हम चुप रहेंगे (18 अप्रैल 2022)

तनातनी …

राजनीति का पहला सबक यही सिखाता है। कितनी भी दुश्मनी हो? उसको जगजाहिर नहीं किया जाये। बस … मौके का इंतजार करो… फिर वार करो। मगर विकास पुरूष- पहलवान और वजनदार जी की तनातनी, जगजाहिर हो रही है। अभी-अभी एक बैठक हुई थी। जिसमें तीनों मौजूद थे। मगर विकास पुरूष की इस बैठक में तनातनी साफ-साफ नजर आई। पहले अपने पहलवान, एक तो देरी से पहुंचे। अनमने से बैठे रहे। फिर बैठक अधूरी छोडक़र निकल गये।

इसके बाद अपने वजनदार जी पहुंचे। उन्होंने निर्माण एजेंसी के कार्य पर सवाल उठाया। जवाब यह मिला कि … राशि दे रहे है, तो काम करवा रहे है। जवाब देने वाले अपने विकास पुरूष थे। इस जवाब के बाद अपने वजनदार जी भी बैठक से खिसक गये। अब अधिकारी वर्ग में इस तनातनी को लेकर चर्चा है। मगर हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

जा रहा हूं…

कोठी स्थित स्मार्ट भवन के गलियारों में खबर सुनाई दे रही है। जिसमें इशारा अपने पपेट जी की तरफ है। जिन्होंने अब बाबा की नगरी को अलविदा कहने का मूड बना लिया है। दबी जुबान से गलियारों में चर्चा है। अपने पपेट जी ने किसी को बोला है। अब मैं जा रहा हूं… मगर जाने से पहले यह काम कर दूंगा। अब इस बात में कितनी सच्चाई है। इसका फैसला तो हमारे पाठक खुद अपने विवेक से कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

इरादा …

अपने पपेट जी रूकेंगे या जायेंगे? इसका तो फैसला आने वाली सूची में तय होगा। मगर कोठी के गलियारों में यह चर्चा है कि अपने 7 जिलों के मुखिया ने इरादा कर लिया है। बाबा महाकाल की नगरी से जाने का। उनका इरादा भी पक्का है। वैसे भी वह जब से आये है, अनमने मन से ही काम कर रहे है। अब देखना यह है कि उनके इरादे पर अपने मामाजी की मोहर कब लगती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

आंखो देखी …

चुप रहेंगे के कई पाठक हमारी आंखे है। जो कहीं कुछ देखते है। तो अपुन को तत्काल फोन कर देते है। ऐसा ही एक फोन हमारे एक पाठक ने शनिवार की मध्यरात्रि को किया। पिछले सप्ताह का मामला है। उसने बताया कि … अभी-अभी अपने पपेट जी को देखा था। जो छुकछुक गाड़ी में सवार हुए है। यह गाड़ी पिंक सिटी की और रवाना होने वाली थी।

अपने पपेट जी इसी में सवार हुए और इतवार को गायब रहे। सोमवार को हाजिर हो गये। जिसकी भनक कानो-कान किसी को भी नहीं लग पाई। अब सवाल यह है कि अपने पपेट जी की इस गोपनीय यात्रा का मकसद क्या था। जिसको लेकर हमको कुछ पता नहीं है। तो फिर हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कैमरे भी बंद …

पिछले सप्ताह हमने इसी कालम में लिखा था। चक्रम की एक परीक्षा को लेकर। जिसमें नाम के आगे डॉक्टर लिखने का हक हासिल होता है। इस परीक्षा में एक अतिविशिष्ट महिला भी शामिल हुई थी। जिसको लेने तिरंगे वाला सरकारी वाहन आया था। उसी को लेकर चक्रम के गलियारों और कमलप्रेमियों में सुगबुगाहट है।

