टेडी नज़र: न नियम न कायदा, बस फायदा ही फायदा यही है जिला झाबुआ

एक समय था जब कांग्रेस के कोषाध्यक्ष सीताराम केसरी हुआ करते थे, तब एक नारा प्रचलित हुआ था, न खाता, न बही जो कहे केसरी वही सही। उसके साथ ही सरकारी महकमों के साथ अद्र्ध शासकीय उर्फ जनप्रतिनिधित्व वाली संस्थाओं में एक नारा प्रचलित है, न नियम न कायदा काम वही जहां हो फायदा ही फायदा कुछ इसी तरह के फायदों के ही कार्य जिले की जनप्रतिनिधित्व वाली संस्थाओं में चल रहे।

इन संस्थाओं में भी जिले की थांदला, पेटलावद, राणापुर नगर परिषदों ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ जनता और सरकार के धन का न केवल दुरुपयोग कर रहे वरन राष्ट्रीय हरित क्रांति के नियमों को दरकिनार कर सिर्फ और सिर्फ अपने स्व हितों के कर्यों में लगे हैं। थांदला में बीते दिनों कृषि उपज मंडी का एक मामला सामने आया।

जिसमें एक व्यापारी सुनील राठौड़ ने मंडी के प्रभारी अधिकारी के कम्प्यूटर में अपलोड शासकीय रिकार्ड की आईडी पासवर्ड से हजारों रुपये के टैक्स की चोरी कर ली। मामला जब सामने आया तो संबंधित के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई गई। पुलिस ने भी छानबीन में एक माह लगा कर अंतत: मीडिया के दबाव के बाद एफआईआर दर्ज की।

आश्चर्य तो यह कि एक माह में पुलिस यह पता नहीं लगा पाई कि आखिर गोपनीय आईडी पासवर्ड व्यापारी सुनील के पास पहुंचे कैसे, क्या किसी कर्मचारी ने लीक किये या स्वयम उपयोगकर्ता की सांठगांठ से टैक्स बचाने का यह गोरखधंधा चल रहा था। कुछ इसी तरह का केस किसान ऋण माफी का है।

इसमें भी थांदला की एक सोसायटी द्वारा करोड़ों का घोटाला फर्जी ऋण धारकों के नाम से किया। बावजूद पुलिस अभी तक असली दस्तावेज आने तक का इंतजार कर रही और भ्रष्टाचारी जिसने अमानत में खयानत की को बचने का मौका देने का कार्य कर रही है। इन सबसे आगे जिले के नगरीय निकाय है जो खुलेआम वही कार्य कर रहे जहां फायदा ही फायदा हो। बताते हंै राणापुर निकाय द्वारा मुख्य मार्ग सहित अन्य स्थानों पर व्यावसायिक काम्प्लेक्स निर्माण किये हैं।

उनमें शासन के निर्देशानुसार अजा, अजजा, दिव्यांग, महिला आरक्षण कर आरक्षित वर्गों को भी दुकाने आवंटन करना है। किंतु नगर परिषद ने आरक्षित वर्ग की दुकान यह कह कर अनारक्षितों को आवंटित कर दी कि चार बार टेंडर करने पर भी कोई आरक्षित वर्ग का शख्स दुकान लेने नहीं आया।

बात थांदला नगर परिषद की करे तो यहां के निकाय ने संभवत: प्रदेश के सभी निकायों को पीछे छोड़ दिया। पहले पुराने पोस्ट आफिस जमीन जो करोड़ों की थी को कुछ लाख में बाले-बाले बेच दी। तो तेजाजी मंदिर के सामने राजस्व भूमि पर नियम विरुद्ध दुकाने तान अंधा बाटे रेवड़ी तर्ज पर परिषद ने अपने नाते रिश्तेदार के नाम अलाट कर वाली।

कुछ इसी तरह राष्ट्रीय हरित क्रांति का उल्लंघन करते हुए महिला एवम बाल विकास विभाग के पास शासकीय नाले पर दुकाने बना कर बंदर बाट कर ली। लोक नुरमान विभाग की भूमि अपनी बता कर यहां भी दुकाने तान दीं। तो केशव उद्यान के पीछे निजी कालोनाइजर को लाभ पहुंचाने न केवल लाखों रुपये का सीसी रोड बना डाला, अपितु कालोनाइजर को लाभ पहुंचने केशव उद्यान को ही उजाड़ करने पर तुली है।

जो एनजीटी के नियमों के विरुद्ध है। यही कार्य पेटलावद नगर परिषद कर रही है। यहां भी नगर परिषद लाखों रुपये के उद्यान को उजाड़ कर व्यावसायिक काम्प्लेक्स बना रही जो एनजीटी नियम व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध है।

मजेदार बात यह कि जिले के यह तीनों नगरीय निकाय भाजपाई हैं और प्रदेश में सरकार भी भाजपा की है। मतलब न नियम न कायदा जहां हो फायदा वही कार्य तीनों नगरी निकाय करने में लगी है अपने कार्यकाल के अंतिम समय में।

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