सत्ता की चकाचौंध में भाजपाईयों के ठुमकों में जय-जय सिया राम का तडक़ा

सत्ता का नशा अब सिर चढ़ कर दिखने लगा।
अनुशासन का वस्त्र तार-तार होते दिखने लगा।
केडर बेस पार्टी का तमगा जिसे मिला संगठन से।
उन्हें आज फूहड़ गानों पर नशेमन हो के नाचते देखा।

झाबुआ। भाजपा जिस मातृ संगठन की वजह से सत्ता में वजूद बनाया आज उसके संस्थापक से लेकर संगठन के पदाधिकारियों के पास जब-जब ऐसी घटनाओं की शिकायत मय प्रमाण के पहुंचती होगी तो उन पर क्या गुजरती होगी यह सोचा जा सकता है।

हालांकि जिले के भाजपाईयों के इतिहास में बीते कुछ वर्षों में जिलाध्यक्ष के पद पर काबिज हुए उन पर किसी न किसी तरह के चाल चरित्र के आरोप न केवल लगे वरन ये सच भी साबित हुए। वर्तमान जिलाध्यक्ष का तो कार्यकाल ही विवादों से शुरू हुआ। पहले बामनिया की महिला ने पुलिस अधीक्षक से लेकर भाजपा हाई कमान तक मय प्रमाण के शिकायत कर चुकी है, बावजूद जिलाध्यक्ष अपने ना समझ राजनीतिक सेना या चटरगुल्लों के मकडज़ाल में फंसकर कोई न कोई ऐसे मामले में उलझ ही जाते जिसे स्वयं और संगठन में आंच आती ही है।

ताजा मामला हाल ही में सम्पन्न हुए भाजपा के जिला स्तरीय प्रशिक्षण वर्ग का है। हालांकि संगठन स्तर के सम्पूर्ण सावधानी, नियमों का कड़ाई से पालन के निर्देश दिये थे। यहां तक कि इस प्रशिक्षण वर्ग की कोई भी जानकारी या फोटो भी सोश्यल मीडिया पर पोस्ट करना प्रतिबंधित था, जिसका भाजपाईयों ने पालन भी किया।

तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान कुछ ऐसे नजारें अब सामने आने लगे कि भाजपाई नजरें बचाते फिर रहे हैं। बताते हैं मामले की शिकायत संगठन स्तर पर भी हुई, किन्तु सफाई दी गयी कि यह सब कार्यक्रम समाप्ति पश्चात कुछ अन्य लोगों ने किया है।

किंतु सत्य छिपाए नहीं छिपता की तर्ज पर भाजपाईयों का वह वीडियो सामने आ ही गया जिसमें प्रशिक्षण वर्ग के ही मंच से कुछ गाने गा रहे थे यारा तेरी यारी को याद करेगी दुनिया… इस दौरान जिलाध्यक्ष मंच के नीचे न केवल ठुमके लगा रहे थे अपितु लयबद्ध गाने पर झूमते हुए अपने अन्य साथियों को भी खींच-खींच कर नाचने ला रहे थे।

वीडियो में कई प्रतिष्ठित भाजपाई भी है जिन्हें जिलाध्यक्ष ने अपनी कार्यकारिणी में पदों से नवाजा है। गीत के अंत में सभी भाजपाई जय-जय सिया राम के नारे लगाते हुए दिखाई दे रहे तो मंच पर प्रशिक्षण वर्ग का और मंच के आगे नीचे भारतीय जनता पार्टी जिला झाबुआ का बेनर लगा है।

सवाल है कि जब संगठन को यह कहा गया कि प्रशिक्षण वर्ग के बाद का था तो मंच वही था, भाजपाई वही थे, यहां तक कि मेघनगर क्षेत्र के दो भाजपाई बरमुंडे में नाचते दिखाई दे रहे हैं। तीन दिवसीय प्रशिक्षण में रात्रि कालीन ठुमकों ओर गानों की आवाज क्षेत्र में रहने वाले घरों तक पहुंच रही थी।

बताने वालों का तो यह भी कहना था कि फिल्म शराबी के गाने नशा शराब में होता तो नाचती बोतल पर कार्यक्रम स्थल पर जबरदस्त हुड़दंग हो रही थी, जिसकी आवाजें बाहर तक रात्रि के संन्नाटे में साफ सुनाई दे रही थी। भाजपाईयों की इस नादानी और संगठन नियमों के विपरीत ठुमके लगाने और उस पर जय-जय सियाराम के नारों का तडक़ा लगाने की सर्वत्र निंदा हो रही तो विरोधी कांग्रेसी इसे पंचायत चुनाव में भाजपा के चाल चरित्र को उजागर करने वाला हथियार बनाने की तैयारी कर रही।

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