लिफाफा कांड: एडीजीपी वी. मधुकुमार को क्लीन चिट, निरीक्षकों के बयान से मिली राहत

अमेरिका के मोबाइल नंबर से वायरल किया था एडिट किया वीडियो

उज्जैन, अग्निपथ। लिफाफा कांड में फंसे आरटीआई एडीजीपी व जोन के पूर्व आईजी वी. मधुकुमार लोकायुक्त की जांच में बेदाग साबित हुए। मामले में पांच निरीक्षकों ने लिफाफे में रुपए नहीं बल्कि जांच रिपोर्ट सौंपने के बयान दिए हैं। वीडियो भी एडिट कर केलिफोर्निया के नंबर से वायरल होना सामने आया है।

सर्वविदित है 18 जुलाई 2020 को एडीजीपी मधुकुमार के परिवहन आयुक्त रहते वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें उज्जैन आईजी रहते आगर जिले के तत्कालीन पांच निरीक्षकों से लिफाफे लेते दिखाया था। घूस लेने की शंका में शासन ने उन्हें पद से हटाकर लोकायुक्त को जांच सौंपी थी। मुख्यालय के आदेश पर उज्जैन लोकायुक्त एसपी शैलेंद्रसिंह चौहान ने जांच की। पता चला वीडियो अमेरिका स्थित केलिफोर्निया के मोबाइल नंबर +1(408) 646-6417 से वायरल किया गया था। इसके लिए उपयोग किया मोबाइल अनरिचेबल मिला।

वीडियो में लिफाफे देते नजर आ रहे निरीक्षक सवाईसिंह नागर, राजेंद्र चतुर्वेदी, रमेशचंद्र सौराष्ट्रीय, गंगाभूषण सुमन व यशवंत राव गायकवाड़ ने बयान दिया कि लिफाफे में गोपनीय रिपोर्ट सौंपी थी। मधुकुमार ने भी लिफाफे में रिपोर्ट होना बताया। जांच पूर्ण कर एसपी चौहान ने रिपोर्ट मुख्यालय भेजी। नतीजतन रिश्वत लेना प्रमाणित नहीं होने पर लोकायुक्त ने एडीजीपी मधुकुमार को क्लीनचिट दे दी।

ऐसे पता चला एडिटिंग का

लोकायुक्त को जांच में पता चला कि वायरल वीडियो आगर स्थित रेस्ट हाउस पर 30 जनवरी 2016 की शाम को बना था। वीडियो में निरीक्षकों को इस तरह जल्दी कमरे में जाता दिखाया जैसे सभी लाइन में खड़े थे। यह भी स्पष्ट नजर आया कि वीडियो 18 जुलाई 2020 को ही एडिट किया गया था। कोई शिकायतकर्ता भी सामने नहीं आया और न किसी ने खिलाफ बयान दिए।

कप्तान से रंजिश भारी पड़ी

वर्ष 2016 में आईजी मधुकुमार से निजी कारणों से तात्कालीन एसपी नाराज थे। नतीजतन उनकी मंशानुसार एक हवलदार व तीन मीडियाकर्मियों ने उन्हें फंसाने के लिए उनके दौरे के दिन उस कमरे में गुप्त कैमरा फिट किया, जहां आईजी मातहतों से मिलने वाले थे। यहां मातहतों से लिफाफा लेकर अटैची में रखने की हुई रिर्काडिंग साढ़े चार साल बाद उन्हेें पद से हटाने के काम आई।

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