नगर निगम अफसरों में घमासान

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अपर आयुक्तका लेटर बम, आयुक्तसे कहा-आप व्यस्त है तो मैं कर देता हूं अधिकारियों रीलिव

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम मुख्यालय छत्रपति शिवाजी भवन में बड़े अधिकारियों के बीच घमासान का एक और उदाहरण सामने आया है। शासन ने उपायुक्त और सहायक आयुक्त स्तर के दो अधिकारियों का उज्जैन से तबादला किया लेकिन आयुक्त अंशुल गुप्ता ने इन्हें रीलिव नहीं किया है। अब अपर आयुक्त आर.एस. मंडलोई ने आयुक्त को एक पत्र भेजा है, इसमें लिखा है- यदि आप व्यस्त है तो 3 दिन में दोनों अधिकारियों को मैं रीलिव कर दूंगा।

अपर आयुक्त आर.एस. मंडलोई और आयुक्त अंशुल गुप्ता दोनों ही अधिकारी पहले भी ग्रांड होटल में आमने-सामने हो चुके है। इनके बीच अक्सर तनातनी के उदाहरण सामने आए है। गुरूवार को तो अपर आयुक्त मंडलोई ने आयुक्त अंशुल गुप्ता को भी चौंका दिया। शासन ने पिछले सप्ताह ही उपायुक्त संजेश गुप्ता और सहायक आयुक्त तेजकरण गुनावदिया के ट्रांसफर आदेश जारी किए है। आयुक्त ने इन दोनों ही अधिकारियों को अब तक रीलिव नहीं किया है जबकि शासन ने दो दिन के भीतर दोनों को नई जगह ज्वाइन करने के निर्देश दिए थे।

आयुक्त अंशुल गुप्ता की दोनों ही अधिकारियों पर इस मेहरबानी से अपर आयुक्त आर.एस. मंडलोई खासे नाराज है। गुरूवार को उन्होंने आयुक्त अंशुल गुप्ता को एक पत्र भेजा। इस पत्र में लिखा है- शासन के आदेशानुसार अधिकारी, कर्मचारियों को अन्यत्र निकायों में स्थानांतरित किया जाकर उन्हें तत्काल भारमुक्त करने के निर्देश प्रदान किए गए है।

निर्देशों के परिपालन में उन्हें तत्काल भारमुक्त(रीलिव) करे। आपकी व्यस्तता के कारण यदि उन्हें भारमुक्त नहीं किया जाता है तो मेरे द्वारा उन्हें 3 दिन के बाद शासन आदेश के पालन में भारमुक्त कर दिया जाएगा। अपर आयुक्त ने आयुक्त अंशुल गुप्ता के साथ ही प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन और संभागआयुक्त को भी इस पत्र की प्रति भेजी है।

साहब से कहना- लंच टाईम हो गया है

अपर आयुक्त आर.एस. मंडलोई का लेटर जैसे ही आयुक्त अंशुल गुप्ता के पास पहुंचा, वे भी इसे देखकर चौंक गए। आयुक्त ने कर्मचारी को भेजकर अपर आयुक्त को अपने कक्ष में बुलवाया। अपर आयुक्त का जवाब आया- साहब से कह देना, लंच टाईम हो गया है। मैं लंच के लिए निकल रहा हूं।

आय से ज्यादा, तनख्वाह पर खर्च

  • अपर आयुक्त आर.एस. मंडलोई ने आयुक्त अंशुल गुप्ता को जो पत्र भेजा है, उसमें नगर निगम उज्जैन में जरूरत से ज्यादा अधिकारियों की पदस्थापना होने का भी जिक्र किया है।
  • मंडलोई ने लिखा है कि उज्जैन ननि में आवश्यकता से ज्यादा जितने अधिकारी है, उनके स्थानांतरण के लिए शासन को पत्र लिखा जाना चाहिए,ताकि निगम को अनावश्यक वित्तिय भार से बचाया जा सके।
  • यह तथ्य बहुत हद तक सही भी है। उज्जैन ननि में अपर आयुक्त के एक ही पद की जरूरत है जबकि यहां 4 अपर आयुक्त पदस्थ है।
  • केवल 2 ही सहायक आयुक्त या उपायुक्त की जरूरत है, उज्जैन नगर निगम में 6 सहायक आयुक्त, उपायुक्त काम कर रहे है। फील्ड में स्वीकृत पद से 9 सब इंजीनियर ज्यादा है।
    द्य हर महीने नगर निगम 7.5 करोड़ रूपए तनख्वाह और करीब 50 लाख रूपए पेंशन बांटती है। सालाना स्थापना व्यय लगभग 100 करोड़ रूपए होता है जबकि नगर निगम की सालाना आय इससे बहुत कम है।
  • इसका सीधा मतलब यह है कि आम लोगों की जेब से टैक्स के रूप में जो रकम निकलती है, उससे कहीं ज्यादा तनख्वाह बांटने में ही खर्च हो जाती है। विकासकार्यो के लिए पैसा जुटाने के लिए शासन का मुंह ताकना पड़ता है।

इनका कहना

शासन ने ही ट्रांसफर हुए अधिकारियों को दो दिन में रीलिव करने के लिए लिखा है। इसी का पत्र मैंने आयुक्त महोदय को भेजा है। मैं शासन आदेश का पालन ही कर रहा हूं। आयुक्त महोदय ने मुझे तलब किया, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।

– आर.एस. मंडलोई, अपर आयुक्त ननि

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