महाशिव नवरात्रि महोत्सव आज से: दूल्हा बनेंगे बाबा महाकाल, 9 दिन तक विशेष श्रृंगार

नौंवे दिन महाशिवरात्रि पर्व पर 11 लाख दीपों से जगमग होगी महाकाल की नगरी

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल की नगरी में 9 दिवसीय महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत 21 फरवरी से हो रही है। बाबा महाकाल आज से दूल्हा बनेंगे। उनको हल्दी चढ़ाई जाएगी। इस बार महाशिवरात्रि पर्व पूरे विश्व के लिए खास माना जा रहा है, क्योंकि यह पहला मौका होगा जब महाशिवरात्रि के पर्व पर अवन्तिका नगरी उज्जैन को 11 लाख दीपों से रोशन किया जाएगा।

शिवनवरात्रि पर्व के पहले दिन सुबह 9 बजे कोटेश्वर भगवान के अभिषेक से शुरुआत की जाएगी। इसके बाद महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक किया जाकर गर्भ गृह में 9 दिन तक 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादश -एकादशनि रूद्राभिषेक पूरी शिवनवरात्रि के दौरान प्रात: 9 बजे से 1 बजे दोपहर के मध्य किया जाएगा।

9 दिन संध्या के समय पंचामृत पूजन के बाद अलग-अलग श्रृंगार से बाबा को श्रृंगारित किया जाएगा। जिसमें चंदन श्रृंगार, जलाधारी व विशेष वस्त्र अर्पित किये जाएंगे। माता पार्वती का भी 11 दिवसीय पर्व के दौरान प्रत्येक 9 दिन नया श्रृंगार जिसमे अलग-अलग साडिय़ां माता को पहनाई जाएंगी।

9 दिन चलने वाले क्रम में शिव को हल्दी भी लगाई जाएगी और मंदिर परिसर में प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष 9 दिन तक पाठ भजन किए जाएंगे। बाबा को लगने वाली हल्दी को लेकर माना जाता है जो भी श्रद्धालु हल्दी घर लेकर जाता है उनके यहां उनके बच्चों का विवाह जल्द सही उम्र में तय हो जाता है।

जानिए महाशिवरात्रि पर्व तक कैसे होंगे दिन

  • पहला दिन- 21 फरवरी पहला दिन पंचमी पर शेष नाग श्रंृगार,
  • दूसरा दिन- 22 फरवरी दूसरे दिन छट के रोज मनमहेश
  • तीसरा दिन- 23 फरवरी तीसरे दिन चंद्रमौलेश्वर श्रृंगार, चौथा दिन- 24 फरवरी
  • चौथे दिन शिवतांडव श्रृंगार, पांचवां दिन- 25 फरवरी
  • पांचवे दिन उमामहेश श्रृंगार
  • छठा दिन-26 फरवरी छठे दिन होल्कर श्रृंगार,
  • सातवां दिन-27 फरवरी सातवें दिन घटाटोप श्रृंगार,
  • आठवां दिन- 28 फरवरी आठवें दिन सप्तधान श्रृंगार,
  • नवें दिन – 1 मार्च को नवें दिन बाबा साकार से निराकार रूप धारण कर दर्शन देंगे। उस दिन 24 घण्टे बाबा को जल अर्पित किया जाएगा। रात्रि जागरण होगा व 4 पहर का पूजन होगा।

आखिरी दिन- 2 मार्च दसवें दिन सुबह 4 बजे पूजन के बाद श्रृंगार व सेहरा दर्शन। बाबा को 1000 बिल पत्र अर्पित कर सप्त धान प्रतिमा पर अर्पण किए जाएंगे। उसके बाद दोपहर 11 बजे तक सेहरा दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु। सेहरा दर्शन आरती में रजत सिक्का मंदिर समिति की ओर से बाबा पर न्यौछावर किया जाता है। वो सिक्का पुजारियों के पास जाता है। ये परंपरा वर्षो से चली आ रही है. सेहरा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है और साल में पहला वो दिन होता है जब 12 बजे दोपहर में भस्मारती की जाती है।

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