिनिधियों को सारे राजनैतिक मतभेदों को दरकिनार कर तुरंत एक जाजम पर बैठकर विकास की योजनाओं की तस्वीर बनानी चाहिये। दोनों राजनैतिक दलों के विधायकों को शहर के गणमान्य नागरिकों के साथ बैठक आहूत कर सुझाव भी लेने चाहिये कि सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालुओं को और किस तरह की सुविधा दी जानी चाहिये ताकि यह पुरातन नगरी आतिथ्य सत्कार की परंपरा में अग्रणी बनी रहे।

पूर्व जनप्रतिनिधयों और अधिकारियों की भी ले राय

सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी, पूर्व सांसद, पूर्व विधायकगण, पूर्व महापौर, पूर्व पार्षदगण को भी आमंत्रित किया जाना चाहिये। वर्तमान में जो प्रशासनिक अधिकारी कार्यरत हैं संभवत: वह आगामी सिंहस्थ तक यहाँ नहीं रह पायेंगे, अत: मुख्यमंत्री जी से एकमत से माँग की जानी चाहिये कि उज्जैन में संभागायुक्त, जिलाधीश, पुलिस अधीक्षक एवं निगमायुक्त के पदों अगली पदस्थापनाएं सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक हो ताकि विकास की योजनाओं को बनाने और उनके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी एक ही व्यक्ति की हो तभी वह सही ढंग से योजनाओं को अमली जामा पहना सकेगा।

हम सब को मिलकर इस बात की फिर से समीक्षा भी करनी चाहिये कि सिंहस्थ 2016 के दौरान हमसे कहाँ गलतियां हुयी थी और उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है? आने वाले यात्रियों के साथ स्थानीय नागरिकों को भी सिंहस्थ दौरान बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इस बार हम कुछ ऐसा प्रबंधन करे कि स्थानीय लोगों और अतिथियों को परेशान ना होना पड़े।

सिंहस्थ मेला कार्यालय कहां?

बीते 6 वर्ष हम खो चुके हैं सिंहस्थ विकास प्राधिकरण कहाँ किस अवस्था में है हमें नहीं पता उसका अस्तित्व भी बचा है या नहीं ईश्वर जाने। सिंहस्थ के लिये निर्मित मेला कार्यालय स्र्माट सिटी कार्यालय में तब्दील हो गया है शायद वह कार्यालय ही स्मार्ट है वह कार्यरत अभियंताओं या उनकी योजनाओं में स्मार्टनेस नजर नहीं आती। धर्मेन्द्र वर्मा जैसे सेवानिवृत्त लोग स्मार्ट सिटी की कमान संभाल रहे हैं, हैं ना आश्चर्यजनक।

महाकाल क्षेत्र विकास के साथ शिप्रा शुद्धिकरण भी जरूरी

करोड़ों रुपये फूँक दिये गये सायकल पथ बनाने के नाम पर, जहाँ आज कोई झाँकने भी नहीं जा रहा है। बनायी गयी सडक़ों को स्मार्ट सडक़ें क्यों नाम दिया गया पता नहीं? सिर्फ महाकाल क्षेत्र के विकास को छोडक़र कोई भी कार्य संतुष्टि देने वाला नहीं है। स्मार्ट सिटी के कर्ताधर्ता यह भूल गये कि महाकाल के आँगन को तो सजा संवार दिया परंतु आने वाला भक्त शिप्रा में डुबकी लगाने के बाद ही भोलेनाथ के दर्शन करेंगे तो शिप्रा की शुद्धि के भी उपाय किये जाते तो बेहतर होता।

महाकाल मंदिर क्षेत्र में जाने के लिये हमें और वैकल्पिक मार्गों पर भी विचार करना चाहिये, इंदौर गेट की बंद पड़ी रेलवे क्रासिंग या हरिफाटक पुल के नीचे का रेलवे क्रासिंग का  अंडरपास बनाकर शहर के यातायात को सुगम किया जा सकता है इस पर मंथन होना चाहिये।

सिंहस्थ में सर्वाधिक वाहन इंदौर रोड से आते हैं क्या महामृत्युंजय द्वार से एक नया ऐलिवेटेड रोड बनाया जा सकता है जो त्रिवेणी संग्रहालय पर उतरे? क्या त्रिवेणी पर घाटों की लंबाई पुरानी रपट तक बढ़ायी जा सकती है? क्या त्रिवेणी संगम में एक स्टॉपडेम शिप्रा नदी पर बनाया जा सकता है जो खान नदी मिलने के पूर्व ही शिप्रा के शुद्ध पानी को संग्रहित कर सके और उस शुद्धजल में हम श्रद्धालुओं को स्नान करा सके।

गंभीर बांध के अलावा एक और जलस्रोत की दरकार

इसी तरह उज्जैन शहर की प्यास बुझाने वाला गंभीर बाँध विश्वसनीय नहीं रहा एक अन्य वैकल्पिक जल स्त्रोत कर निर्माण किया जाना नितांत आवश्यक है। सेवरखेड़ी बाँध की योजना को अमली जामा पहनाने का इन 6 वर्षों से बेहतर समय नहीं हो सकता। इस पर भी गंभीरता से मनन होना चाहिये।

चिंतामण की तरह जयसिंहपुरा में हाल्ट स्टेशन बनाकर भविष्य की संभावनाओं को तलाश जा सकता है। पार्किंग एक विकराल समस्या बनकर उभर सकती हे 2028 में। सबसे बड़ी चुनौती से निपटने के लिये अभी से इस मामले में देश के विशेषज्ञों की मदद ली जानी चाहिये। और भी शहर विकास के अन्य मुद्दे हैं जिन पर नागरिकों से अच्छे सुझाव प्राप्त किये जाकर योजनाओं का निर्माण किया जाना चाहिये।

– अर्जुनसिंह चंदेल

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