अपने साये में कार्यकर्ताओं को पुष्पित पल्लवित करने वाला बरगद खो दिया भाजपा ने

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मध्यप्रदेश सहित उज्जैन की भारतीय जनता पार्टी का एक सितारा 87 वर्ष की आयु में 7 अगस्त 2021 को अस्त हो गया। भाजपा में सुचिता की राजनीति करने वाले मध्यप्रदेश शासन के पूर्व शिक्षा मंत्री, वाणिज्यिक कर मंत्री, मध्यप्रदेश राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष, मध्यप्रदेश राज्य सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष एवं संगठन के अनेक पदों पर रहकर अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन करने वाले बाबूलाल जी जैन इस भौतिक दुनिया को अलविदा कह गये।

17 नवंबर 1934 को सामान्य वर्ग के प्रतापमल जी जैन के यहाँ बाबूलाल जी जैन का जन्म हुआ था। बचपन से कुशाग्र बुद्धि के बाबूलाल जी ने आगरा विश्वविद्यालय अंतर्गत माधव कॉलेज से सन् 1957 में बी.ए. की उपाधि हासिल कर ली थी, छात्र जीवन से ही उनमें नेतृत्व करने और कुशल संगठक के बीज गुणों का बीज अंकुरित होने लगा था। सन् 1973 में वह जयप्रकाश नारायण जी के आंदोलन से जुड़े और सन् 1975 में देश में आपातकाल लागू होने के बाद जेल यात्रा भी की।

बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से लगाव रखने वाले श्री जैन सन् 1977 में पहली बार उत्तर विधानसभा चुनाव क्षेत्र उज्जैन से विजयी होकर विधानसभा में पहुँचे उसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा वह महिदपुर विधानसभा से भी दो बार विधायक रहे। कहते हैं पवित्र बरगद के पेड़ में तमाम खूबियां होने के बाद एक यह रहती है कि वह अपनी सीमा में किसी अन्य पेड़-पौधों को पनपने नहीं देता, शायद वर्तमान भाजपा अन्य राजनैतिक दलों में होता भी यही है कि शातिर नेता अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में किसी कार्यकर्ता को पनपने नहीं देता है परंतु भारतीय जनता पार्टी में बाबूलाल जी जैन इसका अपवाद रहे।

वह जब तक पार्टी में प्रभावशाली रहे उनकी क्षत्र छाया में अनेक भाजपा कार्यकर्ता पल्लवित और पुष्पित हुए जो आप पार्टी की सेवा में रत हैं। भारतीय जनता पार्टी को अनेक समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ता देने का श्रेय बाबूलाल जी जैन को जाता है। मैं भी उन सौभाग्यशाली अनेकानेक कार्यकर्ताओं की सूची में से एक हूँ जिसे कुछ समय के लिये उनके सानिध्य में पार्टी की सेवा करने का अवसर मिला।
हंसमुख और सहन, सरल व्यक्तित्व के धनी श्री जैन से जो भी व्यक्ति एक बार मिलता था वह उनके जादुई और चुम्बकीय आकर्षण के कारण सदैव के लिये उनका प्रशंसक हो जाता था। विषम से विषम परिस्थिति में भी कभी उनके चेहरे पर तनाव परिलक्षित नहीं होता था। चेहरे पर सदैव मुस्कान उनकी पहचान थी। राजनीति में नकारात्मक वातावरण में उन्होंने सदैव सकारात्मकता की राजनीति की।

उज्जैनवासी इस शहर को दो सौगातें देने के लिये वर्षों-वर्ष उन्हें याद रखेंगे। पहली सौगात श्री बाबूलालजी के सहयोग से सन् 1993 में मिली थी, जब 300 बिस्तरों क्षमता वाले चेरिटेबल एण्ड रिसर्च सेंटर की स्थापना एवं सात वर्षों बाद सन् 2000 में रुक्मिणी बेन दीपचंद गार्डी मेडिकल कॉलेज को शहर में लाने का श्रेय भी बाबूलाल जी के ही खाते में जाता है।

वाणी में अत्याधिक मिठास के कारण स्नेहीजन उन्हें ‘मिश्रीलाल’ भी कहते थे। सचमुच उनके आत्मीयता भरे, स्नेह से भरपूर, वात्सल्य युक्त व्यवहार में मिश्री-सी ही मिठास की अनुभूति होती थी। उनका इस संसार से अलविदा होना उनके हजारों प्रशंसकों के लिये पीड़ादायक है। वहीं भारतीय जनता पार्टी की क्षति भी है। मिश्री की मिठास के पंचतत्व में विलीन हो जाने पर दैनिक अग्निपथ एवं चंदेल परिवार अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता है।

ओम शांति…

– अर्जुनसिंह चंदेल

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