यारों! कम से कम महाकाल मंदिर परिसर को तो मत बनाओ अखाड़ा

महाकालेश्वर मंदिर shikhar

बीते कुछ दिनों से इस पौराणिक नगरी (उज्जैन) के निवासियों के आराध्य देव, मृत्युलोक के राजा, देवो के देव, भूतभावन बाबा महाकाल का आँगन, बारह ज्योतिर्लिंग में से एक विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर का परिसर अल्पबुद्धि राजनैतिक नेता कार्यकर्ताओं की हरकतों के कारण देश भर में चर्चा का विषय बना जो किसी भी दृष्टि से हिंदु समाज और इस उज्जैयिनी के लिये शुभ नहीं कहा जा सकता।

पहली घटना केन्द्र व प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से ही संबद्ध भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं द्वारा की गयी। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नगर आगमन पर जोश में सराबोर अति उत्साही कार्यकर्ताओं ने अनुशासनहीनता का नंगा नाच करते हुए मंदिर परिसर को खेल का मैदान बना डाला, बैरिकेड्स तोड़े गये जमकर हुड़दंग मचाया, सुरक्षाकर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार किया जिसके कारण मंदिर की गरिमा कलंकित हुयी।

घटना की गंभीरता को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्यवाही की और अनुशासनहीन उद्दण्ड भाजयुमो पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को संगठन से बाहर का रास्ता दिखाकर अच्छा संदेश दिया।

दूसरी घटना भी बीते सप्ताह ही हुयी जब फिल्म अभिनेता रणवीर कपूर और उनकी पत्नी आलिया अपनी फिल्म ब्रह्मास्त्र की सफलता हेतु बाबा महाकाल के दरबार में दर्शन और माथा टेकने की अभिलाषा से आये थे तब भारतीय जनता पार्टी के ही अनुवागिक संगठन बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने अभिनेता रणवीर कपूर द्वारा कुछ समय पूर्व ‘बीफ’ पर दिये गये बयान पर आपत्ति ली और मंदिर परिसर में ही रणवीर कपूर और आलिया भट्ट के खिलाफ नारेबाजी की।

प्रदर्शन ने इतना उग्र रूप धारण कर लिया कि पुलिस को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की ठुकाई करना पड़ी और कार्यकर्ताओं के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करना पड़ी। प्रदर्शन का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह रहा कि बाबा की एक झलक पाने के लिये आये फिल्मी सितारों को बिना दर्शन किये ही बैरंग लौटना पड़ा, जिसकी देशभर में प्रतिक्रिया अच्छी नहीं रही।

हमारा यह मानना है कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है पर इस अधिकार का प्रदर्शन मंदिर जैसी पवित्र भूमि पर या उस परिसर में ही क्यों विरोध प्रदर्शन किसी दूसरी सार्वजनिक जगह पर चौराहों पर, मंदिर परिसर के बाहर भी तो किया जा सकता था। कहीं यह प्रदर्शन मंदिर परिसर जैसी विश्व प्रसिद्ध जगह पर करने से मीडिया कवरेज पाने के लिये तो नहीं। खैर जो होना था वह हो चुका इस शहर ओर इसके आराध्य के परिसर की जितनी बदनामी होना थी हो चुकी।

मन को आहत करने वाली यह दो घटनाओं की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि आज (10 सितंबर) शहर के प्रथम नागरिक की सोश्यल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर ने आग में घी का काम कर दिया है। वायरल हुयी तस्वीर में शहर के महापौर शिवलिंग की जलाधारी से टिककर आराम फरमाते हुए दिखायी दे रहे हैं।

यह चित्र मंदिर की आचार संहिता की दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। महापौर के पीछे ही पुजारीनुमा एक व्यक्ति भी नजर आ रहा है। फोटों से ऐसा लगता है कि यह पुजारी भी महापौर को इस कृत्य से मना करने की बजाए और उत्साहित कर रहा है। इस वीडियो के वायरल होने से भी मंदिर की प्रतिष्ठा को आँच आयेगी जिसकी निंदा पूरे देश के श्रद्धालुओं द्वारा की जा रही है।

महाकाल मंदिर परिसर में लगातार हो रही इस प्रकार की घटनाओं से मंदिर की सुरक्षा में लगा सुरक्षा तंत्र और प्रबंधन तंत्र का भी कटघरे में आना स्वाभाविक ही है। पुलिस के सुरक्षा तंत्र को यह खबर क्यों नहीं लग पायी कि बजरंग दल के कार्यकर्ता इस प्रकार के उग्र प्रदर्शन करने वाले हैं? इतने कार्यकर्ता अंदर प्रवेश कैसे कर गये? मंदिर का प्रबंधन सिर्फ तमाशबीन होकर तमाश ही देखता रहा इन घटनाओं से सीख लेना जरूरी है अन्यथा मीडिया कवरेज के मोह में ऐसी घटनाओं के और होने से इंकार नहीं किया जा सकता।

– अर्जुन सिंह चंदेल

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