दो साल से अधुरा पड़ा बायपास सडक़ निर्माण, ठेकेदार की मनमानी

झारड़ा (स्वस्तिक चौधरी), अग्निपथ। क्षेत्र में मकला फंटे से बमनाई रोड तक का 5 किलोमीटर लंबा बायपास दो साल बाद भी अधूरा पड़ा है। क्षेत्र के लोग सहित अन्य यात्री इससे परेशान हैं और आरोप लग रहे हैं कि ठेकेदार की मनमानी को संबंधित सरकारी विभाग के अधिकारी नजरअंदाज कर रहे हैं।

भारत शासन व मध्यप्रदेश शासन के संयुक्त उपक्रम के अंतर्गत बनने वाले मार्ग इनदिनो जिम्मेदारो की लापरवाही के चलते अपने उद्धार को तरसते दिखाई दे रहे है। क्षेत्र के मकला फंटे से लेकर खेड़ा खजुरिया पहुँच हेतु बायपास मार्ग इन दिनों बदहाली का शिकार है। राहगीर और काश्तकार दोनो ही परेशानी का सामना कर रहे है। इसे ठेकेदार की लापरवाही कहे या जिम्मेदार विभागीय अधिकारियो की उदासीनता समझ से परे है। ठेकेदार अपनी मन मर्जी व हठधर्मिता से कछुआ चाल से निर्माण कर रहा। जिससे यहंा से गुजरने वाले राहगीर अत्यधिक परेशान होकर आक्रोशित भी है।

साथ ही इस मार्ग से निकलने वाले भारी वाहनो के कारण धुल के गुबार उठ रहे है जो की फसलो पर परतनुमा जमा होकर नुकसान पहुंचा रहे है। कोई सुनने व देखने वाला ही नहीं है की आखिर इतने छोटे से निर्माण में इतना लम्बा समय बित जाने बाद भी निर्माण कार्य अधुरा होकर बंद पड़ा है। आलम यह है की जिम्मेदार विभागीय अधिकारी धरातल पर आ ही नहीं रहे। जिसका खामियाजा क्षेत्रवासियो को भुगतना पड़ रहा है।

बार-बार रोक रहे काम

झारड़ा के मकला फंटे से होते हुए खेड़ा खजुरिया तक लगभग 30 किलोमीटर का टू लेन सडक़ निर्माण शासन की योजनानुसार किया जाना था। जिसके लिए पर्याप्त मात्रा में बजट भी आवंटित किया गया। साथ ही मकला फंटा से बमनाई रोड तक लगभग पांच किलोमीटर बायपास निर्माण होना है। ठेकेदार द्वारा थोड़ी थोड़ी दुरी पर निर्माण कर बार बार निर्माण कार्य रोक देने से आवागमन अवरुद्ध हो रहा है। जिससे प्रतिदिन गुजरने वाले वाहनचालक व राहगीर परेशानियो का सामना कर चोटिल हो रहे है।

फसलों को हो रहा नुकसान

इन दिनों क्षेत्र में गेंहू , चना , राईड़ा , लहसुन , प्याज आदी फसले खेतो में लहरा रही है। प्रतिदिन यहां से बड़े वाहन गुजरने से धूल के गुबार उड़ रहे है। जो की फसलों पर जमा होकर नुकसान कर रही है। साथ ही गुजरने वाले वाहन चालको को धूल के कारण सांस लेने भी तकलीफ हो रही है।

ठेकेदार कर रहा मनमानी

बायपास के साथ ही संपूर्ण सडक़ निर्माण कछुआ चाल से किया जा रहा है। इसे संसाधनों का अभाव कहे या ठेकेदार की लापरवाही नुकसान तो राहगीरो व रहवासियों का ही है। एक तरफ सडक़ निर्माण कर ठेकेदार इति श्री कर रहा है। पूरे मार्ग पर बड़े बड़े गिट्टी पत्थर बिछाकर अपनी मनमानी कर सडक़ निर्माण सही समय से नहीं कर रहा है। परिणाम स्वरूप वाहन चालक गिरकर चौटील हो रहे हैं।

अधिकारी सोए कुंभकरणीय निद्रा में

सडक़ निर्माण के दौरान समय समय पर जिम्मेदार अधिकारियों को मौके का मुआयना करने साथ साथ निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही सामग्री की गुणवत्ता जांच करने की जिम्मेदारी है। साथ निर्माण के दौरान यातायात भी सुगमता के साथ हो ऐसा प्रयास होना चाहिए। ठीक इसके विपरीत ठेकेदार अपनी मन मर्जी के आधा अधुरा मार्ग निर्माण कर राहगीरो की परेशानिया बडा रहा है। उसे कोई रोकने टोकने वाला ही नहीं है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी भी अधुरे निर्माण की और ध्यान नहीं दे रहे। या ऐसा लगता है की की दिनो से वे अपने कार्यक्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यो को देखने ही नहीं आए।

प्रशासनिक अधिकारी नहीं करते दौरा

एक दौर था जब तत्कालिन संभागायुक्त अरुण पाण्डेय जैसे अधिकारी अपने अधिनस्थों के साथ समय समय पर शासन द्वारा स्वीकृत निर्माण कार्य की गुणवक्ता को परखने समय समय पर निर्माण स्थल पर पहुंचकर जांच करते थे। साथ ही कमी पाए जाने पर ठेकेदार व संबंधित विभागीय अधिकारी पर कार्यवाही भी करते थे। वर्तमान में जिले व संभाग के अधिकारी झारड़ा क्षेत्र में चल रहे करोड़ो रुपये के निर्माण कार्य की गुणवत्ता देखने ही नहीं आते। जिसके कारण ऐसे अधुरे पड़े निर्माण कार्य से क्षेत्र के जनमानस परेशान है। ऐसी जनचर्चा क्षेत्र के संभ्रांत नागरिकों में है।

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