लोकायुक्त के लेटर पर नपती की तो ज्यादा निकली बिल्डिंग की उंचाई

नगर निगम

विक्रम विवि मार्ग पर बन रही बिल्डिंग बनी नगर निगम के गले की फांस

उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय मार्ग पर इंदौर की फर्म आर.एम.विनो द्वारा बनाई जा रही विवादास्पद बिल्डिंग नगर निगम के लिए गले की फांस बन गई है। लोकायुक्त संगठन के एक पत्र के बाद जब नगर निगम की बिल्डिंग ऑफिसर ने बिल्डिंग की नपती कराई तो इसकी उंचाई स्वीकृति से लगभग 3.5 मीटर ज्यादा निकली है। लोकायुक्त को तो मामले में जवाब भेज दिया गया लेकिन नगर निगम के स्तर पर अवैध निर्माण के मामले में कार्यवाही को आगे बढऩे से रोक दिया गया है।

यह स्थिति तब है जब नगर निगम शहर में अनाप-शनाप तरीके से आम लोगों को अवैध निर्माण के नोटिस जारी कर रही है। देवासरोड के प्लॉट क्रमांक 40 पर आर.एम. विनो कंपनी के संचालक सुशील जैन द्वारा आलीशान बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। जिस परिवार से बिल्डिंग निर्माण के लिए जमीन खरीदी गई, उसी परिवार की एक महिला सदस्य की आपत्ति के बाद लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और षडय़ंत्र की धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया हुआ है।

नगर निगम के अपर आयुक्त मनोज पाठक (तत्कालीन नगर निवेशक) व अन्य अधिकारी इस मामले में आरोपी है। नगर निगम इस आलीशान बिल्डिंग की अनुज्ञा भी निरस्त कर चुकी है। नगर निगम की कार्यवाही के विरूद्ध आर.एम.विनो कंपनी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट से इन्हें राहत मिली कि नगर निगम ने जितने निर्माण की स्वीकृति जारी की है, उतना निर्माण कंपनी कर सकती है। हुआ इसके ठीक उलट।

लोकायुक्त इंदौर के डीएसपी आनंद कुमार यादव ने एक शिकायत के बाद कुछ दिन पहले नगर निगम आयुक्त से चार बिंदुओं पर जांच प्रतिवेदन मांगा था। इन्हीं में से एक बिंदु यह भी था कि क्या अभी तक किए गए निर्माण की उंचाई प्रपोजल फार्म में दी गई उंचाई के अनुरूप है।

इस एक बिंदु की जांच के लिए नगर निगम आयुक्त के निर्देश पर भवन अधिकारी जोन 4 अभिलाषा चौरसिया ने मौके पर पहुंचकर जांच की। भवन अधिकारी के जांच प्रतिवेदन में साफ तौर पर इस बात का उल्लेख किया गया है कि नगर निगम ने बिल्डिंग की जितनी उंचाई की स्वीकृति दी है, मौके पर उससे ज्यादा उंचाई है।

भवन अधिकारी अभिलाषा चौरसिया ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि विवि मार्ग की निर्माणाधीन बिल्डिंग की उंचाई 15 मीटर पाई गई है जबकि प्लिंथ हाईट 1.25 मीटर है। इस रिपोर्ट के साथ 2019 और 2020 में कंपनी द्वारा किए गए ऑनलाइन आवेदन के भी प्रिंट लोकायुक्त को भेजे गए है।

भवन अधिकारी द्वारा हालिया की गई जांच से यह साफ हो गया है कि जिस बिल्डिंग के निर्माण में खुद नगर निगम के ही अधिकारी लोकायुक्त के घेरे में फंसे है, जिस बिल्डिंग के निर्माण का विवाद दो बार कोर्ट पहुंच चुका है उस बिल्डिंग में तय अनुज्ञा के मुताबिक निर्माण नहीं हुआ है।

पिछले दिनों आयुक्त अंशुल गुप्ता के हस्ताक्षर से लोकायुक्त इंदौर को तो जांच रिपोर्ट भेज दी गई लेकिन सबकुछ साफ होने के बावजूद नगर निगम अपने स्तर पर अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सकी।

कहीं ये बचाने की साजिश तो नहीं

विक्रम विवि मार्ग के प्लॉट नंबर 40 पर बन रही बिल्डिंग पर निर्माण जारी रहता, यदि लोकायुक्त का पत्र नहीं आया होता और इस पर जांच नहीं होती तो शायद विवादास्पद होने के बाद भी अवैध निर्माण का मामला दबा ही रहता। अब खुद जोन भी भवन अधिकारी ही अपनी रिपोर्ट में बिल्डिंग की उंचाई अधिक होने की बात स्वीकार कर चुकी है।

मामले में आगे की कार्यवाही के सवाल पर भवन अधिकारी अभिलाषा चौरसिया ने ऐसी कोई जांच ही नहीं करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मैंने मौके पर किसी तरह की जांच ही नहीं की है, ऐसे में कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं उठता। वास्तविकता यह है कि मौके पर बनाए गए पंचनामे और अपर आयुक्त सामान्य प्रशासन को भेजी गई रिपोर्ट पर भवन अधिकारी अभिलाषा चौरसिया के ही हस्ताक्षर है।

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