दीक्षा लेने के बाद सांसारिक घर पहुंची साध्वी सिद्धमपूर्णा 

परिवारजनों ने केसर-कुमकुम से करवाए पगलिया

नलखेड़ा, अग्निपथ। भगवती दीक्षा लेकर नगर की बेटी से साध्वी सिद्धमपूर्णा श्रीजी बनने के बाद पहली बार पहुंची नवदीक्षित साध्वी सहित साध्वी मंडल की का परिजनों द्वारा भव्य अगवानी की गई। परिजनों ने केसर-कुमकुम से साध्वी सिद्धमपूर्णा जी के पगलिये करवाए।

रविवार को प्रात: 7 बजे नूतन दीक्षित साध्वी सिद्धम पूर्णा जी जैन आराधना भवन से गाजे-बाजे तथा ढोल-ढमाकों के साथ खंडेलवाल कंपाउंड स्थित अपने सांसारिक माता-पिता के निवास पर साध्वी अमिपूर्णा श्रीजी आदि साध्वी मंडल के साथ पहुंचे। जहां पर परिवारजनों द्वारा साध्वी मंडल की अगवानी कर नूतन दीक्षित साध्वी जी के केसर – कुमकुम से सफेद वस्त्र पर पगलिया जी करवाया गए। इस अवसर पर साध्वी अमीदर्शा श्री जी ने कहा कि दीक्षा कार्यक्रम को लेकर आप सभी ने यहां ध्येय बनाया था कि कुछ भी हो हमें संयमी की दीक्षा अच्छे संपन्न करवाना है। इसके लिए आपने पूरी लगन व मेहनत की उसी का फल है कि नगर में संपन्न दीक्षा का यह कार्यक्रम ऐतिहासिक बन गया है।

समाज सहित अन्य समाज के लोगों ने लिए त्याग के नियम- नगर की बेटी संयमी तिलगोता द्वारा जैन दीक्षा अंगीकार करने के बाद उनके संयम जीवन की अनुमोदना के रूप में बड़ी संख्या में समाज सहित अन्य समाज के लोगों के साथ अन्य स्थानों से आए समाजजनों द्वारा भी अपने जीवन में इस दीक्षा के निमित्त कुछ न कुछ त्याग करने का नियम लिया गया। जिसमें कई लोगों द्वारा रात्रि भोजन के साथ कंदमूल, मिठाई का त्याग किया गया तो कई लोगों ने परमात्मा की पूजा, जीवदया के नियम का पालन करने का प्रण लिया और अपनी प्रिय वस्तुओं का त्याग करने का नियम लिया गया।

साध्वी मंडल का मंगल विहार आज होगा

दीक्षा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पधारी साध्वी अमीपूर्णा श्रीजी आदि ठाणा के साथ नूतन दीक्षार्थी साध्वीवर्या सिद्धमपूर्णा श्रीजी सोमवार दोपहर 3 बजे हनुमान मंडी जैन उपाश्रय से गाजे-बाजे के साथ लालूखेड़ी के लिए विहार होगा। जहां से अगले दिन सुसनेर के लिए विहार होगा।
नूतन दीक्षित साध्वी जी के प्रथम मंगल विहार मैं समाजजनों के साथ नगरवासी भी बड़ी संख्या में उनके साथ लालूखेड़ी तक पैदल विहार करेंगे। दीक्षा समारोह के इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पधारीं साध्वी अर्चपूर्णा श्रीजी आदि ठाणा का मंगल विहार रविवार शाम को सुईगांव के लिए हुआ।

संसार कभी ख़ुशी, कभी ग़म हैं: सिद्धम पूर्णा जी

नवदीक्षित साध्वी सिद्धमपूर्णा जी ने अपने प्रथम प्रवचन में कहा कि दीक्षा अंगीकार करने के बाद प्रथम बार गुरु मां के सांसारिक घर में आई हूं। एक ही रात्रि में महसूस हो गया कि संसार कभी खुशी, कभी गम है। जबकि संयम हर पल आनंद ही आनंद है। संसार में मां शरीर का ध्यान रखती है, परंतु गुरु मां आत्मा के साथ शरीर का भी ध्यान रखती है।

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