जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते बंद पड़ी झारडा की कृषि उपज उपमण्डी

किसान 17 किलोमीटर अतिरिक्त गाड़ी भाड़ा देकर महिदपुर जाने को मजबूर

झारडा, (स्वस्तिक चौधरी) अग्निपथ। एक ओर जहां सरकार अन्नदाता किसानों की भलाई के लिए नित नई योजनाएं बनाकर देश को उन्नत राष्ट्र बनाने को लेकर कार्यरत है। वहीं सरकारी विभागों के मातहत किसानों की सुविधा छिनने में लगे हैं। ऐसा ही मामला नगर की कृषि उपज उपमंडी में है। भारसाधक अधिकारी की उदासीनता के चलते खरीफ की फसल विक्रय के लिए आज तक झारडा उपमण्डी में नीलामी नहीं हुई है। अभी तक एक दाना सोयाबीन या अन्य फसल विक्रय हेतु मण्डी परिसर में देखने को नही मिली।

सरकार ने विगत दिनों बजट आवंटन कर झारड़ा की कृषि उपज उप मण्डी का जीर्णोद्धार कर कार्यालय का सुधार करवाया ताकी मण्डी के कर्मचारी सुविधाजनक रुप से ंण्डी का संचालन कर सके। किंतु गैर जिम्मेदार रवैया के चलते आजतक मण्डी ही नहीं खुली। परिणामस्वरूप किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अन्य मंडियों व खुले व्यापारियों का सहारा लेना पड़ा।

उप मण्डी प्रभारी का अपना अधिनस्थो के साथ झारड़ा कार्यालय पर नहीं आने से मंडी सुनी व वीरान पड़ी हुई है। किसानों को मजबूरन 17 किलोमीटर अतिरिक्त गाड़ी भाड़ा चुकाकर अपनी फसल को विक्रय हेतु महिदपुर जाना पड़ रहा है। परिणाम स्वरूप किसानो को परेशानी का सामना करते हुए आर्थिक रुप से मार खाना पड़ रही है।

Jharda mandi
मंडी प्रांगण में उगी गाजर घास दर्शाती है कि कई दिनों से मंडी में उपज बिक्री तो छोड़ो, कर्मचारियों की आवाजाही तक नहीं हुई।

मण्डी परिसर में चारों और गाजर घास फैली हुई है। साथ ही मण्डी कार्यालय के मुख्य द्वार पर ही अधिकांश ताला लगा हुआ रहता है। मण्डी शेड को आए दिन आसपास के कास्तकार अपना पशुओं का चारा रखने हेतु उपयोग करते है।

किसानों के लिए मण्डी में नहीं के मूलभूत सुविधाएँ

प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान झारड़ा को भले ही तहसील का दर्जा देकर भले ही क्षेत्र का मान बढ़ाया हो बावजूद इसके उपमण्डी में दूरदराज गाँव से आने वाले किसानों के लिए मूलभूत सुविधाएं – पीने का पानी, चाय , नाश्ता, भोजन, सुलभ शौचालय आदि सुविधाएं भी नहीं है। नगर से मंडी परिसर लगभग दो किलोमीटर दूर पड़ता है। तो किसानो को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

17 किमी का अतिरिक्त व्यय

झारड़ा स्थित उपमण्डी बंद होने के कारण क्षेत्र के किसानों को आर्थिक मार का सामना करना पड़ रहा है। छोटे कास्तकार जिनके पास साधन नही है उन्हे बाजार से किराए के वाहन कर 17 किलोमीटर दुर महिदपुर मण्डी अपनी फसल विक्रय हेतु लाना पड़ता है। जिससे इंधन और समय दोनो का अपव्यय हो रहा है।

जिम्मेदार अधिकारी नही करते दौरा । कहने को तो जिले से लेकर क्षेत्र में बड़े भारी भारी अनुविभागीय, विकासखण्ड, तहसील, जनपद , कृषि उपज मण्डी आदी अनेको विभागो के जिम्मेदार अधिकारीगण पदस्थ है। किंतु कोई भी जिम्मेदार अधिकारी क्षेत्र का दौरा ही नही करते। कभी किसी अधिकारी ने झारड़ा उपमण्डी बंद होने के कारण किसानो को 17 किलोमीटर अतिरिक्त पड़ रहे खर्च के दंश की और ध्यान ही नहीं दिया। वे तो अपने आफिस में मीटिंग मीटिंग में ही व्यस्त है।

पूर्व उज्जैन संभागायुक्त अरुण पाण्डे, जिलाधीश अजात शत्रु, एम. गीता, बालकृष्ण शर्मा, कविन्द्र कियावत, महिदपुर अनुविभागीय अधिकारी सिकलचंद परस्ते , नरेन्द्र सूर्यवंशी, अभिषेक गहलोत, जगदीश गोमे, शैली कनाश, आर पी वर्मा, समय समय पर क्षेत्र में संचालित विविध विभागो का दौरा कर आवश्यक दिशा निर्देश सुधार करवाते थें।

उनके बाद से कभी किसी जिला अधिकारी या अनुविभागीय अधिकारी ने ग्रामीण अंचल के विविध शासकीय विभागो के निर्माण एवं बंद पड़ी झारड़ा की कृषि उपज मण्डी की दुर्दशा की और ध्यान देना भी उचित नहीं समझा। यह हमारे क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकजनो में जनचर्चा का विषय है। सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए।

सरकार द्वारा उप मण्डी परिसर में शेड व कार्यालय निर्माण कर व्यवस्था की गई है। मण्डी बोर्ड व संबंधित अधिकारीयों किसानो की समस्याओं का हल करना चाहिए। जिससे किसानो को पड़ रहा अतिरिक्त भार भी बचेगा।

प्रताप सिंह आर्य, जिला पंचायत सदस्य

छोटे किसान जिनके पास ट्रेक्टर ट्राली नहीं है , वह लुटाए गए है। झारड़ा उपमण्डी बंद होने के कारण किसानो को 17 किलोमीटर अतिरिक्त वाहन किराये की मार पड़ी है। यदी समय रहते जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान देकर उपमण्डी प्रारंभ कर देते तो किसानो को इसका लाभ मिलता।

– फतेहसिंह परिहार सुमराखेड़ा, जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष

मैं तो आठ दिन पहले ही आया हूँ। पूर्व की व्यवस्थाओं के बारे में मुझे कुछ नहीं पता है।

– दिनेश तोमर, प्रभारी कृषि उपज उपमंडी, झारड़ा

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