हम चुप रहेंगे (11 अप्रैल 2022)

5 खोखा…

अपुन भले ही पिछले 15-17 सालों से चुप रहने का दावा करते है। मगर आज तक किसी ने भी चुप रहने के नाम पर फूटी कौडी नहीं दी है। लेकिन अपने वजनदार जी के चुप रहने की कीमत 5 खोखा है। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी ही बोल रहे है। इशारा … शहर के विकास प्लान की तरफ है। जिसको लेकर अपने वजनदार जी शुरू से ही सवाल उठा रहे है। किन्तु अब कमलप्रेमी इस मामले में उनके चुप रहने का आंकलन 5 खोखे से कर रहे है। हमको ऐसा लगता तो नहीं है। वह चुप रहेंगे। इसलिए फैसला सुधी पाठक खुद कर ले ? बाकी हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

कौन थी वह …

घटना कुछ दिन पुरानी है। ज्यादा पुरानी भी नहीं है। इशारा चक्रम की उस परीक्षा से जुड़ा है। जिसमें नाम के आगे डॉक्टर लिखने की उपाधि मिलती है। इस परीक्षा में शामिल होने एक अतिविशिष्ट महिला भी आई थी। जिनको लेने के लिए मप्र शासन का शासकीय वाहन पहुंचा था। जिसे देखकर हडक़ंप मच गया। सब एक-दूसरे से पूछने लगे। कौन है यह? परीक्षा खत्म होते ही अतिविशिष्ट महिला ठसके से शासकीय वाहन में बैठी। इस वाहन के आगे तिरंगा भी लगा था। तत्काल रवाना हो गई और सर्किट हाऊस के सामने पहुंचकर दूसरे निजी वाहन में बैठ गई। तब तक परीक्षा केन्द्र पर सभी को पता चल गया था। आखिर अति प्रभावशाली मैडम कौन थी। मगर सभी को चुप रहने की हिदायत मिल गई। जिसके चलते सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

गुस्सा …

अपने विकास पुरूष का गुस्सा कई बार सार्वजनिक रूप से हम सभी देख चुके है। अपने प्रोटोकॉल में उनको जरा सी भी चूक पसंद नहीं है। मगर गत 2 अप्रैल को उनके प्रोटोकॉल में 2 दफा गलती हो गई। घटना सर्किट हाऊस की है। प्रदेश के प्रथम नागरिक का आगमन हुआ था। कारकेट में विकास पुरूष के वाहन को जगह नहीं मिली। ऐसा 2 बार हुआ। दोनों बार विकास पुरूष को पैदल चलकर कक्ष तक जाना पड़ा। दूसरी बार में विकास पुरूष का गुस्सा सातवे आसमान पर था। उन्होंने फटकार लगा दी। जिसे देखकर अधिकारी सहम गये। जिसके बाद सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

इस्तीफा …

बाबा के दरबार में इन दिनों चर्चा है। एक ऐसे अधिकारी के इस्तीफे की। जो कि लेन-देन और भुगतान का काम संभालते थे। सेवानिवृत्ति के बाद उनको यह दायित्व मिला था। नियम कायदे के पक्के है। अच्छा काम भी कर रहे थे। फिर अचानक ही इस्तीफा दे दिया। जिसको लेकर यह चर्चा है कि … अपने फूलपेंटधारी उन पर दबाव बनाते थे। इसका भुगतान कर दो- इसका रोक दो। सीधी भाषा में नियम की धज्जियां उडवाते थे। रोज-रोज की किचकिच से अधिकारी तंग आ गये। नतीजा इस्तीफा दे दिया और चुप बैठ गये है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

