सांसद ने हिसाब मांगा, विधायक ने गुहार लगाई..!

Member Parliament Anil Firoziya

उज्जैन, अग्निपथ। सांसद उज्जैन ने कोविड-19 के तहत वितरित खाद्यान्न का हिसाब मांग लिया है। एक पत्र तक लिख दिया है। जिसमें जानकारी मांगी गई है। इधर उत्तर विधायक अचानक आज मेला कार्यालय पहुंच गये। किसी के मकान को तोडऩे से बचाने के लिए। कलेक्टर से गुहार लगाई। फिलहाल 7 दिन का समय तो मिल गया है।

सांसद अनिल फिरोजिया ने एक पत्र लिखकर खाद्यान्न वितरण पर सवाल उठा दिये हैं। उनके इस पत्र से तराना तहसील में हडक़ंप मच गया है। मामला कोविड-19 के दौरान मिले 500 क्विंटल गेहूं के वितरण से जुड़ा है। जिसको लेकर अग्निपथ ने 13 जुलाई 20 को खुलासा किया था। इधर उत्तर विधायक पारस जैन की कलेक्टर आशीषसिंह से मुलाकात भी चर्चा का विषय रही है। जिस वक्त विधायक उत्तर पहुंचे, तब कलेक्टर टीएल बैठक ले रहे थे। बैठक छोडक़र करीब 20 मिनट तक अकेले में चर्चा हुई।

5 बिंदु…

सांसद अनिल फिरोजिया ने कार्यालय कलेक्टर पत्र क्र. 2020/390 दिनांक 16 अप्रैल 20 के आधार पर जानकारी मांगी है। 5 बिंदुओं में। जिसमें नं.1- संदर्भित पत्र के परिपालन में किस-किस को कितना खाद्यान्न उपलब्ध कराया। 2-खाद्यान्न उपलब्ध कराने के बाद पावती ली गई थी क्या। 3-किन-किन संस्थाओं को कितना खाद्यान्न दिया गया। 4- नियमानुसार किस मापदंड की संस्था को खाद्यान्न दिया जाना था। 5-समर्थन मूल्य के आधार पर जो खाद्यान्न दिया गया, उसकी राशि क्या है। उपरोक्त जानकारी 3 दिवस में मांगी गई है। ऐसा सांसद कार्यालय के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है।

मामला यह है…

गरीब-मजदूरों को गेहूं देना था-सीधे संस्थाओं को दे दिया। इस शीर्षक से अग्निपथ ने 13 जुलाई 20 को खबर लिखी थी। जिस पर अब सांसद ने भी एक्शन लेते हुए, पत्र लिखा है। पूरा मामला तत्कालीन कलेक्टर शंशाक मिश्र के कार्यकाल का है। जिन्होंने कोविड लाकडाउन में प्रत्येक तहसील को 500-500 क्विंटल गेहूं दिये थे। इसके साथ स्पष्ट निर्देश थे पत्र क्र. 390 के माध्यम से। जिसमें यह लिखा था कि…सामाजिक संस्थाओं और दानदाताओं से मिले गेहूं के साथ, इस गेहूं का वितरण किया जा सकता है। लेकिन यह उल्लेखित नहीं था कि गेहूं…सामाजिक संस्थाओं को सीधे दिया जाये। तत्कालीन एसडीएम तराना गोविंद दुबे ने इस निर्देश के विपरीत काम किया। उन्होंने अपने कार्यालय के पत्र क्र. 62 दिनांक 20 अप्रैल 20 में कलेक्टर के निर्देश की धज्जियां उड़ा दी। लिखित में आदेश निकाल दिया। नतीजा…चारभुजा सेवा समिति (75 क्विं.) अपना पैनल मित्र मंडल (25 क्विं.) तराना सेवा समिति (75 क्विं.) श्रीराम भक्त मंडल (50 क्विं.) अंजनीलाल भक्त मंडल (50 क्विं.) और सेवा भारती को (50 क्विं.) गेहूं सीधे-सीधे भिजवा दिये थे। जबकि कलेक्टर का आदेश था कि…वितरण सक्षम अधिकारी की मौजूदगी में करवाया जाये और शासकीय अमले के माध्यम से जरूरतमंदों को सामग्री भेजी जाये। यहां यह लिखना जरूरी है कि तत्कालीन सीएमओ वीरेन्द्र मेहता, जो कि नोडल अधिकारी थे और आपूर्ति अधिकारी संतोष सिरोलिया (जो अभी भी तराना में पदस्थ हैं)। जब दोनों से अग्निपथ ने इस व्यवस्था को लेकर सवाल किया था। तो दोनों का एक ही जवाब था। हमको कुछ नहीं पता…एसडीएम से पूछो।

समान व्यवहार…

इधर आज टीएल की बैठक में उस वक्त, सवाल उठने लगे। जब कलेक्टर आशीषसिंह अचानक ही यह बोलकर बैठक से उठ गये। कोई मिलने आया है-मिलकर आता हूं। कलेक्टर द्वारा बैठक छोडक़र जाने के बाद सुगबुगाहट शुरू हो गई। आखिर कौन वीआईपी आ गया। जो कलेक्टर को बैठक छोडक़र जाना पड़ा। दरअसल, कलेक्टर को पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक पारस जैन से मिलने के लिए बैठक छोडऩी पड़ी।

उत्तर विधायक अपनी 3 मांगों को लेकर मिलने आये थे। ऐसा विधायक के करीबी सूत्रों का कहना है। एक तो विधायक यह चाहते थे कि…उनके किसी परिचित को नोटिस मिला है। मकान तोडऩे का। उस पर कार्रवाई ना हो। कलेक्टर ने साफ कह दिया। सभी के साथ समान व्यवहार होगा। इतना जरूर हुआ कि फिलहाल तोडऩे की कार्रवाई 5-7 दिन नहीं होगी। दूसरा किसी मीसाबंदी की पेंशन का मामला था। जो कि इंदौर शिफ्ट हो गये हैं। तीसरा मामला मंगलनाथ की दुकानों के वितरण से जुड़ा था।

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