लोहे के चने चबवा रहे हैं लोहे के भाव

बढ़ते भाव से सभी निर्माण कार्य प्रभावित

बदनावर (अल्ताफ मंसूरी), अग्निपथ।

अपनी फौलादी शक्ति के लिए मशहूर धातु लोहा इन दिनों अपने बढ़़े भाव के कारण लोगों को लोहे के चने चबवा रहा है। लोहे के भाव बाजार के इतिहास में इतनी तेजी से इतने कम समय में कभी नहीं बढ़े। पिछले करीब ढाई महीनों में ही लोहे की कीमतों में बेताहाशा बढ़ोतरी से मकान बनाने से लेकर लोहे से बनी अन्य वस्तुओं के दामों में भी आघ लगी हुई है।

जनवरी के महीने से ही लोहे के भाव में लगातार तेजी बनी हुई है। लोहे की सभी सामग्रियों में 15 से 20 फीसदी की तेजी हो गई है। भंगार यानी लोहे का कच्चा माल की कीमतों में 60 दिनों में 40 से 45 फ़ीसदी तेजी आ गई है। निर्माण के क्षेत्र में काम आने वाला सरिया दो माह पूर्व 58 से 60 रुपये किलो बिक रहा था वह आज 80से 82 किलो बिक रहा है। कुछ लोहा आइटम ओ के भाव तो 3 माह में डेढ़ गुना तक चढ़ गए हैं। इस समय नए लोहे के भाव पुराना भंगार लोहा बिक रहा है।

कीमतों में इजाफे के कारण उद्योगों का उत्पादन 15 से 20 फीसदी कम हो गया है। तेजी के कारण निजी निर्माण कार्यों के साथ सरकारी भी प्रभावित हो रहे हैं। सबसे अधिक असर इंजीनियरिंग, मशीनरी, एग्रीकल्चर उत्पाद बनाने वाले उद्योगों पर हुआ है। घर बनाने की लागत इस वृद्धि के कारण 10 से 15 फीसदी बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री आवास योजना में घर बना रहे रमेश पवार बताते हैं, दो महीने में सरिए के दाम बढऩे के चलते फिलहाल घर का काम मुस्कील हो गया है। यही हाल सभी घर बनाने वालों का है। अधिकतर निर्माणकर्ता रेट कुछ कम होने पर काम फिर चालू करेंगे।

दामों में तेजी का कारण

प्राप्त जानकारी अनुसार इस तेजी का मुख्य कारण कच्चे माल की कमी, कच्चे माल का बढ़ा हुआ मूल्य, पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यवृद्धि, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध, शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के कारण मूल्य वृद्धि होना बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में 55 के आसपास रोलिंग मिल हैं। इसमें अधिकांश इंदौर व देवास उज्जैन पीथमपुर में स्थित हैं।

कच्चे माल की कमी व बढ़ी हुई लागत के कारण कई छोटी मिलों में उत्पादन घट गया है। स्टॉक की भी कमी बनी हुई है। कुछ छोटी मिलो की बंद होने की नौबत आ गई है। वही नामचीन मिलों का माल अन्य मीलों से ऊंचे भाव में बिक रहा है।

इंदौर के लोहा व्यापारी एके जैन के अनुसार पिछले ढाई महीने में सरिया, एंगल, पत्ती, चद्दर में सोच से परे वृद्धि हुई है। सरकारी नीति, कच्चे माल की कमी, युद्ध, पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम से नहीं लगता है कि फिलहाल तेजी से कोई राहत मिलेगी।

दो महीने में इतने बढ़े दाम

जनवरी माह में एंगल के दाम 5600 रुपए किवंटल थे, आज 7300 रुपये किवंटल, पत्तियां 5300 रुपये से बढक़र 7000 रुपये क्विंटल हो गईं। पाटा 6000 रूपया क्विंटल से 8000 क्विंटल, वाइब्रेटर 6300 से 8500 रुपए क्विंटल हो गया।

वहीं 3 माह में काला तार 63 से 85 रुपये किलोग्राम के दाम में बिक रहा है। बोल्ट 75 की अपेक्षा 95 रुपये किलोग्राम, किल 60 से बढक़र 85 किलो के लगभग भाव हो गए हैं। काली चद्दर व गैलोनाइज सीट में भी 15 से रुपये 25 तक की तेजी हो गई है।

लोहा तेजी के कारण फेब्रिकेशन आइटम वह काश्तकारी सामान व कृषि उपकरण में भी 30 प्रतिशत के लगभग तेजी आ गई है। हालांकि बीच-बीच में एक-दो रुपए रेट कम हो जाते हैं लेकिन फिर से पुन: बढ़ जाते हैं।

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