ग्रांड होटल को पर्यटन निगम और निजी हाथों में देने का विरोध

उज्जैन, अग्निपथ। शहर की शान और कम किराए में आम और खास सभी के लिए उपलब्ध ग्रांड होटल को पर्यटन विकास निगम और उसके बाद निजी हाथों में देने का काम नगर निगम द्वारा किया जा रहा है जो अनुचित है और नगर के हित में भी नहीं है।

नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष सोनू (सोमेश्वर) गेहलोत ने बताया कि उज्जैन संभाग आयुक्त (नगर निगम प्रशासक) आनंद शर्मा ने पिछले दिनों यह निर्णय लिया है। जिसके अंतर्गत ग्रांड होटल को मप्र पर्यटन निगम को सौंपा जाना प्रस्तावित है। यह होटल एवं परिसर स्टेट समय का है और उज्जैन की शान है। व्यवसायिकता के इस दौर में भी कम किराए पर शादी सहित अन्य मांगलिक कार्यों में यह उपलब्ध हो जाता है। शहर के मध्य होने के कारण भी यह बहुत उपयोगी है। निगम कर्मचारियों के परिजनों को आधी दर पर यह उपलब्ध है। कतिपय लोग काफी समय से इसे लेना चाह रहे हैं।

पूर्व के समय में भी ऐसा प्रस्ताव आया था जिसे नगर निगम परिषद ने नगर हित एवं निगम हित को देखते हुए खारिज कर दिया था। अब इसी प्रकार का प्रस्ताव बनाया गया और प्रशासक श्री शर्मा ने इसे स्वीकृत भी कर दिया। यदि यह प्रस्ताव अमल में आ जाता है तो एक अच्छी सुविधा छिन जाएगी।

मप्र पर्यटन विभाग कई होटलों का संचालन या तो खुद कर रहा है या निजी लोगों से करवा रहा है। ग्रांड होटल को पर्यटन निगम के हाथों सौंपने से इसकी हालत भी पर्यटन निगम की अन्य होटलों जैसी हो जाएगी और यहां भी बार और नानवेज सहित वो सब शुरू हो जाएगा जिसे अभी तक प्रतिबंधित कर रखा है। श्री गेहलोत ने प्रशासक आंनद शर्मा से आग्रह किया है कि वो इस मामले में पुनर्विचार करें और स्थानीय जन प्रतिनिधियों सहित अन्यों से चर्चा कर इस प्रस्ताव को निरस्त करें।

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