निगम आयुक्त ने ‘क्रीम’ का किया बंटवारा

नगर निगम

वर्कशॉप, पीएम आवास और शिल्पक्ष के प्रभारी अब मनोज पाठक नहीं, अपर आयुक्तों के बीच नए सिरे से कार्यविभाजन

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम आयुक्त ने शुक्रवार को तीन अपर आयुक्तों के बीच नए सिरे से कार्यविभाजन का आदेश जारी किया है। आयुक्त के इस आदेश की नगर निगम में खासी चर्चा है। अहम बात यह है कि नए कार्यविभाजन में अपर आयुक्त मनोज पाठक के पास से तीन ऐसे प्रमुख विभाग वापस ले लिए गए है, जिन्हें नगर निगम में क्रीम माना जाता है।

आयुक्त अंशुल गुप्ता द्वारा जारी कार्यविभाजन आदेश के तहत अपर आयुक्त मनोज पाठक को प्रकाश विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। उनके प्रभार में अब तक रहे शिल्पज्ञ विभाग, प्रधानमंत्री आवास योजना और वर्कशॉप का प्रभार वापस ले लिया गया है। ये तीनों ही विभाग नगर निगम में बहुत अहमियत रखते है। पाठक को प्रकाश विभाग सौंपा गया है, इसके प्रभारी अब तक अपर आयुक्त आर.एस. मंडलोई थे।

मनोज पाठक के पास रहे वर्कशॉप, निगम गैरेज और शिल्पज्ञ विभाग के प्रभारी अपर आयुक्त वित्त आदित्य नागर को बना दिया गया है। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी घटक का प्रभारी अपर आयुक्त सह स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक को बनाया गया है। नए कार्यविभाजन का आदेश साफतौर पर यह संदेश दे रहा है कि इसे खासतौर पर अपर आयुक्त मनोज पाठक के प्रभार कम करने के लिए ही निकाला गया है।

चर्चा तो यह भी है!

नगर निगम के गलियारों में चर्चा है कि बुधवार की शाम नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता और अपर आयुक्त मनोज पाठक के बीच आयुक्त के चेंबर में गर्मा-गर्म बहस हुई है। इस बहस के बाद ही मनोज पाठक के प्रभार कम करने की कवायद शुरू हुई। बहस का विषय कोर्ट में प्रचलित एक प्रकरण से जुड़ा हुआ था।

शिल्पज्ञ के प्रभारी होने की वजह से पाठक ही तय करते थे कि जिस कोर्ट केस में साक्ष्य के लिए कौन सा इंजीनियर जाएगा। यहीं वजह है कि उनके पास से शिल्पज्ञ वापस ले लिया गया है। दोनों अधिकारियों के बीच बहस हुई, यह चर्चा तो पूरे नगर निगम में है लेकिन इसकी पुष्टि किसी अधिकारी ने नहीं की है।

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