अर्जुन सिंह चंदेल चुनाव का मौसम आते ही ‘आयाराम-गयारामों’ के शरीर में उनकी अंर्तचेतना जागृत हो जाती है। यह आयाराम-गयाराम आत्मा की आवाज पर अपनी मातृ संस्था को अलविदा कहकर दूसरे दल में प्रवेश कर जाते हैं। कई आत्माएं तो इतनी पवित्र होती है कि वह कई बार चोला (यानि […]