अफसरों की लापरवाहीं से हुआ 15 करोड़ का गबन, खातों से पता चलेगी मिलीभगत- जेल डीजी

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पांच साल से चल रहा था घोटाले का खेल, जेल अधीक्षक को हटाया

उज्जैन,अग्निपथ। केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में हुआ डीपीएफ घोटाला में विभाग द्वारा की गई जांच में रिजल्ट आना शेष है,लेकिन जेल डीजी अरविंद कुमार का कहना है कि करीब १५ करोड़ का गबन हुआ है और यह लगभग पांच साल से चल रहा था। मामले में अधिकारियों की लापरवाहीं सामने आई है। उनके खातों की जांच से लिप्तता का पता चलेगा। इस बीच देर शाम डीजी जेल ने जेल अधीक्षक उषा राज को हटा दिया है। उनकी जगह देवास जेल अधीक्षक को प्रभार सौंपा गया है।

जेल में कर्मचारियों के डीपीएफ राशि के घोटाले के संबंध में गुरुवार को जेल डीजी अरविंद कुमार ने बताया कि उनकी टीम से मिली जांच रिपोर्ट लेकर वह वल्लभ भवन पहुंचे है। रिपोर्ट अनुसार घोटाला २०१८ से गड़बड़ी चल रहा था। अब तक करीब १५ करोड़ का घोटाला सामने आ चुका है और राशि बढ़ सकती है। गबन अधिकारियों की लापरवाहीं से हुआ है,लेकिन कुछ बातें ट्रेजरी अधिकारियों के बिना पता नहीं चल सकती क्योंकि कई चीजे लॉक है।

घोटाले में अधिकारियों के लिप्त होने के संबंध में कहा कि खातों की जांच में पता चलेगा कि अधिकारियों के खाते में कितना और कैसे ट्रांजेक्शन हुआ है। इसकी जांच पुलिस कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जिम्मेदारों पर कार्रवाई का जल्द ही फैसला हो जाएगा। उल्लेखनीय है १० मार्च को जेल में डीपीएफ घोटाला होने का पता चला था। मामले में जेल डीआईजी मंशाराम पटेल ने सात सदस्यीय दल के साथ आकर जांच के बाद गुरुवार को रिपोर्ट जेल डीजी को सौंपी थी।

नहीं सुने जेल के हालात, लिखी सिर्फ गबन की बात

जेल डीआईजी मंशाराम पटेल द्वारा की गई जांच शंका के घेरे में आना शुरू हो गई है। प्रहरी सुरेश मरमट ने दावा किया कि वे और अन्य कर्मचारी जेल में करीब एक साल से चल रही अनियमितताओं के बारे में लिखित में देना चाहते थे। बताना चाहते थे कि जेल करीब एक साल से ठैके पर चल रही थी। अधीक्षक से संबंधित एक बाहरीैव्यक्ति प्रतिदिन मुलाकात,कैदियों की टेलीफोन पर चर्चा और केंटिन से जेल में सामान भेजने के नाम पर हजारों रुपए की वसूली कर रहा था।

इस संबंध में डीआईजी ने किसी की भी बात सूनने से इंकार कर सिर्फ गबन के संबंध में बयान लिखे। याद रहे मरमट के ााते में १४ लाख थे, लेकिन ओवर डव्यू कर २७ लाख रुपए निकाल लिए। वह तीन माह बाद रिटायर होने वाला हूं। अब भविष्य को लेकर चिंतित है।

12वीं पढ़ा है मुख्य आरोपी

जेल रिकार्ड अनुसार गबन कांड में फरार मुख्य आरोपी रिपूदमन के पिता दिनेश रघुवंशी भी प्रहरी थे। वह मात्र १२ वीं तक पढ़ा है और पिता की मौत के बाद ८ अगस्त २०११ को उसे अनुकंपा नियुक्ती मिली थी। साथियों ने बताया कि दमन क्रिकेट का सट्टा लगाता था और हाई प्रोफाईल तरीके से रहता था। किसी को भी जरुरत होने पर हजारों,लाखों रुपए उधार दे देता था। शराब की पार्टियां भी देता रहता था। \

जेल अधीक्षक को भी कुछ समय पहले महंगा उपहार दिया थाा। पूछने पर बताता था कि क्रिकेट के सट्टे से मोटी रकम जीतता है। ुछ समय पहले उसने पांच प्लाट व कार भी खरीदी थी। उसके साथी प्रहरी शैलेंद्र सिकरवार व धर्मेद्र लोधी खाते में करीब १० करोड का ट्रांजेक्शन सामने आने के बाद से फरार हो गए। मामले में सोनू मालवीय का नाम भी सामने आया है।

बयान देने से बच रही अधीक्षक

भैरवगढ़ पुलिस ने मामले में करीब ४० प्रहरियों के बयान ले लिए है। गुरुवार को जेल अधीक्षक उषाराज को भी बयान के लिए तलब किया था। शाम तक नहीं आने पर शुक्रवार दोपहर एक प्रधान आरक्षक फिरा नोटिस लेकर उनके कार्यालय पहुंचा। करीब दो घंटे तक इंतजार कराने के बाद पहुंचकर अधीक्षक ने नोटिस लिया,लेकिन शाम तक बयान देने थाने नहीं पहुंची।

इस संबंध में टीआई प्रवीण पाठक ने बताया कि फिर तीसरा नोटिस भेजेंगे। सर्वविदित है अधीक्षक शुरू से खुद को पीडि़ते होने का दावा कर रही है। कर्मचारियों के आरोपों व सामने आई जानकारी के संबंध में चर्चा का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने बात से करने से इंकार कर दिया।

देवास जेल अधीक्षक को प्रभार

केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में हुए करीब १५ करोड़ के डीपीएफ घोटाले का खामियाजा जेल अधीक्षक उषा राज को भूगतना पड़ा। जांच रिपोर्ट मिलने पर दिन भर के विचार के बाद गुरुवार रात जेल डीजी अरविंद कुमार ने उन्हें पद से हटाने के आदेश जारी कर दिए। उषाराज को हटने पर फिलहाल उनका प्रभार देवास जेल अधीक्षक हिमानी ननवाले को दिया गया है।

बताया जाता है कि दोपहर में जेल अधीक्षक उषाराज ने पारिवारिक कारणों से इंदौर जाने के लिए कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम से अनुमति मांगी थी। उन्होंने घोटाले की जांच के चलते इंकार कर दिया था। बावजूद वह दोपहर तीन बजे भोपाल चली गई थी। इसकी सूचना मिलने पर भी आला अधिकारी नाराज हो गए थे।

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