फीस जमा नहीं करने का पालक बना रहे राजनीतिक-प्रशासनिक दबाव, सभी स्कूलों ने किया विरोध

उज्जैन, अग्निपथ (एस.एन. शर्मा)। कोरोना का कहर शहर एवं प्रदेश से भले ही समाप्त हो गया हो किंतु शैक्षणिक संस्थाओं की आर्थिक स्थिति पर कोरोना की आर्थिक मार अब भी पड़ रही है। अधिकांश पालक कोरोना का बहाना बनाकर अशासकीय स्कूलों को शैक्षणिक शुल्क जमा नहीं कर राजनीतिक एवं प्रशासनिक दबाव बना किसी भी तरह अध्ययन कराना अथवा स्थानांतरण प्रमाण पत्र चाह रहा है। शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार एवं स्कूल शिक्षा विभाग के साथ-साथ उच्च न्यायालय द्वारा भी पालकों को शैक्षणिक शुल्क जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं।

ऐसी सभी समस्याओं को लेकर उज्जैन के दो प्रमुख संगठन संभागीय शासकीय शाला संगठन एवं अशासकीय शाला प्रतिनिधि संगठन के अध्यक्ष एसएन शर्मा एवं जितेंद्र शिंदे एक प्रतिनिधिमंडल के साथ संयुक्त रूप से जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा से मिले उन्हें स्कूलों में शैक्षणिक शुल्क को लेकर आ रही समस्याएं विवाद एवं विभागों को की जा रही शिकायतों से रूबरू कराते हुए उन्हें फीस लेने के संबंध में शासन द्वारा एवं न्यायालय द्वारा दिए गए सभी आदेशों प्रमाणों के साथ स्कूलों की आर्थिक स्थिति से अवगत कराया।

जिला शिक्षा अधिकारी को बताया कि शहर एवं जिले के लगभग 500 स्कूलों द्वारा कोरोना को देखते हुए शैक्षणिक सत्र 2021 में किसी भी प्रकार की शुल्क वृद्धि नहीं की तथा मानवता के साथ 10 से 20 प्रतिशत फीस कम कर दी गई। इसी सत्र में लोक शिक्षण संचनालय एवं शिक्षा मंत्री के आदेश पर अशासकीय स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों को ऑनलाइन अध्ययन कराया गया। जिसमें विद्यालय को शिक्षकों का वेतन, भवन किराया, नल-बिजली का बिल, संपत्ति कर, सफाई कर, स्टेशनरी आदि खर्च प्रतिमाह खर्च करना पड़ा।

पालकों द्वारा शैक्षणिक शुल्क नहीं दिए जाने के कारण शहर के कई स्कूल आर्थिक संकट के कारण बंद हो गए, वहीं कुछ स्कूल संचालकों ने आत्महत्या तक कर ली। ऐसी स्थिति में पालकों द्वारा सहयोग नहीं किया जाकर स्कूलों को शैक्षणिक शुल्क जमा नहीं किया जाकर विवाद की स्थिति निर्मित की जा रही है

बिना शुल्क प्रमोट नहीं करने का है आदेश

लोक शिक्षण आयुक्त एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षण शुल्क लेने हेतु कई आदेश निकाले हैं। जिसमें से एक आदेश (क्रमांक एफ 50-4/2020/20/3 दिनांक 22/12/2020) जो उपसचिव मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग केके द्विवेदी द्वारा जारी किया गया था, उसमें स्पष्ट आदेश है कि बिना शिक्षण शुल्क के लिए विद्यार्थी को अगली कक्षा में प्रमोट भी नहीं करें।

शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा भोपाल में मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में स्पष्ट कहा गया है कि अब कोरोना की स्थिति लगभग समाप्त हो गई है और स्कूलों में शैक्षणिक कार्य चालू हो गया है तो पालकों को शिक्षण शुल्क जमा कराना होगा। लॉकडाउन के दौरान स्कूलों द्वारा ऑनलाइन अध्ययन कराया, परीक्षा लेकर टेस्ट के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोट किया है तो शुल्क तो देना होगा।

