पीठासीन अधिकारी ने कोर्ट में मानी गलती, फिर भी असली सरपंच को नहीं सौंपा प्रभार

सारंगी, (सुरेश परिहार) अग्निपथ। पंचायत चुनाव में मतगणना अधिकारियों से हुई गलती कोर्ट में कबूल लेने के बाद भी असल में निर्वाचित सरपंच को अब तक अपनी कुर्सी नहीं मिली है। प्रशासन ने अब भी गलती से चुना हुआ माने गए प्रत्याशी को ही सरपंची दे रखी है।

मामला पेटलावद विकास खंड की गुणावद ग्राम पंचायत का है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 में सरपंच पद के लिए 11 उम्मीदवार थे। जिसमें सर्वाधिक 170 मत पाने वाले प्रत्याशी गमना पिता बगदीराम भाभर की बजाय आकाश बारिया को निर्वाचित घोषित कर दिया गया था। बारिया को मात्र 66 मत ही मिले थे। मतगणना के दौरान सारणीकरण में हुई गलती के कारण हुए इस उलटफेर के खिलाफ विजयी प्रत्याशी ने कोर्ट में याचिका दर्ज की थी।

जिस पर कोर्ट में चले प्रकरण में चुनाव के पीठासीन अधिकारियों ने कर्मचारी की त्रुटि मानते हुए संशोधित निर्वाचन सूची कोर्ट में पेश कर दिया है। जिसमें पीठासीन अधिकारी की डायरी में वास्तविक सूची में चार नंबर पर दर्ज नाम गमना भाभर को 170 मत प्राप्त बता रखे हैं और आकाश बारिया को मात्र 66 मत प्राप्त होना बताया।

इस पर पीठासीन अधिकारियों ने अपनी गलती मानते हुए कोर्ट में संशोधित सूची प्रदान की। इसके बाद मामला साफ हो जाने पर भी अब तक गमना भाभर को सरपंच का प्रभार नहीं दिया गया है। इससे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर कोर्ट में गलती कबूलने के बाद भी प्र्रशासन के अधिकारी जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि को सरपंच पद सौंपने को तैयार क्यों नहीं है।

ऐसे हुई थी गड़बड़

मिली जानकारी के अनुसार कम मत मिलने के बाद भी आकाश को सरपंच पद पर विजयी घोषित करने की गड़बड़ी मतगणना के दौरान नामों के क्रम में बदलाव के कारण हुई थी। दरअसल गमना पिता बगदीराम बाबर को 170 मत और प्राप्त होना बताया है। पीठासीन अधिकारी की डायरी में समस्त उम्मीदवारों के नाम अंकित कर प्राप्त मत भी लिखे हैं।

किंतु दल के कर्मचारी द्वारा गणना उपरांत तैयार की गई गणना पर्ची में नाम अंकित करते समय त्रुटि हो गई। डायरी में जिस अभ्यर्थी का सबसे नीचे नाम था उसका नाम आकाश होने से कर्मचारियों द्वारा अल्फाबेट अनुसार सबसे ऊपर अंकित कर दिया। लेकिन उसके नाम के आगे प्राप्त मतों की संख्या डायरी में अंकित नाम अनुसार ही लिख दी गई। जिसके कारण गणना पर्ची में त्रुटि हुई और आकाश गलती से विजयी घोषित कर दिए गए। जिसका खुलासा कोर्ट में मामला जाने के बाद हुआ।

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