साहब शिव ने दिया सम्हलने का मौका तो लगा दो अब चौका

साहब भ्रष्टों के रैलों को देखना बंद कीजिये
उपरवालों की नजरों में अपनी साख को बनाये रखिये
भ्रष्टों की नकेल कसने की हरी झंडी दे दी
जब मामा ने इधर उधर देखने की बजाय सीधे बुलडोजर ही चलाईये

झाबुआ, अग्निपथ। संत कबीरदास जी का एक गीत है जिसका मुखड़ा है कबीरा जब हम पैदा हुए जग हँसे हम रोए, ऐसी करनी कर चलो हम हँसे जग रोए’ ’चदरिया झीणी रे झीणी। कबीरदास जी का यही गीत इन दिनों आदिवासी अंचल झाबुआ जिले के लिए उस दिन से सही लगने लगा जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कमिश्नर,कलेक्टर की कांफ्रेंस में झाबुआ कलेक्टर सोमेश मिश्रा को कहा कि ’आपके जिले की भ्रष्टाचार की बहुत शिकायते आ रही यह नही चलेगा,इसे ठीक करले’ कलेक्टर को भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की हरी झंडी मिलने के बाद से कलेक्टर की कार्यप्रणाली वही श्वान के दुम सी लग रही है ,भले कलेक्टर ने कार्यप्रणाली सुधारने की नसीहत दे दी हो, किन्तु जिले में तो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मामले में चिकना घड़ा ही साबित हो रहा हैे।

दरअसल मुख्यमंत्री भगोरिया में जिले के थांदला में आये थे, तब उनसे जिले की स्कूलों में सप्लाय किये जाने वाली खेल सामग्री घटिया स्तर की होने की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को जांच करने निर्देश दिए थे। अब आंखे बंद कर दूध पीने वाली बिल्ली पर जब आन पड़ी तो दौड़ी चूहों का शिकार करने की तर्ज पर जांच करवाते हुए ,जिला मुख्यालय सहित पेटलावद,थांदला,मेघनगर रामा,राणापुर आदि क्षेत्रों में कुछेक अदने कर्मचारियों को बली का बकरा बनाते हुए निलंबित कर दिया तो जिले में जिन फर्मो के बिल सप्लायरो ने लगाए थे, उन पर कार्रवाही करते हुए आइपीसी की धारा 420,511,120 बी के तहत दिखावे के लिए एफआईआर दर्ज कर जांच के नाम ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

भ्रष्टचार को अंजाम देने वाले सफेद पोश अब भी पर्दे के पीछे है। पर्दा भी कबीरदास जी के भजन की तरह झिणा ही है। बावजूद मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी फर्म मालिको से न तो पूछताछ हो रही और न ही उनकी गिरफ्तारी। कुछ ऐसा ही मामला जनजातिय विभाग में जिले के मॉडल स्कूलो का या फिर बरसो से शहर की पुरानी तहसील पर अतिक्रमण का मामला हो या बहादुर सागर तालाब के सीमांकन से ले कर अतिक्रमण का मामला हो, जांच के नाम कार्रवाही कछुआ गति हो रही है। हाल ही में जिले के थांदला के केशव उद्यान मामले में कलेक्टर द्वारा सीसी रोड को उखाड़ कर बगीचा यथा स्थिति लाने के आदेश के एक माह बाद भी कार्यवाही ’नोै दिन चले अढ़ाई कोस’ वाली स्थिति बनी हुई है।

साहब कार्रवाही ऐसी हो जैसी बीते दिनों थांदला सोसायटी में हुए ऋण माफी घोटाले में बैंक मैनेजर सहित एक अन्य को गिरफ्तार कर जेल भेजा । उसी तरह खेल सामग्री सप्लायरों का भी हश्र यही हो । जिससे मुख्यमंत्री को संदेश पहुचे की झाबुआ में कांफ्रेंस में दिए निर्देश का पालन ईमानदारी से हो रहा है। अन्यथा जिला बदनाम हो जाएगा उत्तराखंड के आशीर्वाद के चलते।
आपके आदेश हुए हैं तो फालोअप भी करवाईये
ठंण्डे बस्तो में गई फाईलों की धुल झंटकवाईये
जिन्न की तरह इन भ्रष्टों ने मचा रखा है उत्पात
यहां पे सच्चे जन सेवक का अब तो फर्ज निभाईये शिवराज

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