सुगबुगाहट इस बात को लेकर है कि … अतिविशिष्ट महिला की पहचान उजागर ना हो जाये? इसलिए उस दिन परीक्षा केन्द्र के सीसीटीवी कैमरे भी बंद करवा दिये गये थे। इस बात में कितना सच और कितना झूठ है। यह तो चक्रम वाले बता सकते है या फिर कमलप्रेमी। हमको तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गोपाल की …

मूर्धन्य साहित्यकार अमृतलाल नागर की कालजयी रचना है। जिसका नाम सबहि भूमि गोपाल की है। इस रचना को इन दिनों अपने कमलप्रेमी याद कर रहे है। क्येांकि मामला देवास रोड की जमीन से जुड़ा है। यह जमीन 14 महीने की पंजाप्रेमी सरकार के दौरान एक दरबार ने खरीदी थी। तब इस मामले में पेंच फस गया था।

बेचनेवाले ने धोखा किया और अपने चरणलाल जी को बीच में डाल दिया था। मगर, खरीददार दरबार ने कदवाली से प्रेशर लगाकर अपने चरणलाल जी को आऊट करवा दिया था। अब इस मामले में विकास पुरूष के करीबी ने फच्चड फसा दिया है। जिनको कमलप्रेमी सेठ के नाम से बुलाते है।

सेठ ने सीधे-सीधे ऐलान कर दिया है। आधी जमीन हमारे नाम कर दो। वरना कालोनी नहीं काट सकते हो। बेचारे … खरीददार दरबार परेशान है। सब जगह कोशिश कर चुके है। मगर कोई हल नहीं निकल रहा है। इसलिए चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रवानगी …

आखिरकार पाप का घडा कभी तो फूटता ही है। ऐसी कहावत हमारे पाठकों ने सुनी होगी। जिसको इन दिनों कई फूलपेंटधारी दबी जुबान से बोल रहे है। इशारा मंदिर से जुड़े एक ट्रस्ट की तरफ है। जिसके 2 पदाधिकारियों की आखिरकार रवानगी हो गई है। कारण … पद पर रहकर, प्रभाव दिखाकर, दोनों पदाधिकारियों ने निजी संपत्ति बनाई है।

अंदरखाने की खबर है कि बकायदा लिखित में शिकायत हुई थी। नतीजा सुखद निकला। ऋषिनगर क्षेत्र के प्रभावशाली फूलपेंटधारी और भोजनालय चलाने वाले फूलपेंटधारी की रवानगी हो गई है। ऐसा हम नहीं, बल्कि फूलपेंटधारी ही बोल रहे है। मगर हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

वर्चस्व …

मंदिर के गलियारों में इन दिनों वर्चस्व की लडाई सुनाई दे रही है। जिसको लेकर यह कहावत भी दबी जुबान से बोली जा रही है। 2 पाटन के बीच में साबूत बचा ना कोय। इशारा अपने मंदिर के फूलपेंटधारी की तरफ है। जो कि इन दिनों सिंह राशि वाली 2 शेरनियों को लेकर परेशान है। दोनों शेरनियां अपने-अपने वर्चस्व को लेकर अकसर लड-झगड लेती है। नतीजा … अपने फूलपेंटधारी को शांत कराने के लिए दोनों को अलग-अलग बैठाकर समझाना पड़ता है। अब देखना यह है कि वर्चस्व की लडाई में किस शेरनी की विजय होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

भक्त …

इस तस्वीर को गौर से देखिए। जिसमें वर्तमान मुख्यमंत्री के साथ भविष्य के मुख्यमंत्री भी नजर आ रहे है। सोशल मीडिया पर यही लिखकर पोस्ट अपलोड की गई है। बधाईयां भी मिलनी शुरू हो गई है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

आभार …

मशहूर चित्रकार मुकेश बिजौले का दिल से आभार। जिन्होंने चुप रहेंगे के लिए विशेष तौर पर लोगो का रेखांकन किया है। हम उनके दिल से आभारी है।

– प्रशांत अंजाना

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