अनलॉक के बाद, बारी अब हमारी

मेरा शहर आज 60 दिनों की पाबंदी के बाद काफी हद तक बंधनों से मुक्त हुआ। मन में बस एक ही टीस रह गयी कि मेरे भोले बाबा का दरबार भक्तों के लिये नहीं खोला गया है। मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ जिला आपदा प्रबंधन समिति का, जिसने व्यापारियों को आ रही दिक्कतों को समझकर शहर के जागरूक मीडिया की आवाज को सुना और तत्काल ही दॉये-बॉये से हो रही समस्या से निजात दिलायी।

आज से मेरे शहर के बाजार गुलजार होंगे और पहले जैसी रौनक लौटेगी। लॉकडाउन के अनलॉक होने से मेहनतकश मजदूरों के हाथों को काम मिलेगा और वह अपने परिवार के लिये ‘दो जून की रोटी’ का प्रबंध कर सकेंगे। सुरसा की तरह बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल-खाद्य तेलों की कीमतों ने वैसे ही निम्न मध्यमवर्गीय और गरीब आदमी की जिंदगी में बहुत दिक्कतें खड़ी कर रखी है, और ऊपर से कोरोना के कारण हुए बंद ने उसकी कमर ही तोडक़र रख दी थी।

शासन-प्रशासन ने तो अपना काम कर दिया है, जितनी व्यवस्था उनसे हो सकती थी वह की, बारी अब हमारी है, उज्जैन के नागरिकों को अब खुद के लिये आचार संहिता बनानी होगी स्व अनुशासन में रहकर लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी और यह साबित करना होगा कि उज्जैन के निवासी देश के अनुशासित और देशभक्त नागरिक हैं।

कोरोना की भी यह कमजोरी है कि वह अनुशासन में रहने वालों का कुछ नहीं बिगाड़ पाता है वह सिर्फ उन्हीं लोगों को अपना शिकार बनाने में कामयाब होता है जो लक्ष्मण रेखा को तोड़ते हैं। मतलब साफ है कि कोरोना अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है कम जरूर हुआ है, यह कोरोना मायावी है, अदृश्य है, पलटकर आता है। यह पहले भी ऐसा कर चुका है, कम हुआ तो हम सब लापरवाह हो गये, कोरोना के बने नियमों को ताक में रखकर हम स्वच्छंद घूमने लगे, चुनाव-चुनाव खेलने लगे, हर-हर गंगे करके मेलों-ठेलों का आयोजन कर बैठे, हमारी इसी गलती और चूक का फायदा उठाकर कोरोना ने हम पर पलटकर वार किया। जिसकी बहुत बड़ी कीमत भारत को चुकानी पड़ी, हमारी पवित्र नदियां शव उगलने लगी, शमशान में जगह नहीं बची, शवों को मुक्त होने के लिये इंतजार करना पड़ा, ऑक्सीजन, इंजेक्शन, पलंगों, वेंटीलेटरों के लिये हाहाकार मच गया। लाखों भारतीयों को कोरोना ने चिरनिद्रा में सुला दिया, कई घरों के चिराग बुझ गये, हजारों बच्चे अनाथ हो गये उनके सिरों पर से माता-पिता का साया उठ गया, परिवार के परिवार खत्म हो गये।

इसलिये जो गलती हमसे हो चुकी है उसे अब वापस नहीं दोहराना है। कोरोना हमेशा के लिये चला गया है यह बात दिमाग से निकालना है और कोरोना की तीसरी लहर वापस लौटकर आयेगी इसे ही सत्य मानना चाहिये।

आने वाला समय हमारे लिये अग्नि परीक्षा का समय है हमें अपने आचरण में संयम बरत कर, अच्छे नागरिक होने का परिचय देकर, भीड़ भाड़ वाली जगहों से बचना होगा, दो गज दूरी के नियम का सख्ती से पालन करने और बिना मास्क के घर के बाहर नहीं निकलने की सौगंध खानी होगी, बार-बार हाथों को साबुन से धोना होगा। इन सब बातों का पालन करके ही हम कोरोना को हरा पायेंगे। सरकार ने अपना काम कर दिया है अब हमारी बारी है।

– अर्जुनसिंह चंदेल

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