पंजाब के “कैप्टन” ने पूरी टीम के साथ इस्तीफा सौंपा

सिद्धू के मास्टर स्ट्रोक में उलझे अमरिंदर

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने शाम 4 बजकर 40 मिनट पर राज्यपाल बीएल पुरोहित को पूरे मंत्रिमंडल का भी इस्तीफा सौंपा। कैप्टन सांसद पत्नी परनीत कौर व बेटे रणइंदर सिंह के साथ करीब साढ़े चार बजे राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा राज्यपाल काे सौंपा। कैप्टन के भाजपा में जाने की अटकले हैं। कांग्रेस हाईकमान का रुख देख कैप्टन के करीबियों ने भी उनसे दूरी बना ली है। इससे पहले कई समर्थक विधायक उनसे मिलने उनके सरकारी आवास पर गए थे।

अमरिंदर बोले- मेरा फैसला सुबह ही हो गया था

राजभवन से निकलकर मीडिया से बात करते हुए अमरिंदर ने कहा- मेरा फैसला आज सुबह हो गया था। मैंने कांग्रेस प्रेसिडेंट से बात की थी सुबह और कह दिया था कि मैं इस्तीफा दे रहा हूं आज। बात ये है कि ये तीसरी बार हो रहा है पिछले कुछ महीनों में। तीसरी बार दिल्ली बुलाया। मेरे ऊपर कोई शक है कि सरकार चला नहीं सका। मैं शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं। 2 महीने में 3 बार आपने असेंबली मेंबर्स को बुला लिया दिल्ली। इसके बाद मैंने फैसला किया कि मुख्यमंत्री पद छोड़ दूंगा और जिन पर उन्हें भरोसा होगा उन्हें बना दें। कांग्रेस अध्यक्ष ने ये फैसला किया, वो ठीक है।

मैं कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। फ्यूचर पॉलिटिक्स क्या है, उसका हमेशा विकल्प रहता है तो मैं उस विकल्प का इस्तेमाल करूंगा। जो मेरे साथी हैं, सपोर्टर हैं, साढ़े 9 साल मैं मुख्यमंत्री रहा, उस दौरान जो मेरे साथ रहे, उनसे बातचीत करके मैं आगे का फैसला करूंगा। मैं कांग्रेस पार्टी में हूं। साथियों के साथ बात करके आगे की पॉलिटिक्स का फैसला करेंगे।

कमलनाथ और मनीष तिवारी से बात कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे

इससे पहले कैप्टन ने कांग्रेस से वरिष्ठ नेता कमलनाथ और मनीष तिवारी से बात कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। सूत्रों के मुताबिक कैप्टन ने आज ही पूरी कलह खत्म करने को कहा। साथ ही धमकी दी है कि उन्हें इस तरह CM पद से हटाया गया तो वे पार्टी भी छोड़ देंगे। उन्होंने ये संदेश पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने के लिए भी कह दिया था।

सिद्धू गुट ने कैप्टन के कांग्रेसी होने पर ही सवाल उठाए

सियासी उठापटक के बीच पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार पूर्व DGP मुहम्मद मुस्तफा ने कहा कि पंजाब के विधायकों के पास साढ़े चार साल बाद कांग्रेसी CM चुनने का मौका है। यानी मुस्तफा ने साफ तौर पर अमरिंदर सिंह के कांग्रेसी होने को ही नकार दिया है। मुस्तफा ने कहा कि 2017 में पंजाब ने कांग्रेस को 80 विधायक दिए। इसके बावजूद आज तक कांग्रेसी CM नहीं मिला। करीब साढ़े चार साल में कैप्टन ने पंजाब और पंजाबियत के दर्द को दिल से नहीं समझा। ऐसे में अब 80 में से 79 विधायकों के पास सम्मान पाने और जश्न मनाने का मौका आया है।

सिद्धू और कैप्टन के बीच विवाद क्या है?

  1. पंजाब के पॉलिटिकल एनालिस्ट कहते हैं कि दोनों के बीच वैचारिक मतभेद हैं। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। दोनों के ही रिश्ते तल्ख रहे हैं। सिद्धू 2004 से 2014 तक अमृतसर से सांसद रहे। इस दौरान 2002-2007 तक अमरिंदर के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान सिद्धू उनके कटु आलोचक रहे थे।
  2. 2017 के चुनावों में 117 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं और इस तरह भारी बहुमत के साथ कैप्टन CM बने। तब चर्चा चल रही थी कि सिद्धू को डिप्टी CM बनाया जा सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बजाय सिद्धू को नगरीय निकाय विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
  3. इसके बाद भी दोनों के बीच की तल्खी दूर नहीं हुई। कभी टीवी शो में जज की भूमिका को लेकर तो कभी विभागीय फैसलों को लेकर सिद्धू मुख्यमंत्री के निशाने पर ही रहे। तब कैप्टन ने सिद्धू का विभाग भी बदल दिया। उन्हें बिजली महकमा दे दिया, जो सिद्धू ने स्वीकार नहीं किया और घर बैठ गए।
  4. कुछ महीने पहले सिद्धू ने बेअदबी मामले को लेकर ट्वीट करना शुरू किया और कैप्टन पर बादल परिवार के सदस्यों को बचाने के आरोप लगाए। जब उन्हें कैप्टन विरोधियों का साथ मिला तो वे और सक्रिय हो गए। फिर हाईकमान ने दखल करते हुए सुनील जाखड़ को हटाकर सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।

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