धन है पर परोपकारी नहीं तो वो धनवान किसी काम का नहीं

शिव महापुराण कथा में महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने कहा

उज्जैन, अग्निपथ। किसी के पास रूप है पर गुण नहीं तो रूप उसके किसी काम का नहीं, विद्या है पर विनम्रता नही ंतो विद्या किसी काम की नहीं, बल है पर अहिंसक नहीं तो उसका बल किसी काम का नहीं। धन है वो परोपकारी नहीं तो वो धनवान आदमी किसी काम का नहीं। ये चार स्थिति जिसके पास नहीं है उसे भाग्य से जो भी मिला है वो खत्म हो जाएगा, और जिसके पास यह है उसके पास धन सम्मान, प्रतिष्ठा, अमीरी नहीं है तो भी उसके पास ये चार चीजें हो जाए तो वह सब प्राप्त कर लेगा।

उक्त बात नृसिंह घाट के समीप स्थित झालरिया मठ में चल रही शिव महापुराण कथा में 1008 महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने कही। स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने कहा हमारा शरीर स्वस्थ बलशाली होना चाहिये, विकास, बौध्दिक, मानसिक, आत्मिक, सामाजिक, आर्थिक बल होने चाहिये। ये छह बल जिसके पास है वो वर्तमान में पूजा जाएगा, सम्मान मिलेगा। जिनके पास विद्या नहीं है वे झूठे स्वाभिमान के पीछे लड़ेंगे मरेंगे।

भगवान महावीर अहिंसा वादी थे, प्रभु राम अहिंसावादी थे बलवान थे जिनमें बल होता है वे हिंसा को जगह नहीं देते, घर में भी जिसमें बल, गुणवत्ता की कमी है वही हिंसा करता है। जिसने मोबाईल बनाया उसे कोई नहीं जानता लेकिन जिसने श्रीमद् भागवत बनाई उसे सब जानते हैं, रामायण रचियता को सब जानते हैं, भागवत रचियता को सब जानते हैं मोबाईल, कैमरा बनाने वाले को कोई नहीं जानता ये आर्टिफिशियल है ज्यादा नहीं चलेगा।

जिनके पास ज्ञान है उनके पास सामर्थ्य चलकर आता है, ज्ञान का सही उपयोग नहीं किया तो सामर्थ्य भी चला जाता है। सामर्थ्य पूंजी है, ज्यादा धनवान हो जाना विकास नहीं है, केवल विकास का अंग है। जो धन परोपकार के लिए काम आता है उसको सम्मान मिलता है। माता पिता केवल धन दान कर सकते हैं, धन, बल, बुध्दि नहीं, ये स्वयं बनाना पड़ता है। प्रकृति हमको लौकी, गिल्की, गंगाफल, काशीफल, टमाटर, निंबू देती है, ये हमारे उपर है हम निंबू की शिकंजी बनाते हैं या दूध फाड़ते हैं। परिवार, समाज, देश का नाम बढ़ाना हमारा कर्तव्य है, जिस माता पिता ने जन्म दिया उनका नाम बढ़ाना, प्रतिष्ठा बढ़ाना हमारा कर्तव्य है।

केवल धन बढ़ाने वाली औलाद नहीं चाहिये, कर्म और धर्म के दो पहिये पर जो जीता है उसकी गाड़ी कभी पंचर नहीं होती। महेन्द्र कक्कड़, ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 12 अगस्त तक चलने वाली कथा में श्रावण मास में ज्योतिर्लिंगों की कथा महाराजद्वारा सुनाई जा रही है। साथ ही झालरिया मठ में शिव महापुराण कथा, शिवलिंग अर्चन रूद्राभिषेक, कालसर्प, महाकाल, गोपूजन, पितृदोष निवारण किया जा रहा है। प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक चल रही कथा का सीधा प्रसारण संस्कार टीवी पर भी हो रहा है।

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