कार्तिक पूर्णिमा  : रामघाट पर स्नान के साथ होगा दीपदान

पद्मक योग बनेगा, पद्म पुराण, मत्स्य पुराण, त्रिपुरोत्सव में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व

उज्जैन, अग्निपथ। आज कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। रामघाट पर जहां लोग सुबह स्नान दान कर पुण्य लाभ लेंगे। वहीं शाम के समय अपने पितरों के निमित्त शिप्रा नदी में दीपदान करेंगे। पूरा घाट दीपों से जगमगा उठेगा। वहीं धर्म शास्त्रीय मान्यता के अनुसार कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा विशेष महत्व इसलिए रखती है कि इस दिन कार्तिक पूर्णिमा पर पद्मक नाम का योग बन रहा है। यह योग अति विशिष्ट योगों की श्रेणी में आता है, क्योंकि यह योग धर्म शास्त्रीय और पौराणिक मान्यता लिए हुए है।

पद्म पुराण के अनुसार पद्मकयोग में किया गया स्नान कार्तिक का तो फल देता ही है, साथ साथ जन्म जन्मांतर के पापों का भी शमन कर देता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग तथा संयोग पर बहुत कुछ लिखा गया है। पूर्व के ऋषि मनीषियों ने इस पर बहुत चिंतन किया है। ज्योतिष की गणना के आधार पर देखें तो ग्रह गोचर में जब भी सूर्य का विशाखा नक्षत्र पर परिभ्रमण होता है एवं चंद्रमा का कृतिका नक्षत्र का परिभ्रमण होता है व सौम्य दिवस हो तो पद्मक नाम का योग बनता है।

स्नान, व्रत, जप, होम हवन, दान का मिलता है विशिष्ट फल

कार्तिक पूर्णिमा पर नदी में स्नान, मंत्रों के जप भागवत के पाठ होम हवन तथा दान का विशिष्ट फल प्राप्त होता है। यदि तीर्थ पर हो तो सर्वोत्तम कहा गया है। इस दृष्टि से इस योग पर यथा श्रद्धा भगवत भजन कीर्तन, दान पुण्य करना चाहिए।

दीपक चैतन्य करने से पुनर्जन्म नहीं होता

इस दिन संध्या के समय देव मंदिरों पर या तीर्थ, तीर्थ के आसपास के मंदिरों पर दीपक चैतन्य करने से पुनर्जन्म नहीं होता। अर्थात यदि स्थान के, जल के, वायु के, कीट पतंगे, मच्छर, जलचर, वायुचर जो भी जीव उल्का के प्रकाश को देख लेता है तो उसका पुन: जन्म नहीं होता। यही स्थिति मनुष्य की भी रहती है। इस दिन कार्तिक पूर्णिमा के सायं काल दीप प्रज्वलन कर मंदिरों तथा तीर्थों पर छोडऩा चाहिए।

इसी दिन हुआ मत्स्य अवतार

मत्स्य पुराण की मान्यता के अनुसार देखे तो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के सायंकाल पर भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार को ग्रहण किया था। इसके संबंध में भी अलग-अलग कथाओं के रुपक आते हैं किंतु कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु का पंचोपचार व षोडशोपचार पूजन करने से तथा विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

कार्तिकेय के दर्शन से मिलता है धन और भोग

पूर्णिमा तिथि पर कार्तिकेय महाराज के दर्शन करने का भी विशिष्ट फल पुराण में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक की पूर्णिमा पर कार्तिकेय के दर्शन करने से धनधान्य के साथ उत्तम लाभ तथा भोगों की प्राप्ति होती है। वर्ष पर्यंत दरिद्रता नहीं होती।

रामघाट पर सुबह स्नान और शाम को दीपदान

कार्तिक पूर्णिमा पर आज शाम श्रद्धालुे पितरों के मोक्ष के लिए दीपदान करेंगे। रामघाट पर महिला, बच्चे पुरुष वर्ग घाट पर दीप जलाएगा और पूजन कर नदी में प्रवाहित करेगा। पिशाच मुक्तेश्वर घाट से लेकर छोटी रपट तक नदी में हजारों दीपक जगमगा उठेंगे।

इसी तरह उज्जैन के सिद्धवट पर कार्तिक मास की पूर्णिमा पर पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान और जलदान किया जाएगा जिसका पौराणिक काल से महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शिप्रा नदी में सुबह से ही लोग स्नान के बाद कर्मकांड, पिंडदान के लिए जुटेंगे।

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