अनाज तिलहन संघ: चुनाव हंगामे के बीच साधारण सभा में सवालों की बौैछार,18 अगस्त को होंगे चुनाव

उज्जैन। अनाज तिलहन संघ के चुनाव को लेकर हुई साधारण सभा की बैठक में भारी हंगामा हुआ। सदस्यों ने 23 महीने बाद बुलाई बैठक पर नाराजगी जताते हुए साधारण सभा में मौजूद पूर्व अध्यक्ष दिलीप गुप्ता और वर्तमान अध्यक्ष मुकेश हरभजनका के सामने व्यापारियों ने सवालों की झड़ी लगा दी। हालांकि हंगामे के बीच दोनों ही अध्यक्षों ने हर सवाल का जबाव दिया। कई सवालों को एक दूसरे के पाले में उछाला तो कई मामलों में नए कायदे -कानून से काम करने पर सहमति जताई।

पांच बजे शुरू हुई साधारण सभा रात साढ़े आठ बजे तक चली। इसमें 18 अगस्त को संघ के चुनाव कराए जाने का फैसला लिया गया। चुनाव अधिकारी को लेकर दोनों पक्षों में देर रात तक सलाह-मशविरा चलता रहा। निमेश अग्रवाल का कहना है कि वे चाहते हैं कि मंडी का व्यापारी ही चुनाव कराए। जबकि मुकेश हरभजनका का कहना है कि मंडी से या मंडी के बाहर से किसी को भी चुनाव अधिकारी बनाया जा सकता है।

साधारण सभा में समरेश अग्रवाल सवालों की पूरी फेरहिस्त लेकर आए थे। संस्था के 45 लाख खर्च करने के निमेश के आरोप पर हरभजनका भिड़ गए थे। 10 मिनट तक दोनों में वाद-विवाद हुआ। राम मंदिर के लिए संस्था के साढ़े छह लाख रुपए देन पर व्यापारियों ने आपत्ति ली। उनका कहना था कि प्रत्येक व्यापारी अपने पास से पैसा देता, संस्था का पैसा नहीं देना चाहिए था।

मंडी से फरार व्यापारी पर एक घंटे हंगामा

मंडी से रामचंद्र टेकचंद फर्म का संचालक मंडी के व्यापारियों और संगठन का लाखों रुपए लेकर फरार हो गया है। तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप गुप्ता के कार्यकाल में हुए इस मामले में साधारण सभा की बैठक में सदस्यों उनसे सवाल किए। निमेश अग्रवाल, समरेश अग्रवाल ने कहा, मकान बेचने के लिए किसने एनओसी दी और किसके कहने से संस्था के पैसे डूब गए।

इस पर दिलीप गुप्ता ने दावा किया कि उन्होंने पद छोडऩे के दौरान नए पदाधिकारियों को दस्तावेजों का पुलिंदा जमा कराया था। दो साल से नए पदाधिकारियों ने क्या किया, उन्हें इसके विषय में कोई जानकारी नहीं है। वे पैसा वसलने के लिए लगातार प्रयास करते रहे थे।

इस दौरान गुप्ता ने टिप्पणी कर दी कि व्यापारियों के आपसी लेनदेने के लिए वे संघ जिम्मेदार नहीं है। इस पर सदस्य भडक़ गए। उन्होंने कहा, अगर व्यापारियों के हित के लिए संघ काम नहीं करेगा तो किसके लिए करेगा। इस बार गुप्ता बचाव की मुद्रा में आ गए थे।

उन्होंने कहा, नए सदस्यों में से किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया। इस पर कुछ सदस्यों ने उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने खुद ही इस मामले को सुलझाने के जिम्मेदारी ली थी, अब कैसे मुकर सकते हैं। बाद में उन्होंने नए सदस्यों की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ लिया।

जिससे हिसाब लेना था वह ही डायरेक्टर बन गया

गोविंद खंड़ेलवाल ने इस विवाद पर उनसे उनका पक्ष रखने पर कहने पर खुलासा करते हुए कहा कि इस मामले में जिस सदस्य को हिसाब देना था, उसे ही दूसरे गुट के सदस्यों ने पदाधिकारी बना दिया था। तब मामले का पटाक्षेप कैसे होता। इस दौरान निमेष अग्रवाल, शैलेंद्र बुंदेला, संतोष गर्ग, जितेंद्र अग्रवाल, विजय अग्रवाल, हजारीलाल मालवीय ने भी सात लाख का ज्यादा भुगतान करने किए जाने पर आपत्ति जताई।

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