महाकालेश्वर मंदिर की एफडी बीओआई से एचडीएफसी बैंक में ट्रांसफर!

महाकालेश्वर मंदिर shikhar

प्रशासक ने मामला होल्ड पर रखा

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में शुक्रवार को सरकारी बैंक में जमा की हुई एफडी को एक निजी बैंक में ट्रांसफर की खबर से बवाल मच गया। मंदिर गलियारों में इस बात की चर्चा चल निकली कि निजी बैंक में महाकालेश्वर मंदिर की संपत्ति कैसे ट्रांसफर की जा रही है। कहीं इसके पीछे कमीशन का खेल तो नहीं है। लेकिन महाकालेश्वर मंदिर एक्ट की उपविधि में भी संपत्ति हस्तांतरण किसी भी बैंक या संस्था तक में जमा करने का प्रावधान है।

महाकालेश्वर मंदिर की पूरे प्रदेश में सैंकड़ों चल और अचल संपत्तियां हैं। बैंकों में भी मंदिर की एफडी जमा की जा रही हैं। शुक्रवार को जानकारी में आया कि मंदिर प्रशासन ने सरकारी बैंक बैंक ऑफ इंडिया में जमा मंदिर के 5.50 करोड़ निजी बैंक एचडीएफसी में ट्रांसफर कर दिये हैं। मंदिर में इस बात की भी चर्चा चल निकली कि महाकालेश्वर मंदिर एक्ट में इस तरह का कोई नियम नहीं है कि निजी बैंक में मंदिर की परिसंपत्ति ट्रांसफर की जा सकती है। संपत्ति को सरकारी बैंक में ही रखना हितकर रहेगा। लेकिन इस चर्चा पर विराम उस समय लग गया जब जानकारी में आया कि मंदिर प्रशासन ने महाकालेश्वर मंदिर एक्ट में समाहित उपविधि से ही संज्ञान लेकर सरकारी बैंक से इतनी बड़ी एफडी निजी बैंक में ट्रांसफर करने का मन बनाया है।

4.1 की जगह 7.1 प्रतिशत मिलेगा ब्याज

महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने इस बात की चर्चा करते हुए बताया कि एक्ट के अलावा एचडीएफसी बैंक 7.1 प्रतिशत के लगभग ब्याज अदा करने के लिये तैयार है। जबकि बैंक ऑफ इंडिया अभी इस एफडी पर 4.1 प्रतिशत ब्याज का ही भुगतान कर रहा है। मंदिर की आय बढ़े इसके लिये निजी बैंक में एफडी डालने का निर्णय लिया है। मंदिर की 6 दूसरी परिसंपत्तियां भी एफडीएफसी बैंक में ही जमा हैं। वहीं बैंक ऑफ इंडिया में भी 5 परिसंपत्तियां जमा पड़ी हुई हैं। इस तरह से आईडीबीआई बैंक में भी 4 परिसंपत्तियां जमा हैं।

निजी बैंक देती है कमीशन

मंदिर में इस बात पर भी चर्चा चल रही कि निजी बैेंक बड़ी रकम उनके खाते में ट्रांसफर करवाने की ऐवज में कमीशन भी देते हैं। हो सकता है कि इसी कमीशन के वशीभूत होकर एफडी को सरकारी बैंक से निजी बैंक में ट्रांसफर किया जा रहा है। इनमें मंदिर की लेखा शाखा के कर्मचारियों की लिप्तता भी हो सकती है। इस बात को लेकर भी चर्चा का बाजार गर्म है। हालांकि इस मामले को प्रशासन ने होल्ड पर रखा है।

लीगल, 12 साल से जमा हो रहीं एफडी: जानकारी लगने पर उन्होंने एफडी को फिलहाल ट्रांसफर करने से रोक दिया है। लेकिन पुराना रिकार्ड उठाने पर देखा जाय तो विगत 12 साल से मंदिर की परिसंपत्तियोंं को निजी बैंकों में जमा किया जा रहा है। यह मामला कोई नया नहीं है।

– संदीप सोनी, प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर

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