पुलिस प्रशासन की सजगता से मात्र 12 घंटे में अभिभावकों का लगाया पता
नागदा, अग्निपथ। नागदा लायंस ऑफ़ नागदा की स्थाई परियोजना और दिव्यान्गजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश की सर्वश्रेष्ठ संस्था के राष्ट्रीय पुरूस्कार से सम्मानित संस्था स्नेह की टीम ने एक बार पुन: दिव्यांगजनों की प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए मात्र 12 घंटों में एक बौद्धिक दिव्यांग को उसके परिवार से मिलवाने में अहम् भूमिका अदा की।
स्नेह के परियोजना अधिकारी विप्लव चौहान ने बताया कि बुधवार रात्रि 11 बजे एक गुमशुदा बौद्धिक दिव्यांग बच्चे के मिलने के बारे में स्थानीय पत्रकार ब्रजेश बोहरा के द्वारा नागदा पुलिस के माध्यम से स्नेह संस्थापक पंकज मारू को जानकारी दी गयी। मारू स्वयं स्नेह टीम के महेश राठौर और चंदन सिंह के साथ तुरंत पुलिस थाना नागदा पर पहुंचे और बच्चे से बातचीत की।
बौद्धिक दिव्यांग की एक श्रेणी डाउन सिंड्रोम का लगभग 19 से 20 साल का वह बच्चा कुछ भी नही बता पा रहा था। 1 घंटे के प्रयास में स्नेह टीम ने उसकी पेंट पर टेलर की सील से ये समझा कि वो कोटा के आसपास क्षेत्र का है। रात 12.30 बजे टेलर का फोन नंबर पता कर उसे फोन किया पर उसने बताया कि उसका वो टैग 2 साल पुराना है। टीम ने फिर राष्ट्रीय न्यास की देश भर की सभी पंजीकृत संस्थाओं और विशेष रूप से राजस्थान में कोटा और सवाई माधोपुर की संस्थाओं को संपर्क कर सूचना दी।
बच्चे को रात में स्नेह पर स्टाफ के साथ रखा। सुबह तक सोशल मीडिया ने अपना काम किया और गुरुवार सुबह 9 बजे बच्चे के मामा जो भानपुरा में सोजतिया कॉलेज में कार्यरत है ने मारू से संपर्क किया और उसके अभिभावकों से विडियो कॉल पर उसकी पहचान की। दोपहर मे अभिभावकगण स्नेह पंहुचे किन्तु आश्चर्यजनक बात यह रही कि मात्र 12 घंटे स्नेह में बिताने के बाद बच्चा अपने अभिभावकों के साथ जाने को तैयार ही नहीं था और बमुश्किल उसे विश्वास में लेकर उसे अभिभावकों के साथ भेजा गया। नागदा पुलिस, स्नेह टीम और सोशल मीडिया के माध्यम से 12 घंटे से भी कम समय में इस बच्चे को परिवार से मिलाने के इस अनुकरणीय कार्य की देश भर के दिव्यान्गता क्षेत्र में कार्यरत सभी प्रबुद्धजनो ने संस्था स्नेह की भूरी भूरी प्रसंशा की।