प्रदूषण प्रदूषित कर सकता है भाजपा, कांग्रेस का गणित

इसी बात से लगा लेना मेरी शोहरत का अंदाजा,
वह मुझे सलाम करते है, जिन्हें तू सलाम करता है।
इंसान की अच्छाई पर सब खामोश रहते है,
चर्चे अगर उसकी बुराई पर हो तो गूँगे भी बोल पड़ते है।

झाबुआ। ये पंक्तियां उस हकीकत से काफी करीब लगती है जिसमें जनबल के आगे धनबल को महत्व दिया जाता है। जनता के बीच जिन्होने अपनी सेवाओं का शिखर कायम किया था, उन्हें नकार कर धनबल को महत्व दिया जाता हो तो दुसरे शब्दों में कहें तो बगावत होना तय ही रहती है।

इन दिनों ग्राम चोपाल से शहर के चौराहे चुनावी चटखारे से चर्चाओं में हेै। ग्रामों में स्थिति स्पष्ट हो चुकी किंतु जनपद व जिला पंचायत में सब अपने अपने तर्क दावे व्यक्त कर रहे है। शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय के चुनाव सीधे पार्षद द्वारा अध्यक्ष चुने जाने से सबकी नजर मलाईदार पद पार्षद हेतु लगी है। पार्षद प्रत्याशी मतदाताओं को साधने में जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं। जिले में औद्योगिक नगर मेघनगर में ही नगर परिषद के चुनाव होने से सभी की नजरे यहां 13 जुलाई को होने वाले चुनाव पर है। 15 वार्डो में विभाजित नगर परिषद में अध्यक्ष पद आरक्षित (अजजा का) है। वही कुछ पार्षद अनारक्षित वर्ग में महिला के होने से कई नई-नेत्रियां भी उभर कर आई है।

कुछ ही नाम इनमे सक्रिय हे जैसे सायदा भाभर, शांति सोलंकी, प्रेमलता मारू, ज्योति नटवर बामनिया। भाजपा, कांग्रेस व निर्दलीय सभी महिला पार्षद में नए नाम भले हो किंतु चुनावी चौसर की चाल इनके परिजन, कही पति तो कहीं पुत्र सम्हाल रहे हैे। अध्यक्ष पद आरक्षित हैे तो उपाध्यक्ष पद हेतु अभी से जोर आजमाइश भी चल रही है,े पर पहले पार्षद चुनाव जीतने में ही पसीने छूट रहे हेै।

अधिकांश पूर्व पार्षदों को मतदाताओं के मौेन आक्रोश व क्षेत्र में मुख्य मुद्दा नगर के मतदाताओं को केमिकल फैक्ट्रियो का प्रदूषण के प्रभाव से जूझना पड़ रहा है। भाजपा ने प्रथम नगर परिषद बनने व पहले कार्यकाल में इस मुख्य मुद्दे को गौण रखा। नगर सहित कई कालोनीवासी शाम ढलते ही केमिकल फेक्ट्रियो से निकलने वाली जहरीली गैस के प्रभाव से श्वास लेना भी दुभर महसूस कर रहे हैे।

फसले चौेपट हो रही वही दूषित जल जानवरो को लील रहा है । पूर्व में कांग्रेस ने जहर उगलती फेक्ट्रियों के खिलाफ बड़ा आंदोलन भी किया था। जयस ने भी केमिकल फेक्ट्रियों के मुद्दे पर आक्रामक तेवर किए थे, किंतु उनकी आवाज सत्ता की चमक तथा उद्योगपतियों की कुछ स्थानीय नेताओं की सिक्कों की खनक के आगे नकारा साबित हुई। कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद भी पेयजल व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। भूमाफिया की मनमानी व स्थानीय एसडीएम की उनसे मिलीभगत या मौेन स्वीकृति भी मुख्य मुद्दा है। कई आदिवासी की जमीन पर भी भूमाफियाओं की गिद्ध नजरे लगी रहती है। उखड़ी सडक़ व लचर उत्कृष्ट विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था भी मुख्य मुद्दा है।

दलों के दिग्गजों की दाल गलने में बागी बने बाधक

मेघनगर के 15 वार्डो में दो वार्डो को छोड़ हर वार्ड में निर्दलियों ने भाजपा,कांग्रेस की नींद उड़ा रखी हे। वार्ड क्रमांक 6 में दोनो दलों की दाल पतली है । यह दोनो तीसरे चौथे स्थान पर बनी हुई है। वार्ड नंबर 2,3,5,7,8 में भी निर्दलीय भारी है। राजनीति विश्लेषको के अनुसार वार्ड नंबर 10, 11, 13, 14 में कांग्रेस का दबदबा बनता दिखाई देने लगा तो वार्ड क्रमांक 5 में भाजपा निर्दलीय में मुकाबला होने के आसार है।

वार्ड क्रमांक 8 में भी भाजपा निर्दलीय में मुख्य टक्कर हेै। वार्ड 12 में कांग्रेस,भाजपा निर्दलीय में त्रिकोणीय स्थिति के कड़े मुकाबले के आसार तो वार्ड दो में भी स्थितियां बारह सी बनने लगी हैे। कुल मिलाकर भाजपा कांग्रेस ने अपने समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को टिकिट नही देते हुए धनबल पर भरोसा किया तो जनबल वाले कार्यकर्ता दोनो दल से बागी के रूप में मैदान में उतर भाजपा,कांग्रेस के छक्के छुड़वाने में लगे हैे। इसी लिये अन्त में ऐसे लोगों की भावना प्रकट होती है कि –
कर लो नजर अंदाज अपने हिसाब से,
जब हम करेगे तो बेहिसाब करेगे।

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