खबरों के उस पार: मंदिरों में भी हमारा राज..!

नागपंचमी पर महाकाल मंदिर में हुई घटना देख ऐसा लग रहा है अब मंदिरों में भी भाजपा का ही राज है। भगवान भी सिर्फ नेताओं के हैं। जनता के लिए सिर्फ नियम हैं। पालन नहीं करोगे तो कानून का डंडा घूमेगा। सत्ताधारी नेताओं के लिए न कोई कायदे कानून हैं और न ही मंदिर की मर्यादा। प्रशासन भी इनके हाथ की ऐसी कठपुतली बना हैं कि सीसीटीवी कैमरे बंद कर नियमों को ताक मेें रख नेताओं को हरसुलभ दर्शन कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा।

दूसरी ओर दूर-दूर से आने वाले भोले के भक्त दर्शन के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। मंदिरों को सत्ताधारी पार्टी की बपौती मानने का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी भाजपा नेताओं के लिए मंदिर के कई कानूनों को या तो तोड़ा गया है या फिर बदला गया है। कोरोना काल में भस्मारती पर लगा प्रतिबंध प्रशासन ने उस वक्त हटाने की तैयारी की थी, जब भाजपा के एक कार्यक्रम शामिल होने देश-प्रदेश के नेता, मंत्री उज्जैन आने वाले थे।

जिसका विरोध हुआ तो मामला टाल दिया गया, लेकिन दर्शन सभी को कराए गये थे। मुख्यमंत्री व उनके परिजन भगवान महाकाल की सवारी की पूजन-दर्शन आसानी से कर सकते हैं। आम जनता चोरी-छिपे करे तो प्रशासन उसे भी पर्दे लगवाकर बंद कर देता है। हे महाकाल! सदबुद्धि दीजिये इन सत्ताधारियों को।

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