अतिक्रमण ना हटाना पड़े इसलिए ग्रामीण क्षेत्र मेंं बता दिया कॉलोनी 

कॉलोनी के रहवासी नपा चुनाव मेंं कर चुके हैं मतदान

झाबुआ, अग्निपथ। रानापुर रोड पर निर्मित नेचरल ग्रीन (गादिया) कॉलोनी मेंं राजस्थान से आए एक रसोइये मदन कुंभकार ने कॉलोनी की सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर अवैध शेड का निर्माण कर लिया। इस कब्जे मेंं मदन का सहयोग कॉलोनी मेंं रहने वाला हारा हुआ पार्षद, यहीं रहने वाला एक भाजपा नेता, एक सेल्स मेंन, एक झोलाछाप डॉक्टर और एक शासकीय कर्मचारी कर रहे हैं।

सार्वजनिक भूमि के सामने रहने वाले परिवारों ने इसका विरोध किया तो न सिर्फ मदन के राजस्थान से आए आपराधिक किस्म के कर्मचारी विरोध करने वाले के घर मेंं मारपीट करने घुस गए अपितु थाने मेंं मदन के अवैध शेड मेंं बंधी गाय को मारने की झूठी रिपोर्ट भी कर दी गई। जबकि उक्त घटना के चार दिन पहले मदन की गाय को किसी ने घायल कर दिया था, जिसकी रिपोर्ट मेंं मदन ने चार अज्ञात लोगों का नाम बताया था।

चार दिन बाद गाय को मारने मेंं शिकायत करने वाले वीडी मिश्रा व टोनी पीठाया का नाम लिखवा दिया। पुलिस ने भी चार दिन के अंतराल मेंं अलग रिपोर्ट दर्ज कर ली। शिकायत करने वालों ने भी रिपोर्ट दर्ज करवाई लेकिन तीन माह से अधिक समय बीतने के बाद भी न तो शिकायत करने वालों की रिपोर्ट दर्ज की गई न ही बयान हुए।

शिकायत करने वालों ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की तो कॉलोनी का अतिक्रमण न हटाना पड़े इसलिए तहसीलदार व पटवारी ने कॉलोनी को ग्राम पंचायत आम्बा खोदरा मेंं होना बताकर पल्ला झाड़ लिया, जबकि इस कॉलोनी मेंं रहने वालों ने नगरपालिका चुनाव मेंं वार्ड एक के पार्षद के पक्ष मेंं मतदान किया है, सीएम हेल्पलाइन पर हुई शिकायत का जवाब कॉलोनी को ग्रामीण क्षेत्र मेंं बताया गया है, नियमानुसार यदि कॉलोनी ग्रामीण क्षेत्र मेंं आती है तो यहां के रहवासी नगरपालिका चुनाव मेंं मतदान करने के पात्र नहीं न ही नगरपालिका कॉलोनी के रहवासियों को सफाई, कचरा वाहन आदि की सुविधा मुहैया नहीं करवा सकती क्योंकि नपा को इस कॉलोनी से किसी प्रकार का टैक्स प्राप्त नहीं हो रहा, फिर भी यहां कचरा वाहन, सफाई व्यवस्था करवा रही है।

यानी कॉलोनी मेंं किया अतिक्रमण हटाना हो तो कॉलोनी ग्राम पंचायत मेंं, और पार्षद के पक्ष मेंं मतदान करना हो तो कॉलोनी नपा मेंं। प्रशासन की यह दोहरी नीति जनता की समझ से परे है। शिकायत कर्ताओं के समक्ष इस पहेली को सुलझाने माननीय न्यायालय मेंं जनहित याचिका दायर करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।

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