मोहर्रम के लिए एकत्रित हुई भीड़ में शामिल असामाजिक तत्वों ने शुक्रवार को पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा दिये जाने की घटना ने पुलिस के खुफिया तंत्र पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं। पुलिस अभी तक 10 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर पाई है। शेष के बारे में सिर्फ प्रयास चल रहे हैं।
पुलिस के पास प्रत्येक जिले में एक खुफिया तंत्र होता है। जिसमें एसबी, डीएसबी के सरकारी महकमे के अलावा मुखबिर तंत्र होता है। एसबी-डीएसबी में तैनात महकमा सिर्फ यही काम देखता है कि कहां, क्या गलत हो रहा है और घटना के पहले ही इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भोपाल तक पहुंचाता है। इसके अलावा मुखबिर तंत्र हर वरिष्ठ अधिकारी का अलग-अलग होता है।
पुलिस के मुखबिर आम आदमी के बीच से कोई भी हो सकता है। जो अपने आसपास नजर रखकर अपने विश्वासपात्र अधिकारी को जरूरी सूचना पहुंचाता है। बदले में उसे पुलिस अधिकारी से इनाम भी मिलता है। मुखबिर का नाम गोपनीय होता है। मुखबिरों के लिए पुलिस के पास लाखों रुपए साल का बजट भी होता है, जिसके खर्चे का हिसाब भी विभाग द्वारा नहीं मांगा जाता।
मुखबिर के हिस्से का रुपया भी पुलिस विभाग के आला अधिकारी स्वहित में उड़ा देते हैं। परिणाम सामने है, इतनी बड़ी घटना की पूर्व सूचना खुफिया तंत्र पुलिस तक नहीं पहुंचा सका।