जो जीता न सके अपने वार्ड, दावा कर रहे जिला पंचायत पर कब्जे का

इसी होनी को तो कि़स्मत का लिखा कहते हैं
जीतने का जहाँ मौक़ा था वहीं मात हुई,
लोकतंत्र जब अपने असली रंग में आता हैं,
तो नेताओं की औकात का पता चल जाता हैं
 झाबुआ। ये बाते त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम घोषित होने के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर चल रही राजनीति लुका छिपी को लेकर सही दिखाई देती है।

राजनीति भी अजीबो गरीब होती है। राजनीति में न कोई सच्चा दोस्त होता और न ही दुश्मन। जिला पंचायत पर शुरू से ही कांग्रेस का कब्जा रहा। यहा पूर्व कांग्रेस नेत्री स्व.कलावती भूरिया ने एक छत्र राज किया। 2003 में जब जिले से कांग्रेस का सुपड़ा साफ हो गया था और माना जा रहा था की अब जिले से कांग्रेस की दशकों तक के लिए रवानगी हो गई ऐसी विषम परिस्थिति में भी स्व. कलावती ने जिला पंचायत के माध्यम से वनांचल में कबर में जाति कांग्रेस को राजनीति की ऊर्जा दी व कांग्रेस का वजूद बरकरार रखा। उनके निधन के बाद हालाकि कांग्रेस ने जोड तोड़ कर कमलनाथ सरकार में रिक्त हुई जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर शांति राजेश डामर को हस्तांतरित कर पाई,किंतु शांति कलावती की धरोहर का जिम्मा ठीक से निभाने में असक्षम रही।

जिसका नतीजा इस जिला पंचायत में कांग्रेस को एक वार्ड का और नुकसान हुआ। बीते जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस के 7 वार्ड थे तथा कलावती ने कूटनीति अपनाते हुए एक वोट क्रास वोटिंग करवा कर कांग्रेस की जिला पंचायत बनाने में सफल हुई थी। इस बार के परिणाम बड़े रोचक सामने आए हे। जिला पंचायत के कुल 14 वार्डो में से 6 पर सत्तारूढ़ भाजपा समर्थित तो 6 पर कांग्रेस समर्थित सदस्यो ने जीत हासिल की एक वार्ड पर कांग्रेस से जिला पंचायत सदस्य रहे अकमल मालू जो की इस बार भी किसी भी दल के अधिकृत प्रत्याशी नही थे उन्होंने निर्दलीय खड़े होकर जीत हासिल की तो वार्ड क्रमांक 9 में जयस ने जिले के किसी बड़े चुनाव में अपना खाता खोला यह जयस की उच्च शिक्षित युवती रेखा निनामा ने कांग्रेस भाजपा को टक्कर दे कर बड़ी जीत हासिल की।

अब जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए निर्दलीय अकमल मालू और जयस की रेखा निनामा पर भाजपा कांग्रेस दोनो ही दलों की नजरे लगी हे। हालाकि अकमल मालू पूर्व में भी जिला पंचायत सदस्य रह चुके ओर उपाध्यक्ष के लिए दावेदारी कर चुके है किंतु कांग्रेस ने अकमल के स्थान पर चंद्रवीर लाला को तवज्जो दे कर उपाध्यक्ष बनाया था तभी से अकमल कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। इस बार गेंद अकमल के हाथो में है। इधर जयस की रेखा निनामा को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनाने हेतु जयस संगठन स्तर से से सभी प्रयास किए जा रहे जो राजनीति की जोड जुगाड़ के लिए वाजिब माने जाते हे। रेखा निनामा को थांदला के पूर्व विधायक और जनजातीय मोर्चा के समर्थक प्रदेश अध्यक्ष कलसीह भाभर का सदस्य मान रहे।

इसके पीछे का तर्क भी देते हे की भगोरिया में मुख्यमंत्री के आगमन के दौरान कलसीह भाभर ने रेखा को आदिवासी नृत्य दल के माध्यम से आमंत्रित कर मुख्यमंत्री से मिलवाया था। उधर कांग्रेस रेखा के परिवारिक पृष्ठ भूमि को ले कर आश्वत है की रेखा निश्चित ही कांग्रेस को समर्थन करेगी। वैसी भी भाजपा जयस को कांग्रेस की बी टीम बताती है अब अध्यक्ष बनने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनो ही दलों के प्रमुखों द्वारा अपना अध्यक्ष बनने के दावे किए जा रहे परंतु आश्चर्य तो यह की दोनो ही दलों के दिग्गजों की स्थिति यह हे की वो दिग्गज अपने ही ग्रह क्षेत्र से अपने दल से समर्थित प्रत्याशी को जीत नही दिला पाए।

