निगम की दरकार, 125 करोड़ दो सरकार

नगर निगम

संपत्तिकर के शहर में 76 हजार डिफाल्टर, 55 करोड़ बकाया

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए नगर निगम आयुक्त शत प्रतिशत संपत्तिकर और जलकर वसूली पर फोकस किए हुए है। वित्तिय वर्ष के अंत से ठीक पहले 12 मार्च को आयोजित होने वाली लोक अदालत के दौरान भी शहर से लगभग 11 करोड़ रूपए बकाया वसूलने का टारगेट सेट किया गया है।

बकाया वसूलने निकले निगम अधिकारियों ने जब रजिस्टरों का हिसाब-किताब मिलाया तो खुलासा हुआ कि शहर में 76 हजार 770 परिवार ऐसे है जो संपत्तिकर नहीं भर रहे है। 1 लाख 25 हजार संपत्तिकर दाताओं में से केवल 48 हजार 440 ही संपत्ति मालिकों ने नगर निगम में अपना टैक्स जमा किया है।

निगम को आर्थिक संकट से उबारने के लिए कर वसूली में तेजी लाए जाने के अलावा राज्य सरकार से भी 125 करोड़ रूपए मांगे गए है। शासन से यह रकम मिली तो निगम की अधिकांश देनदारियां निपट जाएंगी।

12 मार्च को आयोजित होने वाली लोक अदालत के प्रचार-प्रसार के लिए नगर निगम की टीम खासे प्रयास कर रही है। गुरूवार सुबह कोर्ट परिसर से एक वाहन रैली भी निकाली गई। शाम को अपर आयुक्त आदित्य नागर ने लोक अदालत में दी जाने वाली अधिभार छूट की जानकारी मीडियाकर्मियों के माध्यम से आम नागरिकों से साझा की।

अपर आयुक्त आदित्य नागर ने बताया कि पिछले 2 साल से कोरोना की वजह से नगर निगम अपनी पूरी क्षमता से कर वसूली नहीं कर सकी है। महामारी को ध्यान में रखते हुए कर वसूली के मामले में उदारता भी बरतना पड़ी।

इसके बावजूद ताजा वित्तिय वर्ष में 9 मार्च तक की स्थिति में नगर निगम की टीम 23 करोड़ 94 लाख रूपए की संपत्तिकर वसूली कर चुकी है। पिछले वित्तिय वर्ष के मुकाबले यह रकम 2 करोड़ रूपए अधिक है।

अब भी आसमानी किले बना रहे निगम अधिकारी

संपत्तिकर वसूली के मामले में नगर निगम के अधिकारी हवाई किले बनाने में माहिर है। इन्हीं अधिकारियों ने नगर निगम आयुक्त के सामने 31 बड़े बकायादारों की एक सूची पेश की। इसी सूची को मीडियाकर्मियों के माध्यम से सार्वजनिक भी किया। बकायादारों की यह सूची बनाने में कितनी गंभीरता बरती गई, इसकी एक बानगी जान लिजिए।

बड़े बकायादारों की सूची में 12 वें नंबर पर लखेरवाड़ी स्थित बच्छराज भंडारी धर्मशाला ट्रस्ट पर 26 हजार 104 रूपए बकाया होना बताया गया। यह बकाया राशि दूसरे और तीसरे फ्लोर की निकाली गई। मजे की बात यह है कि इसी बिल्डिंग में भू-तल पर बनी 30 से ज्यादा दुकानों का लगभग 18 लाख रूपए संपत्तिकर बकाया होने का कुर्की वारंट नगरनिगम ने ही 2012 में जारी किया था।

यह रकम अब तक अधर में लटकी है, इसी वजह से किसी दुकानदार का नामांतरण नहीं किया गया। एक ही बिल्डिंग के दूसरे और तीसरे फ्लोर का बकाया संपत्तिकर निगम अधिकारियों ने निकाल लिया, भू-तल की पुरानी वसूली भूल गए और चौथे माले पर निर्माण की अनुमति जारी कर दी।

शहरी सरकार: माफ कर रही अधिभार

  • शहर में 1 लाख 25 हजार के लगभग संपत्तिकर दाता है, इनमें से महज 48 हजार 440 ने ही संपत्तिकर जमा कराया है। शेष लगभग 76 हजार 700 लोगों को नगर निगम ने डिफाल्टर माना है।
  • बकायादारों से नगर निगम को संपत्तिकर के रूप में 55 करोड़ 32 लाख रूपए वसूलना है।
  • शहर में 63 हजार 308 नल कनेक्शन है। जलकर बकाया के रूप में पीएचई को 6 करोड़ 50 लाख रूपए की वसूली करना है।
  • लोकअदालत में ज्यादा से ज्यादा वसूली के लिए निगम 50 हजार रूपए संपत्तिकर तक अधिभार में 100 प्रतिशत, 1 लाख रूपए तक संपत्तिकर तक अधिभार में 50 प्रतिशत और 1 लाख रूपए से अधिक संपत्तिकर के मामले में अधिभार में 25 प्रतिशत तक छूट दे रही है।
  • इसी तरह 10 हजार रूपए तक बकाया जलकर के मामले में अधिभार पर 100 प्रतिशत, 50 हजार रूपए तक बकाया जलकर के मामले मे अधिभार पर 75 प्रतिशत और 50 हजार से ज्यादा बकाया जलकर के मामले में अधिभार पर 50 प्रतिशत तक छूट दे रही है।

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