विकास यात्रा में आम लोगों की नहीं दिखी रूचि, कार्यक्रम स्थल पर कुर्सियां रही खाली

थांदला में शिवराज की विकास यात्रा को कलसिंह नहीं लगा पाए पर

थांदला, (गौरव अरोरा) अग्निपथ। मप्र के मुख्यमंत्री चुनावी साल में पूरे सूबे में विकास यात्राएं निकाल रहे हैं। 5 फरवरी से 25 फरवरी तक निकलने वाली यह विकास यात्रा यूं तो प्रशासनिक है परंतु क्षेत्र में इस विकास यात्रा को राजनेताओं ने अपने कब्जे में ले लिया है। सोमवार को थांदला विधानसभा क्षेत्र की यह विकास यात्रा थांदला नगर में पहुंची थी।

यात्रा से पहले इसकी तैयारी को लेकर नगर में जगह-जगह होर्डिंग्स दिखाई दे रहे थे। इन होर्डिंग्स में जितने भाजपाईयों के फोटो थे, उनमें से 50 प्रतिशत में भी यात्रा में दिखाई नहीं दिए। साथ ही आम नागरिकों की सहभागिता भी न के बराबर थी। जिसके चलते यह यात्रा पूरी तरह से नगर में फ्लॉप हो गई। भाजपाई सूत्रों का कहना था कि चूंकि विधानसभा स्तरीय यह यात्रा थांदला में आ रही थी, इसको लेकर यात्रा में पगड़ी पहनकर मुखिया की भूमिका में चल रहे पूर्व विधायक व वर्तमान भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष कलसिंह भाभर इसमें सर्वाधिक ग्रामीणजनों को लाकर शक्ति प्रदर्शन दिखाना चाहते थे।

इसी को लेकर थांदला दशहरा मैदान पर हजारों की संख्या में कुर्सियां लगवाई गई थी। जो कार्यक्रम शुरू होने के बाद भी खाली नजऱ आई।
साथ ही विकास यात्रा के नगर भ्रमण में नृत्य कलाकारों और प्रशासनिक तामझाम को छोड़ दिया जाए, तो गिनती के लोग ही इस यात्रा में दिखाई दिए। यह सब कहीं न कहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विकास यात्रा पर सवालिया निशान खड़ा करता है। क्या यह मान लिया जाए कि कलसिंह, सीएम शिवराज की इस विकास यात्रा को पर नहीं लगवा पाए?

विकास यात्रा में नगर के लोगों ने बनाई दूरी

विकास यात्रा में नगर के लोगों ने दूरी बनाए रखी। इसके पीछे की वजह यह है कि शासन की योजनाओं में मिलने वाले लाभ के लिए लोगों को लंबे इंतजार के साथ ही ऑफिसों के चक्कर लगाने पड़ते है। लोग हितग्राहीमूलक योजनाओं में मिलने वाले लाभ के चक्कर में शासन प्रशासन की ऐसे कार्यक्रम में शामिल जरूर होते हैं, परंतु बार-बार होने वाले ऐसे आयोजनों के पीछे की मंशा समझ चुके लोग अब दूरी बना लेते है। नतीजन शहरी क्षेत्र के लोगों का इन यात्राओं से मोह भंग होता जा रहा है।

पुराने विकास कार्यों के भूमिपूजन व शिलान्यास से कैसे सफल होगी विकास यात्रा?

शिवराज की इस महत्वाकांक्षी विकास यात्रा को ग्रामीण इलाकों में भी तवज्जों नहीं मिल रही है। ग्रामीण नेताओं और लोगों का कहना है कि पंचायत चुनाव हुए 6 माह से अधिक का समय हो गया है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए कोई नई राशि नहीं आई है। जानकारों की माने तो पिछले दो वर्षों से मनरेगा के निर्माण कार्यो में लगने वाली साम्रगी के भुगतान के लिए भी शासन से राशि नही मिल पा रही है। जिससे पंच-सरपंच से लेकर जिला पंचायत सदस्य तक परेशान है। जानकारों का कहना है कि विकास यात्रा के नाम पर पुराने कार्यों का शिलान्यांस व भूमिपूजन कर यात्रा के सफल होने की वाहवाही लूटी जा रही है।

ऐसे में सरपंच व अन्य जनप्रतिनिधि इन कामों और विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जाने से मुंह छिपा रहे है। विकास यात्रा को लेकर थांदला प्रखंड की बैठक में सरपंचों ने खुलकर प्रशासनिक अधिकारियों के सामने यह बात रखी है। यह इस बात का प्रमाण है। इन वजहों के चलते ही शायद ग्रामीण इलाकों में भी विकास यात्रा को लेकर कोई खासा उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है। यह बात अलग है। कि भाजपा के युवा नेता सोशल मीडिया में आकड़ो ओर अपने मान सम्मान के फोटो भेजकर विकास यात्र को चर्चा में बनाए हुए है।

विधायक की दौड़ वाले चेहरे ही दिख रहे विकास यात्रा में

चूंकि मप्र में यह चुनावी साल है। ऐसे में विकास यात्रा में केवल वहीं चेहरे रूचि दिखा रहे है, जो टिकट की दौड़ में खुद को मान रहे है। इनमें कलसिंह भाभर के साथ ही दिलीप कटारा, श्यामा ताहेड़, कलसिंह भाभर के पुत्र संजय भाभर, बंटी डामोर, राजेश वसुनिया जैसे लोग ही नजर आ रहे है। थांदला क्षेत्र की विकास यात्रा की पूरी धूरी कलसिंह भाभर को ही माना जा रहा है। इसलिए हर जगह वह सबसे पहले पहुंच रहे है और प्रशासन भी उनकी बातों को तवज्जों दे रहा है।

इस बात का प्रमाण विकास यात्रा की समीक्षा को लेकर सीएम की वीसी में थांदला क्षेत्र से सिर्फ कलसिंह भाभर ही शामिल हुए थे। इसलिए जनचर्चा भी है। कि जो कलसिंग कभी भाजपा के सामने बागी था। वह सर्वेसर्वा हो गया। प्रदेश संगठन पर पार्टी नेताओं सहित लोग सवाल उठा रहे है।

गुटबाजी का शिकार हुई विकास यात्रा

सोमवार को थांदला में निकली विकास यात्रा के फ्लॉप होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण राजनैतिक महत्वकांक्षा है। भाजपाई गुटबाजी के चलते यह विकास यात्रा थांदला क्षेत्र में पूरी तरीके से पिटी हुई नजऱ आई। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि यदि विधानसभा क्षेत्र में जूनियर व सीनियर नेताओं के बीच गुटबाजी नहीं होती तो यह विकास यात्रा अपने अलग रूप में नगर में दिखाई देती।

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