हाईकोर्ट भी कर चुकी हैं फीस जमा करने का आदेश

उच्च न्यायालय इंदौर एवं जबलपुर द्वारा भी इस संबंध में याचिका की सुनवाई के बाद स्पष्ट रूप से कहा था कि कोरोना को देखते हुए स्कूलों को सिर्फ शैक्षणिक शुल्क लिया जाना चाहिए। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि जहां अधिकांश पालकों द्वारा पिछले 2 वर्ष का शिक्षण शुल्क जमा नहीं किया जा रहा है। वहीं प्रदेश शासन द्वारा भी स्कूलों में कम फीस पर नि:शुल्क पढ़ रहे हजारों विद्यार्थियों की राशि आज तक स्कूलों को नहीं दी गई है।

इस तरह इस दोहरी मार एवं प्रतिमाह होने वाले हजारों रुपए के खर्च को स्कूलों द्वारा कैसे उठाया जाए यह एक गंभीर प्रश्न है। जिसका समाधान जिला प्रशासन शिक्षा विभाग एवं प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों एवं सांसद एवं विधायकों को निकालना चाहिए।

जिला शिक्षा अधिकारी भी फीस जमा करने के पक्ष में

जिला शिक्षा अधिकारी श्री शर्मा ने सभी समस्याओं को गंभीरता से सुनते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि पालकों को शिक्षण शुल्क जमा करना चाहिए। शुल्क जमा नहीं होगा तो स्कूलों का संचालन कैसे होगा। मध्यप्रदेश शासन से मान्यता प्राप्त सभी स्कूल संचालक नियमानुसार सिर्फ शैक्षणिक शुल्क ही लें, इसके अलावा किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लें और शुल्क को स्पष्ट रूप से अपने नोटिस बोर्ड पर लगायें।

उन्होंने यह भी कहा स्थानांतरण प्रमाण पत्र पर प्रति हस्ताक्षर हेतु सभी संकुल प्राचार्य स्कूल के स्कॉलर रजिस्टर के आधार पर ही हस्ताक्षर करेंगे। श्री शर्मा ने संगठन के प्रतिनिधिमंडल से यह भी आग्रह किया कि अभी तक शहर और जिले के 400 स्कूलों द्वारा अपनी फीस ऑनलाइन अप लोड की है। अभी भी सैकड़ों स्कूलों द्वारा फीस अपलोड नहीं की है। इस पर उपस्थिति प्रतिनिधिमंडल ने आश्वासन दिया कि वह अपने स्कूल साथियों से इसे शत-प्रतिशत पूर्ण करने हेतु कहेंगे। इस चर्चा के दौरान स्कूल संचालक महेश व्यास, जितेंद्र निगम, सुभाष त्रिपाठी, कमलेश जाटवा, गोपाल जोशी, भारत सिंह चौधरी एवं संजय मारोठिया विशेष रूप से उपस्थित थे

कोरोना में मृत माता या पिता के बच्चों की फीस नहीं लेंगे

जिला शिक्षा अधिकारी को दोनों प्रमुख संगठनों के अध्यक्ष एसएन शर्मा एवं जितेंद्र शिंदे ने कहां की अशासकीय स्कूलों में अध्ययनरत यदि कोई भी विद्यार्थी के माता-पिता का कोरोना काल में बीमारी से निधन हुआ हो अथवा कोरोना के कारण उसकी आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय हो कि वह शिक्षण शुल्क जमा नहीं कर सकता तो ऐसे विद्यार्थी का शिक्षण शुल्क माफ किया जाएगा, किंतु ऐसे विद्यार्थी का संगठन के पदाधिकारी उसके घर जाकर निरीक्षण कर निर्णय लेंगे।

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