चुनाव परस्पर समभाव का हो, प्रतिशोध का नहीं

झाबुआ। लंबे और थकाऊ इंतजार के बाद अंतत: प्रदेश चुनाव आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायती राज चनावो ंकी तारीख का एलान कर दिया। चुनाव को ले कर काफी समय से सुगबुगाहट चल रही थी वहीं चुनाव में दावेदारी करने वालो ने अपने हिसाब से मतदाताओं का मन टटोलने ग्राम स्तर पर बेठेके शुरू कर कर दी।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को ही पार्लियामेंट तक पहुचने का प्रथम मार्ग कहा जाता है। या यूं कहें कि पार्लियामेंट की प्रथम पाठशाला पंचायत चुनाव है। वैसे तो पंचायतों में पंचो को परमेश्वर का ओहदा दिया गया है। प्राचीन समय में गावों की चौपालों पर बैठ कर ग्राम प्रमुख ओर पंच मिलकर ग्राम का विकास हो या सामाजिक तनों बानो की रूप रेख तय करते थे।

महात्मा गांधी की त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था इसी लिए लागू की गई कि गावो का विकास गावो में हो सके, किन्तु खेद का विषय की रकनीतिक दलो, उनकी सरकारों के भंवर जाल में फंस कर पंचायती राज व्यवस्था पर राजनीति का रंग इतना गहरा छा गया कि जो व्यवस्था ग्राम की चौपालों पर ही होनी थी वह अब भोपाल दिल्ली के वातानुकूलित कक्षों से ले कर सफेद खद्दर धारियों की चौखट पर नाक रगड़े बिना शुरू नही होती।

राजनीति के रंग में रंगी पंचायती राज व्यवस्था मात्र एक व्यवस्था न रह कर रंजिसो में तब्दील होने लगी। एक बार सरपंची हाथ ते ही सरपंच साहब न केवल सर्वे सर्वा हो जाते अपितु अपने विरोधियों को येन केन प्रताडि़त करने से ले कर चुनावी रंजिश तक निकालने से बाज नही आते। पार्लियामेंट की प्रथम ओर सबसे पहली सीढ़ी होने के चलते इन चुनावों में मतदाताओ की संख्या भी सीमित होती है जिसके चलते मतदाताओं का रुख ओर उनके द्वारा किये गए मतदान का रुख आसानी से पता लग जाता है।

इसके अतिरिक्त गावो में फलियों की व्यवस्था जातिगत आधार पर होती है। जिन फलियों में जातिगत आधार पर वोटो की संख्या अधिक होती है उस पंचायत में उन्ही का प्रतिनिधि जीत हासिल करता है। चुनाव बाद इसी के चलते आपसी रंजिश का दौर शुरू हो जता है। राजनीति के रंग में ओत प्रोत व्यवस्था के हल यह हो गए कि चुनाव पूर्व से ही दावेदारों को निपटना शुरू कर देते हैं। इस तरह के आरोप बीते माह जिले की थांदला विधान सभा मे एक युवक को पुलिस द्वारा अवैध शराब मामले में गिरफ्तार करने के बाद एक दल के जन प्रतिनिधियों ने सार्वजनि आरोप लगाते हुए पुलिस को कटघरे खड़ा किया।

कुछ इसी तरह के मामले जिले में अन्य जगहों पर भी सामने आ चुके है। यही नहीं कभी कभी चुनाव ओर मतगणना के दौरान मतदान कर्मी भी इनकी चपेट में आ जीते हंै। खेर एक बार पुन:त्रि पंचायती राज चुनाव का आगाज हो चुका है। पंचो से ले कर जनपद स्तर और जिला जनपद के चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव ओर उसके पद 5 वर्षो के हैएरिस्तेदारी ओर सामाजिक सम्बंद जन्मों जन्म के हंै। चुनाव में भेद मत का हो मन का नही। सभी की अपनी मानसिकता ओर सभी के अपने विचार है। यह विचार चुनावो के साथ आपसी मतभेद और रंजिश के न हो कर परस्पर सम्भाव और सौहाद्र्र के बने रहे।

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