टारगेट के चक्कर में मानवीयता भूले..!

इन दिनों पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम का एक ही काम बचा है, कोरोना संक्रमण फैला रहे लोगों पर डंडा घुमाना। यह काम टारगेट के रूप में किया जा रहा है। नगर निगम का टारगेट है चालान बनाकर रोज अधिकतम कैसे कमाए जाए, पुलिस का टारगेट है कि अधिक से अधिक को अस्थाई जेल पहुंचाया जाए। दोनों ही विभाग इस काम को रोज मीडिया में भी बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित कर रहे हैं। टारगेट पूरा करने में इन विभागों के नुमाइंदे इतने तल्लीन हैं कि मानवता भी भूल चुके हैं। मास्क गलत ढंग से लगाए या बिना मास्क के घूम रहे व्यक्ति को देखकर उस पर यह लोग गिद्धदृष्टि के साथ टूट पड़ते हैं और उसे तमाम हथकंडों से अपमानित कर सोशल मीडिया पर भी वीडियो साझा करते हैं, मानो इन्होंने किसी गंभीर अपराधी को पकड़ लिया हो। जबकि होना यह चाहिए कि बिना मास्क घूम रहे व्यक्ति को जुर्माना लगाकर पुलिस उसे मास्क देकर विदा कर सकती है। आम आदमी को आर्थिक दण्ड भी पर्याप्त होता है, क्योंकि वो कोई शातिर अपराधी नहीं है, जिसे शारीरिक और मानसिक प्रताडऩा दी जाए। पुलिस की इस हरकत से कोरोना तो नहीं रुकेगा, लेकिन खाकी के प्रति मन में कड़वाहट जरूर बढ़ेगी।

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