हम चुप रहेंगे (28 फरवरी 2022)

मुझे पता है …

चक्रम में फर्जी कोर्स को लेकर विद्यार्थी आक्रोश में है। आंदोलन भी कर चुके है। मगर इसको हवा कौन दे रहा है। यह सवाल लाख टके का है। जिसका जवाब चक्रम के मुखिया को पता है। पर्दे के पीछे कौन है। तभी तो उनका गुस्सा उजागर हो गया। इन शब्दों के साथ। मुझे पता है… कौन-कौन प्रोफेसर इसके पीछे है। अब तुम पर कार्रवाई करूंगा। इतना बोलकर चक्रम के मुखिया फिलहाल तो चुप हो गये है। देखना यह है कि क्या मुखिया वाकई कार्रवाई करते है या फिर उनकी चेतावनी खोखली साबित होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

आंखो-देखी …

घटना कमलप्रेमियों की आंखो-देखी है। जो अब कमलप्रेमियों में चर्चा का विषय है। जिसमें इशारा अपने विकास पुरूष की तरफ है। घटनास्थल आगर रोड का है। जहां पिछले सप्ताह करोड़ों की सडक़ों का कार्यक्रम था। मंच पर बकायदा नाम वाली पर्ची लगी थी। मतलब … अतिथियों को उसी कुर्सी पर बैठना था। जिस पर उनका नाम अंकित था। मगर अपने विकास पुरूष का नाम जिस कुर्सी पर अंकित था। वह बहुत दूर थी। जो उनको पसंद नहीं आया। उन्होंने चतुराई दिखाई। पर्ची की अदला-बदली कर डाली और अपनी मनपसंद जगह पर बैठ गये। जिनकी पर्ची हटाई, वह एक सीनियर मंत्री की थी। देखने और सुनने वाले तो यही बोल रहे है। कमलप्रेमी मजे ले रहे है। मगर, हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

खरी-खरी …

एक बार फिर उसी आगर रोड की घटना है। जहां पर पर्ची की अदला-बदली हुई थी। वहीं पर अपने मामाजी ने उद्बोधन में बोला। 2 हजार किलोमीटर सडक़े आप ले लीजिए- इनको बनवा दीजिए। अब बारी थी केन्द्रीय मुखिया की। जिन्होंने मंच से ही खरी-खरी सुना दी। यह बोल दिया कि … 2014 से 19 तक क्यों नहीं मिलने आये। अभी तक तो बनवा देता। केन्द्रीय मुखिया इस कदर साफ लफ्जों में मंच से यह बोल देंगे। इसकी उम्मीद अपने मामाजी को नहीं थी। इतना ही नहीं मुख्य अतिथि …म.प्र. पिछड गया है, का खिताब भी दे गये। जिसे सुनकर अपने मामाजी क्या कर सकते थे। बस … चुप रहे… तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

सरस्वती …

ऐसा अक्सर बोला जाता है। आदमी की जुबान पर कभी-कभी सरस्वती विराजमान हो जाती है। मतलब इसका यह कि … जो इंसान बोलता है, वह आगे जाकर सच हो जाता है। इस बात को कमलप्रेमी 12 करोड़ी भवन के उद्घाटन होने के बाद बोल रहे है। इशारा … अपने पहलवान के सार्वजनिक भाषण की तरफ है। जिसमें उन्होंने अपने वजनदार जी को निशाने पर ले लिया था। बोल दिया था… देखना … लोस उम्मीदवार बदलते रहते है। पहलवान के इस कटाक्ष पर ठहाके भी लगे और तालिया भी बज गई। मगर अब कमलप्रेमी इसे पहलवान की जुबान पर सरस्वती विराजमान की नजरों से देख रहे है। जिसका फैसला तो 2024 में होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

सौगात …

भले ही कमलप्रेमी अपने पहलवान की मजाक-मजाक में कही बात की, सरस्वती से तुलना कर रहे है। मगर अपने वजनदार जी के पास मौका है। समय भी खूब है। कमलप्रेमियों की जुबान को बंद करने का। बस इसके लिए वजनदार जी को … अपने स्वाद पर कंट्रोल करना होगा। 131 किलोग्राम से 100 किलोग्राम पर आना होगा। जिसका नतीजा यह होगा। उनको 31 हजार करोड़ की सौगात मिल जायेंगी। इतनी बड़ी राशि आज तक कोई भी अपने संसदीय क्षेत्र में नहीं दिला पाया है। एक रिकार्ड बन जायेंगा। फिर अपने वजनदार जी को कोई नहीं हिला सकता है। अब देखना यह है कि अपने वजनदार जी 2024 तक अपने स्वाद पर कितनी रोक लगा पाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

तारीफ …

अच्छा काम करने के बाद, अगर कोई पीठ थपथपा दे। काम की तारीफ कर जाये। तो खुश होना वाजिब हक बनता है। इन दिनों एक वर्दीवाली मैडम बहुत खुश है। उनके काम की तारीफ हुई है। करने वाले भी कोई छोटी-मोटी हस्ती नहीं है। देश की सुरक्षा करने वाले जवानों के मुखिया है। जिन्होंने जाते-जाते अच्छी व्यवस्था की तारीफ करी। अब वर्दीवाली मैडम, अपने अच्छे काम की तारीफ खुद खबरचियों को सुना रही है। मकसद… कही पर कुछ छप जाये। मगर, सब तारीफ की खबर सुनकर चुप हो जाते है। फिर हमारा तो अधिकार ही है… अपनी आदत के अनुसार चुप रहना।

शर्त …

बाबा की नगरी में रिकार्ड बनने जा रहा है। जिसके लिए सबसे पहले अपने उम्मीद जी और कप्तान दोनों को अग्रिम बधाई। मगर इस रिकार्ड के लिए एक शर्त, रिकार्ड देने वालो ने रख दी है। शर्त यह है कि 1 दिन पहले 13 लाख खाली दीये शिप्रा घाट पर जमाकर रखने है। उसके बाद इसकी ड्रोन से रिकार्डिंग होगी। जिसके लिए 12 घंटे का वक्त लगेंगा। तभी इस रिकार्ड को गिनीज में शामिल किया जायेगा। इसके अलावा 1 मार्च की शाम को दीये जलाने के बाद 10 मिनिट के लिए क्षेत्र की लाईट बंद करनी है। तब जाकर जगमगाते दीये नजर आयेंगे। शर्त मान ली गई है। इसलिए हम पहले ही अग्रिम बधाई लिख दिये। बाकी तो हमें चुप ही रहना है।

बेग …

अपने वजनदार जी रविवार की शाम को कमलप्रेमी मुख्यालय पर थे। जिले के प्रभारी मुखिया से मिलने आये थे। जो कि बैठक ले रहे थे। बैठक के बाद वजनदार जी के हाथों में एक ब्राउन रंग का बेग था। जो कि काफी भरा और फूला-फूला था। उस बेग में आखिर ऐसा क्या था? जिसको लेकर केवल यह पता चला है कि … यह बेग प्रभारी मुखिया को दिया गया। बेग के अंदर क्या था। इसको लेकर कमलप्रेमी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

– प्रशांत अंजाना

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