आवेदन देख बिगड़ी नीयत,करवाया दूसरा आवेदन
अपने मतलब के लिये लोग, अक्सर बदल जाते हैं।
वे अपनो को पीछे छोड़ कर, आगे निकल जाते हैं।।
कोई मरता भी हो तो उनकी बला से।
वो तो मरे पर कदम रखकर, आगे बढ़ जाते हैं।।

 झाबुआ। ये पंक्तियां सामयिक दृष्टि से देखें तो इसलिये सामयिक लगती हे क्यो कि अंधे के हाथ बटेर लगी’ वाली कहावत इन दिनों जिले के थांदला राजस्व अनुभाग में खूब गूंजने लगी है। भ्रष्ट भानपुरा ने किस लिज़ जमीन रूपी बटेर हाथ लगते ही भूमाफियाओं से लाखो रुपए के वारे न्यारे कर कस्बा पटवारी असरफ कादरी को विभागीय कार्यवाही के तंदूर में झोैंक दिया दर असल जिले के थांदला ग्रामीण की काबिल काश्त की जमीन जिस पर राजस्व नही नगर परिषद का कब्जा होता है को लिज़ आवंटन प्रक्रिया में ले कर आवेदन करवा दिया। मामले पूरी कहानी की स्क्रिप्ट भ्रष्ट भानपुरा ने लिखी।

उक्त सर्वे नंबर 492/2 जिसका रकबा 0.43 वर्ग मीटर है के लिए झाबुआ निवासी जितेंद्र जगमालजी पटेल द्वारा मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50 के तहत घोषित नगर विकास स्कीम में स्थित नजूल भूमि लघु एवम कुटीर उद्योग जनजातीय समाज की पारंपरिक वस्तुओ का निर्माण तथा विक्रय केंद्र की स्थापना हेतु भूमि आवंटन हेतु दिनांक 21 मार्च 2022 में आवेदन किया । जबकि इसी सर्वे क्रमांक और इसी रकबे की भूमि को लीज हेतु थांदला निवासी वत्सल पिता किशोर आचार्य ने दिनांक 31 जुलाई 2021 आवेदन देकर नियमानुसार लिज़ राशि जमा करने संबंधी आवेदन किया था।

आवेदन झाबुआ अपर कलेक्टर से थांदला राजस्व विभाग में जांच व अग्रिम कार्यवाही हेतु आया था किंतु वत्सल आचार्य के आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं करते हुए भ्रष्ट भानपुरा ने अपने हाथ बटेर लगी देख अपने हम प्याला,हम निवाला विपुल को रात के अंधेरे में बुलवाकर उक्त जमीन की लिज़ हेतु प्रोत्साहित किया।

विपुल को लाखो रुपए मूल्य की इस भूमि में दिन में भी तारे नजऱ आने लगे जिसके चलते विपुल ने अपने विश्वसनीय झाबुआ निवासी जितेंद्र पटेल जिन्हे इन कामों का महारथी माना जाता है, से संपर्क कर वस्तुस्थिति से अवगत करवाया तथा भ्रष्ट भानपुरा से भेंट करवाई भानपुरा ने चित भी अपनी पट भी अपनी समझ पूरी कहानी की स्क्रिप्ट तैयार कर जितेंद्र पटेल के लिज़ आवेदन पर संपूर्ण राजस्व प्रक्रिया अपनाई। लिज़ होती तो जमीन का एक भागीदार खुद भ्रष्ट भानपुरा होता।

नही हुई मतलब साफ है कि आस पास के भूमालिक जो न केवल लक्ष्मीपति है, वरन भूमाफियाओं की गिनती में भी गिने जाते है, अपने शातिर दिमाग तथा अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए राजस्व निरीक्षक का डेढ़ पेज का जो पूर्व में पंचनामा बना था, उसे दबाव पूर्व हटवा कर तीन पृष्ठीय पंचनामा बनवाया तथा इस पंचनामा में भ्रष्ट भानपुरा ने कस्बा पटवारी की बलि देने उससे भी हस्ताक्षर करवा लिए।

कस्बा पटवारी ने न तो पंचनामा बनाया और न ही आदेश में उसका उल्लेख है। ताज्जुब की बात तो यह कि पटवारी का निलंबन आदेश भू अभिलेख राजस्व की कलेक्टर शाखा से निकला। इस आदेश की प्रतिलिपि खुद विभाग आयुक्त इंदौर,अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सहित खुद अधीक्षक भू अभिलेख को दी । यह कही न कही संदेह पैदा करने वाला लगता है।

एक पटवारी की बलि भ्रष्ट ने लेली और जिले का पटवारी संघ अब तक मौेन हे। संघ पटवारी के निलंबन का विरोध नही करता तो भविष्य में भूमाफियाओं और भ्रष्टों किं कारगुजारियो की भेंट चढ़ते रहेंगे। अंत में भानपुरा जैसे लोगों की करतूतो पर यही कहना सामयिक होगा कि –

ईमानदारी की उम्मीद किससे करें।
यहां चमड़ों से बने लोग पन्नों में बिक जाते हैं।
दुनिया की बातों से कोई पार नहीं पाता, दुनिया को तो बस कहना आता।
इन्हे तो बस चाहिए कोई बकरा, जिसका दे ये सिर चकरा।

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