महाकाल के बाहर धूल का गुबार, लोग हो रहे बीमार

Mahakal mandir samne makan tudai

खतरनाक स्तर पर पहुंचा पीएम-10 और पीएम 2.5 का लेवल

उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में जारी निर्माणकार्यों की वजह से इस क्षेत्र की आबोहवा पर खासा असर गिरा है। मंदिर क्षेत्र में धूल के कणों की भरमार हो गई है। महाकाल क्षेत्र के वातावरण में पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर 266 और पीएम 10 का अधिकतम स्तर 388 के आसपास पहुंचने लगा है। लगातार इस तरह की स्थिति बनी रहने से इलाके के दुकानदारों, रहवासियों को सांस में समस्या, आंख-नाक-गले में जलन जैसी समस्याएं होने लगी है।

सेंट्रल पाल्यूशन बोर्ड ने महाकालेश्वर मंदिर में पर्यावरण मापक यंत्र लगाया हुआ है। हर रोज इसकी रीडिंग केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधीन बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड होती है। अकेले जनवरी महीने के शुरूआती 6 दिनों की रीडिंग ही बताती है कि महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर निम्न स्तर पर पहुंच जाता है।

5 करोड़ का प्रस्ताव भेजा

उज्जैन शहर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पिछले साल से ही नॉन अटेनमेंट सिटी घोषित कर रखा है। उज्जैन के अलावा मध्यप्रदेश में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और देवास को नॉन अटेनमेंट सिटी घोषित किया हुआ है। नॉन अटेनमेंट सिटी में वायु प्रदूषण की गुणवत्ता बेहद खराब मानी जाती है। महाकाल क्षेत्र की रीडिंग ने नॉन अटेनमेंट के ठप्पे को ओर गहरा कर दिया है। इस स्थिति से निपटने के लिए अब नगर निगम ने राज्य शासन के माध्यम से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को 5 करोड़ रूपए खर्च का एक प्रस्ताव भेजा है। इस राशि की स्वीकृति के बाद शहर में ग्रीनरी बढ़ाने, चौराहों को ज्यादा सुविधाजनक बनाने सहित हवा को शुद्ध बनाए रखने से जुड़े काम होंगे।

क्या है पीएम-10 और 2.5

निर्माणकार्य व अन्य पर्यावरणीय स्थितियों की वजह से हवा में धूल के कणों की स्थिति को पर्टिकुलेट मैटर(पीएम) के स्तर पर मापा जाता है। पीएम 10 यानि प्रदूषित कण जो माइक्रो मीटर तक बड़े होते है। इसी तरह पीएम 2.5 यानि 2.5 माइक्रोमीटर तक के कण। इनका बढ़ा हुआ स्तर सांस में तकलीफ, आंखो-नाक-गले में जलन, छाती में खींचाव, अनियमित धडक़न और गंभीर श्वसन रोग पैदा कर देता है। हवा में पीएम 10 की उपलब्धता का रीडींग 100 और पीएम 2.5 की रीडिंग 60 तक संतोषप्रद मानी जाती है।

इनका कहना

ये बात सच है कि महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में पीएम-10 और पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर बढ़ा हुआ आ रहा है। इसकी एक वजह इस क्षेत्र में जारी निर्माणकार्य भी है। निर्माण पूरे होने के बाद जब इस क्षेत्र में ग्रीनरी बढ़ेगी तो हवा का स्तर भी ठीक हो जाएगा, ऐसी उम्मीद है। -ए.डी. संत, लैब प्रभारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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