भाजपा सांसद गुमान सिंह डामोर अपने भाई को नही जितवा पाए,जिलाध्यक्ष लक्ष्मण नायक के गृहनगर मेघनगर के रंभापुर वाले वार्ड से भाजपा को हार मिली तो पूर्व विधायक जनजातीय मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कलसिंह भाभर भी अपने ग्रह क्षेत्र के प्रत्याशी को जीत दिलाने में असमर्थ रहे पूर्व राज्य मंत्री और विधायक निर्मला भूरिया भी अपने गृह क्षेत्र मछलिया वाले वार्ड से भाजपा को नही जीता सकी।उधर कांग्रेस की बात करे तो कांग्रेस के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया और प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष के ग्रह नगर मोर डुंडिया से कांग्रेस समर्थित सरपंच हार गए एवं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष स्व. कलावती के वार्ड 6 में भी भूरिया परिवार का सदस्य भाजपा को हरा न सका।

अब भाजपा और कांग्रेस के यही नेता जो अपने ग्रह क्षेत्र के वार्ड ही अपने दल के खाते में नही डाल सके दिग्गज बन जिला पंचायत अपनी बनाने की ताल ठोक रहे। कांग्रेस हो या भाजपा दोनो ही दलों के समर्थक प्रत्याशी अपनी मेहनत के बल पर चुनाव जीत कर जिला पंचायत तक पहुंचे ऐसे में हर महिला प्रत्याशी या उनका परिवार,ओर समर्थक चाहेगा की अध्यक्ष बने।कांग्रेस की ओर से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शांति राजेश डामोर,ओर पूर्व विधायक स्व. रतन सिंह भाभर की पुत्र वधू,पूर्व जिला पंचायत सदस्य जसवंत भाभर की पत्नी सोनल भाभर को अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा चल रही हे। भाजपा की ओर से हर्षिता मसानिया व अनु अजमेर सिंह के नामो को ले कर चर्चा हे। दोनो ही दल जयस की रेखा, व निर्दलीय अकमल मालू को भुनाने की पुर जोर कोशिश में लगे हे साथ ही राजनीतिक गुणा भाग के तहत क्रास वोटिंग का लालीपाप भी हाथ लिए चल रहे हे।

इसीलिये यह कहना भी ठीक होगा कि

मुर्दा लोहे को औजार बनाने वाले,अपने आँसू को हथियार बनाने वाले,
हमको बेकार समझते हैं सियासतदां,मगर हम है इस मुल्क की सरकार बनाने वाले।

बाबू बनने गया जेंटल मेन महिला कर्मचारी ने उतार दी लू

हमेशा अपनी कारगुजारियो ओर कर्तव्य हो या भ्रष्टाचार को ले कर सुर्खियों में रहने वाले स्वास्थ्य विभाग में आए दिन कोई न कोई कारनामा सामने आना अब कोई नई बात नही रह गई। पर आश्चर्य यह की इतना सब कुछ होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी से ले कर प्रशानिक तंत्र में जिम्मेदार ओहदे पर बैठे अधिकारियों के कानो पर जूं तक नहीं रेंगती इस से या साबित होता हे की पूरा के पूरा लोकतंत्र हो या कार्यपालिका सभी कुंभकरणीय नींद सोए हुए हे ताजा मामला जिला चिकित्सालय में तीन दिन पूर्व उस समय सामने आया जब साहब के मुंह लगे एक बाबू की लूं एक महिला नर्स ने उतार दी।

डर असल यह बाबू वास्तव में मेघनगर में पदस्थ हो कर लंबे समय से जिला चिकित्सालय में शासन के नियम विपरीत अटैच हो कर जिला स्वास्थ्य अधिकारी का लक्ष्मीपुत्र बना हुआ हे। इसी के चलते यह बाबू चूहे को चिंदी मिलने पर बजाजी बन बैठने वाली हरकतों से बाज नहीं आता किंतु बताते तीन दिन पूर्व यही बाबू परिसर में एक महिला नर्स जिसने कोविड काल में दिन रात सेवाएं दे कर स्वास्थ्य महकमे का नाम रोशन किया उसी से आवंटित आवास खाली करवा कर किसी अन्य ऐसे कर्मचारी को दिलवाना चाहता था

जिसने इस बाबू को बड़ी भेंट साहब हेतु सौंपी थी बस फिर क्या था बाबू ने आव देखा न ताव पहुंच गया महिला नर्स के आवास पर और साहब के नाम और रोब से आवास खाली करने को ले कर धमकाने लगा आवास खाली करने की धमकी से महिला नर्स भडक़ गई और आवास खाली करवाने गए बाबू को खूब खरी खोटी सुनाते हुए लूं उतार दी। अपनी इज्जत का पंचनामा सार्वजनिक रूप से होने के चलते बाबू भीगी बिल्ली बन वहा से रवाना हो गया। चिकित्सालय परिसर और कार्यालय में खबर लगते ही कर्मचारी चटखारे ले रहे है।

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