मदद की जगह दलाली में उलझी ‘108’

एंबुलेंस ड्राइवर रास्ते में ही प्राइवेट हॉस्पिटल में उतार रहे मरीज

धार, अग्निपथ। मरीजों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार ने बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम की अत्याधुनिक एंबुलेंस हर जिले से लेकर तहसील और गांव स्तर तक तैनात की गई है। ताकि दुर्घटना के वक्त घायल मरीज को तत्काल इलाज की सुविधा मिले और अस्पताल पहुंचने तक मरीज को प्राथमिक उपचार दिया जा सके। इन एंबुलेंस चालक ने प्राइवेट हॉस्पिटल से गठजोड़ का मामला सामने आया है। इसमें एंबुलेंस चालक ने हादसे के बाद मरीज को घटना स्थल से उठाया और धार के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में छोड़ दिया। जबकि नियमानुसार इसे जिला अस्पताल ले जाया जाना था।

मामला धार के लीलादेवी हॉस्पिटल से जुड़ा है। लीलादेवी हॉस्पिटल धार के बाहर तोरनोद ब्रीज के नीचे मौजूद है। जानकारी के अनुसार मंगलवार शाम मांगोद फाटे पर एक सडक़ दुर्घटना में घायल गोपाल पिता पद्म अमलियार(14) निवासी अमझेरा को बीएलएस सपोर्ट सिस्टम से लैस एंबुलेंस (सीजी-04-एनएस-7746) के चालक ने धार पहुंचाने के लिए अटेंड किया। घटना स्थल से कुछ ही देर में एंबुलेंस धार पहुंची। शहर में पहुंचने से पहले ही एंबुलेंस के चालक ने मरीज गोपाल को लीलादेवी हॉस्पिटल में उतारा और फिर जिला अस्पताल के लिए रवाना हो गई।

15 मिनट खड़ी रही जिला अस्पताल

लीलादेवी हॉस्पिटल में मरीज को उतारने के बाद एंबुलेंस रूट के अनुसार जिला अस्पताल पहुंची और जिला अस्पताल में करीब 15 मिनट तक खड़ी रही। दरअसल एंबुलेंस जीपीएस सिस्टम से लैस है, जिसकी निगरानी भोपाल से होती है। ऐसे में एंबुलेंस को ड्राइवर द्वारा जिला अस्पताल ले जाकर खड़ा कर दिया और फिर 15 मिनट इंतजार किया। वक्त गुजारने के बाद एंबुलेंस को लेकर चालक दोबारा हॉस्पिटल पहुंचा। हॉस्पिटल से कुछ दूरी पर मौजूद एक रेस्टोरेंट पर एंबुलेंस खड़ी कर दी और फिर दोबारा ये रवाना हो गए।

एमएलसी प्राइवेट हॉस्टिपल की

दरअसल जब इस मामले में पड़ताल की तो पता चला कि दुर्घटना में घायल गोपाल इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचा ही नहीं। जिला अस्पताल में गोपाल पिता पदम के नाम से कोई इंट्री मंगलवार की तारीख में नहीं दर्ज है और न ही ओपीडी में कोई इस नाम की इंट्री है। वहीं दूसरी तरफ बुधवार को सुबह नौगांव थाने पर इसी नाम से एमएलसी की सूचना लीलादेवी हॉस्पिटल द्वारा दी गई है। इससे साफ है कि एंबुलेंस ड्राइवर ने गठजोड़ कर मरीज को सीधे प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचा दिया और खानापूर्ति करने के चक्कर में खाली एंबुलेंस को अस्पताल में खड़ा किया।

दलाली के खेल से नुकसान मरीज का

दरअसल प्राइवेट हॉस्पिटल लीलादेवी की तरफ से मिलने वाली दलाली के लिए एंबुलेंस चालक मरीज को सीधे सरकारी हॉस्पिटल में पहुंचाने के बजाय प्राइवेट हॉस्पिटल में छोड़ रहे है। जबकि नियमानुसार मरीज को सरकारी में ले जाना है। थोड़े से लालच के चक्कर में महंगे इलाज का नुकसान मरीज को झेलना पड़ रहा है।

सरकारी डॉक्टर हो चुके है स्पॉट

लीलादेवी हॉस्पिटल में सरकारी एंबुलेंस से मरीज छोडऩे का मामला पहला है। लेकिन इसके पहले भी सरकारी डॉक्टर अस्पताल में आते-जाते पाए गए है। हालांकि इसके बाद भी न तो डॉक्टर पर कोई कार्रवाई हो पाई और न ही अस्पताल प्रबंधन जांच के दायरे में आया है। इस बार भी सवाल वहीं है?

इनका कहना

मरीज को एंबुलेंस से रेफर करने में नए नियम आए है। इसमें प्राइवेट हॉस्पिटल भी मरीज को छोड़ा जा सकता है। मरीज को  सीधे ड्राप किया है तो दिखवा लेता हूं।

– डॉ. शिरीष रघुवंशी, सीएमएचओ, धार

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