लड्डू …

एक बार फिर चर्चा बाबा के दरबार की है। जहां पर एक कहावत बोली जा रही है। दोनों हाथ में लड्डू लेना। इशारा अपने फूलपेंटधारी की तरफ है। जो कि मंदिर के साथ-साथ अब अपनी कुर्सी स्मार्ट भवन में भी जमाना चाहते है। उनकी दिली इच्छा है कि स्मार्ट भवन में भी कामकाज संभाले। सीधी भाषा में वह भुगतान संबंधी विभाग के मुखिया बनना चाहते है। अब देखना यह है कि बाबा उनके दोनों हाथ में लड्डू देते है या एक हाथ में। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

गुहार …

अपने पंजाप्रेमी पहलवान ने गुहार लगाई है। पुत्र मोह के चलते। दाल-बिस्किट वाली तहसील के पंजाप्रेमी पहलवान ने। गुहार यह थी कि 376 में प्रकरण दर्ज कराने वाली पंजाप्रेमी नेत्री को हटाया जाये। कम से कम नेत्री से महाकाल की नगरी का प्रभार छीन लिया जाये। राजधानी में उन्होंने गुहार लगाई थी। आश्वासन भी मिला था। मगर परिणाम उल्टा निकला। पंजाप्रेमी नेत्री उनकी गुहार के बाद अभी-अभी आई थी। बैठक करके चली गई। अब पंजाप्रेमी बोल रहे है। पहलवान की गुहार को अनसुना कर दिया गया। जो कि सच भी है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

ऐसा भी होता है …

क्या हमारे पाठक इस बात पर भरोसा करेंगे। वर्दी एक बार अपनी जेब गर्म कर ले तो उस राशि को वापस भी कर सकती है। पहली बार में कोई भी इस बात पर भरोसा नहीं करेंगा। मगर यह घटना सच है। मक्सी रोड वाली वर्दी का मामला है। जहां पर एक दंपत्ति ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। बस वर्दी को मौका मिल गया। टू- स्टार वाले ने मकान अपने नाम करवा लिया। जबकि बाकी ने मिलकर डेढ पेटी झटक लिए। इस मामले का खुलासा हो गया। टू-स्टार को कप्तान ने हटा दिया। इधर वर्दी दंपत्ति को तलाश करने लगी। कारण … राशि वापस करनी थी। खोज पूरी हुई और डेढ पेटी वापस भी कर दी। अब वर्दी खुद बोल रही है। ऐसा भी होता है। तो सच ही बोल रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

कीमत …

एक बार फिर बात वर्दी की है। मगर उसके पहले पाठकों से एक सवाल। किसी भी वाहन के नम्बर प्लेट को बदलने की अधिकतम कीमत क्या हो सकती है। क्या 3 पेटी कीमत होगी। वाहन के नम्बर प्लेट को बदलने की। मामला ग्रामीण क्षेत्र की वर्दी का है। जिन्होंने लकड़ी तस्करों का ट्रक पकड़ा था। फिर घटना को छुपाये रखा। इस बीच लकड़ी तस्करों से सौदा हो गया। 3 पेटी मिल गई। तो ट्रक की नम्बर प्लेट चुपचाप बदलवा दी। ऐसी चर्चा वर्दी के बीच सुनाई दे रही है। अब इस मामले में अपने कप्तान ने सख्ती दिखाई है। वर्दी की छबि पर दाग लगा है। इसलिए कप्तान की नजरे अब इस थाने पर जम गई है। देखना यह है कि कप्तान की नजरे आगे जाकर क्या गुल खिलाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

पावर …

ताकत मिलते ही इंसान तत्काल अपना स्वभाव बदल देता है। तभी तो नवगठित मंदिर समिति के एक सदस्य ने पावर दिखा दिया। रक्तदान का शतक बना चुके सदस्य के प्लाट का मामला है। जहां से सीवरेज लाइन निकलनी थी। रक्तदानी तब तक चुप थे। जब तक वह सदस्य नहीं बने थे। सदस्य बनते ही उन्होंने अपना ऐसा पावर लगाया कि सीवरेज लाइन का रास्ता ही बदल गया। स्मार्ट भवन में तो यही चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

– प्रशांत अंजाना

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