कुमार साहब यह महाकाल, विक्रमादित्य और कालिदास की नगरी है

अर्जुन सिंह चंदेल

विक्रमोत्सव के लिये हमारी कालजयी नगरी उज्जयिनी में पधारे कुमार विश्वास मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की कथा दौरान अमर्यादित हो गये। 100 वर्ष पुराने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को अनपढ़ और वामपंथियों के लिये कुपढ़ जैसे शब्दों का प्रयोग कर बैठे। विवादित टिप्पणी के बाद देशभर में बवाल मच गया और हमारी नगरी पर भी दाग लगा। विरोध में कुमार विश्वास के चित्रों पर कालिख पोती गयी।

देशव्यापी विरोध के बाद अभिमान में डूबे कवि कुमार विश्वास ने जो खेद व्यक्त किया है उसकी भाषा भी सम्मानजनक नहीं कही जा सकती है। खेद व्यक्त में अपने आपको पाक साफ साबित करने का प्रयास करते हुए भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवकों को सामान्य बुद्धि का बताकर तीखा कटाक्ष किया है।

ऐसा नहीं है कि कुमार विश्वास पहली बार ही अपनी उच्छृखंल बोली से विवादों में आये हैं, वह पहले भी कई बार अपने आपको विवादित साबित कर चुके हैं। एक कवि सम्मेलन दौरान इमाम हुसैन और हिंदु देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी कर आलोचना झेल चुके हैं और बाद में माफी मांगकर अपना पिंड छुड़ाया था। पंजाब में चुनाव प्रचार दौरान वाल्मिकी समाज के खिलाफ टिप्पणी करने पर संजय गेहलोत नामक व्यक्ति ने पुलिस थाने में कुमार विश्वास के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करवायी थी। इसके अलावा आप पार्टी के एक कार्यकर्ता द्वारा कुमार विश्वास के खिलाफ एक और प्राथमिकी भी दर्ज हो चुकी है जिसमें उनके ऊपर छेड़छाड़ करने और यौन टिप्पणी करने जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं।

अपने परिवार के भाई-भतीजों का संबंध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से बताने वाले कुमार विश्वास 26 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी के जन्म के समय से ही उससे जुड़े हुए थे और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रह चुके हैं। 2014 में अमेठी से राहुल गाँधी के खिलाफ आप पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी भी रह चुके हैं।

दिल्ली विधानसभा के 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव प्रचारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुमार विश्वास का आम आदमी पार्टी से रिश्ता उस समय टूटा जब केजरीवाल ने कुमार विश्वास को राज्यसभा में ना भेजते हुए संजय सिंह, एन.डी. गुप्ता और सुशील गुप्ता को ‘आप’ का उम्मीदवार बना दिया।

देश के सबसे महँगे कवि, भारतीय युवाओं के अत्यन्त प्रिय विश्वास कुमार शर्मा माँ सरस्वती की असीम कृपा से कविता के मंचन, वाचन, गायन, मंच संचालन, काव्य वाचन, पाठन, लेखन विधाओं में निपुण और सिद्ध हस्त है। 10 फरवरी 1970 को जन्मे कुमार विश्वास एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। प्राध्यापक पिता चाहते थे बेटा विश्वास अभियंता बने इस कारण इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला भी करवाया परंतु इंजीनियरिंग की पढ़ायी बीच में ही छोडक़र हिंदी साहित्य में स्नातक और स्नातकोत्तर उपाधियाँ स्वर्ण पदक के साथ कुमार विश्वास ने प्राप्त की। 2001 में ‘कौरवी लोकगीतों में लोक चेतना’ पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। एक शो के लिये 5 से 10 लाख लेने वाले कुमार विश्वास की प्रतिवर्ष की आय लगभग 4 करोड़ है।

अपनी प्राध्यापक की नौकरी दौरान साथ ही कार्य करने वाली मंजू शर्मा को दिल देने वाले विश्वास को विवाह के दो वर्षों बाद घरवालों ने घर में प्रवेश दिया था। कलाकार कुमार विश्वास फिल्मी गीतकार भी है आने वाले दिनों में कई फिल्मों में इनके लिखे गाने हमें सुनने को तो मिलेंगे ही साथ ही फिल्म निर्माता आदित्य दत्त की फिल्म चाय-गरम में इनका अभिनय भी देखने को मिलेगा। राजनीति में क्लीन बोल्ड होकर वापस लौटे कुमार विश्वास कविता सुनाते-सुनाते कब राम कथा कहने लगे देश को पता ही नहीं चला।

विश्वास जी देश में और कहीं भी बड़े बोल बोले जा सकते हैं पर महाकाल और कालिदास की यह कालजयी नगरी ऐसे बोलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे इस पुरातन भूमि पर राजा महाराजाओं की हिम्मत रात रूकने तक की नहीं होती है तो ‘आप किस खेत की मूली हो’। आपके बड़बोले पन के कारण आपका कार्यक्रम फ्लॉप हो गया। शायद आपकी उल्टी गिनती की शुरुआत उज्जयिनी से हो चुकी है।
जय महाकाल

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