मेरी यूरोप यात्रा : भाग-3; जर्मनी में भी गणेश रेस्टोरेंट

अर्जुनसिंह चंदेल

ड्रायवर से गहन तथा लम्बी पूछताछ के बाद सभी यात्रियों को अपने-अपने पासपोर्टों के साथ कोच से नीचे उतरने का निर्देश दिया गया। रात को 3 बजे का समय हाइवे पर सभी लोग 3-4 डिग्री ठंड में खड़े हुए थे। जर्मनी पुलिस ने सभी के पासपोर्ट अपने पास एकत्र कर लिये और फिर बारी-बारी से एक-एक यात्री का पासपोर्ट में लगे फोटे से मिलान किया गया।

चूँकि पुलिसवाले जर्मन भार्षा में बोल रहे थे इस कारण अपने राम को कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा था। ईशारों से काम चल रहा था कोच का हंगेरियन ड्रायवर कुछ समझ पा रहा था। इस प्रक्रिया में लगभग आधा घंटा लग गया इस बीच कई साथी लघुशंका पुलिस वालों के केम्प में स्थित जनसुविधा केन्द्र में कर आये। चेक करने के बाद सभी यात्रियों को कोच में बैठने को कहा गया। आप सोच सकते हैं अपने वतन से दूर किसी अंजान देश में यदि पुलिस आपकी गाड़ी रोक ले तो आपकी मनस्थिति क्या होगी। सारे पासपोर्टों को जर्मन पुलिस ने पास ही में खड़ी वेन में कम्प्युटर से चेक किया पूरी तरह संतुष्टी के बाद ही आगे जाने दिया। अपना देश होता तो शायद ले देकर पुलिस से मामला जल्दी निपटा लिया जाता।

वीडियो कोच चूँकि वातानुकूलित या इस कारण उसमें सर्दी नहीं लग रही थी वर्ना बाहर तो सर्दी का सितम था। वीडियो कोच आगे बढ़ा और हम लगभग सुबह 5 बजे अपने मंजिल होटल पर पहुँच गये। जहाँ हम रूके थे वहाँ से न्यूर्मबर्ग 27 किलोमीटर दूर था जिस गाँव में हमारी चार सितारा होटल थी उस 50 हजार आबादी वाले जर्मनी के गाँव का नाम हर्षब्रुक था। दुनिया भर की सारी सुविधाएं उस गाँव में मौजूद थी जो शायद हमारे मध्यम श्रेणी के शहरों में भी नहीं होती साफ सुथरे हर्षब्रुक में कई 4 सितारा अच्छी होटलों के साथ ही कई रेस्टोरेन्ट, साफ-सुथरी पत्थर की सडक़ें और हर दो मकान के बाद बीयर के बोर्ड लगे मकान जहाँ बैठकर आप ठंडी बीयर से अपना गला तर कर सकते हो।

जर्मन के लोग बीयर के जबर्दस्त शौकीन है इतनी सर्दी में भी वह ठंडी बीयर पीना पसंद करते हैं और बीयर भी अनेकानेक ब्रांडों की उपलब्ध है। एक यूरो अर्थात हमारे देश की भारतीय मुद्रा में 91 रुपयों में एक लीटर बीयर उपलब्ध है। वहाँ की सबसे अच्छी बात यह है कि हर्षबु्रक के बाहर एक बड़ा सारा पार्किंग स्थल है गाँव के सारे निवासियों को अपने वाहन वहीं पार्क करके पैदल ही अपने घरों तक चलकर आना होता है। यहाँ हवा में ऑक्सीजन की शुद्धता चरम पर होती है ना वायु प्रदूषण ना ध्वनि प्रदूषण ना ही किसी अन्य तरह का प्रदूषण।

जर्मनी बच्चों में फुटबाल और साइकिलिंग के प्रति दीवानगी बहुत है। जगह-जगह मैदानों में बच्चों को फुटबाल खेलते और सायकल चलाते हुए देखा जा सकता है। हमारे वीडियो कोच को भी हर्षबु्रक के बाहर ही पार्किंग में खड़ा करवाया गया। होटल में थोड़ी देर विश्राम के बाद सुबह का नाश्ता होटल में ही किया गया। लगभग 50 तरह के आयटम जिसमें से अधिकांश बेकरी के थे। नानवेज में विचित्र तरह के आयटम जो हम भारतीय नहीं खा सकते हैं।

दिन में लगभग 12 बजे के लगभग सभी साथी वीडियो कोच से न्यूर्मबर्ग के लिये रवाना हो गये जिन्हें पाउडर कोटिंग की प्रदर्शनी में जाना था उन्हें वहाँ छोडक़र कुछ महिलाएं और हमारे टूर आपरेटर संजीव दीक्षित जी और नरेश जी निकल पड़े सैर पर। शांत और अनुशासित शहर न्यूर्मबर्ग में कोई आपाधापी नहीं, लोग भी सडक़ पर कम ही दिखते हैं।

हम होग वहाँ लगने वाले स्थानीय बाजार में पहुँचे गये जहाँ महिलाओं ने जमकर तफरी की। हमें चाय की तलब लगी वह भी भारतीय स्वाद की ढूँढना चालू किया मुझे तब आश्चर्य हुआ जब गणेश रेस्टोरेन्ट नजर आया वह भी न्यूर्मबर्ग जैसे व्यवसायिक शहर के व्यस्ततम बाजार में। फिर क्या था जैसे ही हम गणेश रेस्टोरेन्ट पहुँचे आत्मीय स्वागत हुआ। संचालक जो कि खुद भारतीय थे हमें देखकर ऐसे खुश हुए जैसे बिछड़े भाई वर्षों बाद मिले हो।
…शेष अगले अंक में

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