बैंक मैनेजर और एजेंट को 3 साल की सजा

किसान के नाम से निकाला था लोन

उज्जैन, अग्निपथ। क्रेडिट कार्ड बनवाने के नाम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराकर किसान के नाम से लोन निकालने वाले बैंक मैनेजर और एजेंट को न्यायालय ने धोखाधड़ी के मामले में 3 साल की सजा सुनाई है।

अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी मुकेश कुन्हारे ने बताया कि 13 अगस्त जून 2010 को तराना के नहारखेड़ी में रहने वाले मदनलाल ने बैंक ऑफ इंडिया ब्रांच तराना में क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिये आवेदन किया था और बैंक एजेंट नारायणसिंह को बताया था कि उसके ऊपर ट्रेक्टर का चार लाख लोन भूमि विकास बैंक का बकाया है। एजेंट ने बकाया होने पर भी लोन पास कराने की बात कहीं और बैंक मैनेजर प्रभुदयालसिंह को दोस्त होना बताया।

एजेंट ने मदनलाल से विड्राल फार्म के साथ अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करा लिये। कुछ माह बीतने के बाद भी लोन नहीं मिला तो मदनलाल ने एजेंट से संपर्क किया, उसने बताया कि इस साल लोन पास नहीं हो रहे है। ऋण मिलना बंद हो गया है। ढाई साल बाद मदनलाल को बैंक की ओर से बकाया देय राशि का नोटिस मिला। जिसमें 2.38 लाख रुपये बकाया बताया गया। उसने लोन की राशि नहीं मिलना बताया, बैंक ने उसे लोन दिये जाने के दस्तावेज दिखाए।

मदनलाल ने अपने साथ धोखाधड़ी होने की शिकायत तराना थाने पहुंचकर 11 जून 2013 को दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के बाद मामले में एजेंट नारायणसिंह पिता घीसूसिंह निवासी केसरपुर निपानिया और बैंक मैनेजर प्रभुदयालसिंह पिता जगदीश प्रसाद निवासी राजकोट के खिलाफ धारा 420 का प्रकरण दर्ज कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।

8 साल बाद शुक्रवार को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट रंजीता राव सोलंकी ने फैसला देते हुए एजेंट और मैनेजर को धोखाधड़ी से किसान के नाम पर लोन निकालने का दोषी करार देते हुए 3-3 साल की सजा सुनाई। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी पप्पू चौधरी सहायक जिला लोक अभियोजन, तराना द्वारा की गई।

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