उज्जैन जेल में 14 करोड़ का डीपीएफ गबन कांड: जेल अधीक्षक को गृहमंत्री की दो टूक-रिपोर्ट मिलने पर करेंगे कार्रवाई

मंत्री डॉ. यादव के घर संवेदना व्यक्त करने आये थे गृहमंत्री मिश्रा, जेल अधीक्षक रखना चाहती थीं अपना पक्ष

उज्जैन, अग्निपथ। केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में हुए करोड़ों का डीपीएफ घोटाले में जेल विभाग की जांच पूरी हो गई। ट्रेजरी और पुलिस की चल रही है। अब तक किसी जांच का कोई निष्कर्ष सामने नही आया है,लेकिन गुरुवार को जेल अधीक्षक उषा राज को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा दिए जवाब से उनकी स्थिति स्पष्ट होती नजर आ रही है।

गृहमंत्री मिश्रा गुरुवार सुबह आए और महाकाल दर्शन के बाद उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के घर उनकी माताजी के निधन पर शोक व्यक्त करने पहुंचे। यहीं पर जेल अधीक्षक उषाराज कुछ फाईले लेकर उनसे मिलने पहुंची। मंत्री मिश्रा दो मिनट के लिए जेल अधीक्षक से एकांत में मिले।

अतिविश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि इस दौरान जेल अधीक्षक ने गबन के संबंध में बात करने की कोशिश की, लेकिन मंत्री मिश्रा ने उनकी बात अनसुनी कर देखेंगे कहकर रवाना कर दिया। मंत्री के इस दो टूक जवाब के बाद जेल अधीक्षक का चेहरा उतरा दिखाई दिया। उल्लेखनीय है भैरवगढ़ जेल में1० मार्च को कर्मचारियों के करीब १४ करोड़ रुपए का डीपीएफ कांड उजागर हुआ था। जेल अधीक्षक के अनुमति पत्र व उनकी आईडी पासवर्ड के जरिए राशि निकलने से वह भी जांच के घेरे में है। संभवत: इसीलिए वह मंत्री मिश्रा से मिलने गई थी। घोटाले मामले में मंत्री मिश्रा ने जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई का कहा है।

सोनू मालवीय की भूमिका

गबन कांड में सबसे पहले जेल में लेखा-जोखा संभालने वाले रिपूदमन का नाम सामने आया। केस दर्ज होने से पहले ही वह परिवार सहित भाग गया। मंगलवार को प्रहरी शैलेंद्र सिकरवार व धर्मेद्र लोधी खाते में करीब १० करोड का ट्रांजेक्शन सामने आते ही रफूचक्कर हो गए। सूत्रों के मुताबिक डीआईजी मंशाराम पटेल की जांच में मौजम खेड़ी के सोनू मालवीय की भी भूमिका सामने आई है। सोनू के रिपूदमन से घनिष्ठ संबंध बताए जाते है। बताया जा रहा है कि जेल डीजी रिपोर्ट मिलने के बाद जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई करेंगे। वहीं रिपोर्ट मिलने के बाद सोनू भी आरोपी बनेगा।

डीपीएफ कांड : अब तक

  • 10 मार्च : दो कर्मचारियों के राशि निकालने के लिए आवेदन में एक ही आईआईएफसी कोड नंबर होने से ट्रैजरी ऑफिसर को शक हुआ। कलेक्टर ने जेल से रिकार्ड तलब किया।
  • 12 मार्च : प्रथम दृष्टया१० करोड़ रुपए घोटाले का पता चलते ही कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने शासन व जेल डीजी को सूचना दी। रात 10 बजे लेखा जोखा संभालने वाला प्रहरी रिपुदमन घोटाला उजागर होने पर जेल अधीक्षक के सामने रोया और देर रात परिवार सहित फरार हो गया। मामले में जिला कोषालय अधिकारी सुरेंद्र भामर ने भैरवगढ़ थाने में केस दर्ज कराया।
  • 13 मार्च: जेल डीआईजी मंशाराम पटेल सात सदस्यीय टीम के साथ भैरवगढ़ जेल पहुंचे,जांच शुरू।
  • 14 मार्च : कर्मचारियों में आक्रोश,घोटाले की राशि १४ करोड़ पहुंची।
  • 15 मार्च : जेल अधीक्षक को हटाने की मांग करते हुए कर्मचारी परिवार सहित अनशन पर बैठे।

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